गुस्से से कैसे बचें- प्रकृति ने प्राणी जगत में केवल मानव की रचना करते समय मानव के प्रति अपनी उदारता दिखाई है तभी इसे सब प्राणियों से अधिक बुद्धिमान बनाया है । विवेकशील व्यक्ति को चाहिए कि वह अपने अन्दर उठने वाले मानसिक वेगों काम , क्रोध , मद , लोभ , मोह , मत्सर को अपने विवेक , धैर्य और साहस से रोकने का प्रयास करे । ये वेग हमारा सर्वनाश करने वाले होते हैं । इन से बच कर ही मनुष्य निरोगी , सुखी और सम्पन्न रह सकता है ।
● गुस्सा क्यू आता है ?
हमे क्रोध क्यों आता है ? ऐसा क्या करें कि क्रोध न आए ?
ऐसे प्रश्न अक्सर मन में उठते हैं । अब हम ऐसा विचार करते हैं तो मालुम होता है कि हम क्रोध तब करते हैं जब हमारी इच्छापूर्ति नहीं होती । जो हम चाहते है या करना चाहते हैं लेकिन वैसा हो नहीं पाता तो हमें गुस्सा आता हैं । क्रोध आना एक स्वभाविक प्रक्रिया है लेकिन क्रोध की अग्नि में अपना सब कुछ जला देना मूर्खता है ।
क्रोध के कारणों को समझें तो मन में हिंसा का भाव होना मुख्यत : कारण होता है । मन , वचन और कर्मों के द्वारा किसी को दुःख पहुँचाना हिंसा करना है । मन में जब किसी को दुःख पहुंचाने का मकसद हो तो हम हिंसा करते हैं । क्रोध के कारणों में ' ईर्ष्या ' अपनी मुख्य भूमिका निभाता है । अगर हम किसी के प्रति ईर्ष्या का भाव रखते हैं तो हम अकारण भी क्रोध कर बैठते हैं । क्रोध का अन्य कारण ' हीन भावना है । जब व्यक्ति में हीन भावना होती है तो यह वह उसे दबाने , छुपाने का प्रयत्न करता है या स्वयं को बड़ा सिद्ध करने की कोशिश में क्रोध का सहारा लेता है । हीन भावना के कारणों में रूतबा पैसा , पढ़ाई , रूप ( सुन्दरता ) , योग्यता आदि कुछ भी हो सकता है ।
गुस्सा हमारी निर्बलता की निशानी है । निर्बल व्यक्ति को ही क्रोध आता है । जब व्यक्ति कहीं स्वयं को निर्बल समझता है तो क्रोध करता है । निर्बलता शारीरिक व मानसिक किसी भी प्रकार की हो सकती है । क्रोध करना यह दर्शाता है कि अपनी इन्द्रियों पर नियन्त्रण नही है । जिस व्यक्ति को अपनी इन्द्रियों पर नियन्त्रण करना आता है वह अपने क्रोध पर नियन्त्रण कर सकता है इसका उदाहरण समान्यतः देखने को मिल जाता है । कुछ लोग बहुत बड़ी - बड़ी बातों पर भी शान्त रह जाते हैं, लेकिन कुछ बहुत छोटी - छोटी बातों पर आग बबूला जाते हैं । शान्त रहने को अपनी इन्द्रियों पर नियन्त्रण करना आता है,कुछ को नही ।
● गुस्से का बुरा प्रभाव- क्रोध से हम अपनी मानसिक शान्ति खराब करते हैं । स्वयं को सामान्य नहीं रख पाते हैं और अपने सगे सम्बन्धियों एवं मित्रगणों से अपना व्यवहार बिगाड़ लेते हैं । हमारे आसपास का वातावरण सब खराब हो जाता है । यह अपने एवं दूसरों के लिए बुरा होता है ।
क्रोध का प्रभाव सबसे जयादा हमारे सारे शरीर पर पड़ता है । क्रोध के समय हमारे शरीर के वस सब मार्ग भी सक्रिय हो जाते जिन्हें शान्त रहना चाहिए । हृदय की गति बढ़ जाती है , सांस तेजी से आने लगी है , पाचन शक्ति कमजोर हो जाती है , भूख नही लगती है । अधिवृक्क ( Adrenel Gland ) के स्राव अधिक होने लगते है । सारा Harmonal System गड़बड़ हो जाता है । शरीर में एक आवेश सा आता है जो कि बहुत बलवान होता है । इस आवेग में व्यक्ति पागल जैसा हो जाता है । इस समय वह अपनी साधारण शक्ति से कई गुणा अधिक बलवान हो जाता है । लेकिन ऐसे समय में इस बल का दुरूपयोग ही होता है, सदोपयोग हो ही नही सकता । क्रोध के समय कोई भी प्यार भरे गीत गा नही सकता , बांसुरी बजा नही सकता , लेकिन तलवार चाहे तो पूर्ण वेग से चला सकता है । क्रोध से तनाव जन्म लेता है । तनाव में रह कर व्यक्ति जीवन के कई पहलूओं पर ज्ञान पूर्वक निर्णय नही ले पाता और जिस से वह अपने स्वास्थ्य के साथ - साथ अपने सामाजिक जीवन को भी खराब कर लेता है । हृदय रोग , उच्च रक्तचाप , मधुमेह , मानसिक रोग आदि बीमारियां घर कर लेती है ।
● गुस्से का इलाज कैसे करें- क्रोध एक ऐसा गर्म लोहा है जिसे सुधारने के लिए ठन्डे हथोड़े की आवश्यकता होती है । यानि शान्त दिमाग से ही क्रोध को सकता है । प्रयत्न करें कि क्रोध का जन्म ही न हो , लेकिन अगर क्रोध आए हो तो उसको विवेक , धैर्य एवं साहस से शान्त हो कर प्रकट करें । मन में दबा कर या घुट - घुट कर जीने से क्रोध कभी शान्त नहीं होता वह किसी न किसी समय विस्फोटक की भान्ति फटता है जो कि बहुत खतरनाक साबित होता है ।
● गुस्से से बचने के लिए निम्न उपाय किए जा सकते हैं -
* क्रोध के समय स्थान व विषय बदलने का प्रयत्न करें ।
* क्रोध के समय पानी पिए और शान्त रहें । अपनी हीन भावना को खत्म करने का प्रयास करें और अपनी योग्यता को बढ़ाए ।
* सामाजिक प्रतिष्ठा बढ़ाने हेतू प्रयास रत रहें ।
* दूसरों से अधिक अपेक्षाए न रखें ।
* अपनी समस्याओं का समाधान ढूँढने का प्रयत्न करें ।
* ईश्वर में विश्वास रखें ।
* प्रतिदिन योग द्वारा इन्द्रियों पर नियन्त्रण का अभ्यास करें ।
* शरीर को स्वस्थ रखें एवं सबल बने ।
ऐसा करने से अगर आप अपने क्रोध पर नियन्त्रण करने में सफल हो जाते हैं तो आप स्वयं को से विजयी व्यक्ति हो सकता है मनोबल वाला , ज्ञानवान, चरित्रवान, दयालु ,सबल प्रतिष्ठावान व स्वस्थ है।
● गुस्से का शरीर पर असर-
क्रोध धीमा किन्तु घातक जहर है । क्रोध का बुरा प्रभाव पड़ता है । क्रोध से रक्त में उबाल आता है । हृदय की धड़कन , रक्त संचार एवं रक्तचाप में वृद्धि हो जाती है , चेहरा , आखें व कान लाल हो जाते हैं। वाणी एवं शरीर में कम्पन्न होने लगता है , भाषा अनियंत्रित एवं आचरण विवेकहीन हो जाते हैं । इन लक्षणों के प्रकट होने के कारण अन्तःकरण में बदलाव आता है जिसका प्रभाव तुरन्त दिखाई नहीं देता , परन्तु शरीर में अनेक विकृतियां पनपने लगती हैं । क्रोध से होने वाले तनाव से मधुमेह , पागलपन , हृदय रोग की आशंका बढ़ जाती है । इससे दिल का दौरा , लकवा , ब्रेन हेमरेज , अपच , भूख न लगना आदि रोग हो जाते हैं । क्रोध में व्यक्ति की ऊर्जा का बड़ा हिस्सा नष्ट हो जाता है तथा कमजोरी आ जाती है । क्रोधी व्यक्ति दूसरों से अलग थलग पड़ जाता है तथा तनावग्रस्त हो जाता है । वह शारीरिक एवं मानसिक रोगों से ग्रस्त हो जाता है ।
● गुस्सा से छुटकारा कैसे पाये-
क्रोध से छुटकारा पाने का एक ही उपाय है कि सर्वप्रथम एक अवधारणा मन में पक्की करनी होगा कि " मुझमे यह एक बड़ा दोष है उसका कारण मैं स्वयं हूँ ,क्रोध से नुकसान ही नुकसान है , इसमें समाजिक व पारिवारिक जीवन तो खराब होता ही है स्वास्थ्य भी चोपट हो जाता है ।अतः हर हाल में क्रोध को छोड़ना है । " इस प्रकार का लक्ष्य बना लीजिए । क्रोध छोड़ना मुश्किल है परन्तु असम्भव नहीं है । दृढ़ निश्चय , संकल्प एवं अभ्यास से क्रोध को दूर किया जा सकता है हर समय सावधान रहना चाहिए तथा प्रतिज्ञा करनी चाहिए कि मैं क्रोध नहीं करूंगा । एक घण्टा , दो घंटे , तीन घंटे के लिए संकल्प करें । थोड़ा अंकुश लगने पर , एक दिन या दो दिन अवधि के लिए प्रतिज्ञा कीजिए । धीरे - धीरे क्रोध पर विजय पाने में आप सफल हो जाएँगे विश्वास रखें । अपने परिजनों , निकट सहयोगियों की मदद लें ताकि वे आपको क्रोध न करने की प्रतिज्ञा याद दिला दें । मौन भी क्रोध त्यागने का एक श्रेष्ठ उपाय है । क्रोध आने पर चुप्पी साध लें । क्रोध आने पर किसी भी बहाने पानी पीने , पेशाब , शौच , टेलिफोन , मोबाईल आदि का बहाना बनाकर उठ जाये और थोड़ी देर बाद वापस आ जाऐ , ठण्डा पानी पीयें और धीरज रखें । मुस्कराते रहने का अभ्यास करें , क्योंकि मुस्कराना एवं क्रोध कभी एक साथ नहीं होते । याद रखें , क्रोध में नुक्सान है फायदा कुछ भी नहीं है । यह हमारी बहुत बड़ी भूल है कि क्रोध करने व चिल्लाने से कार्य आसानी से हो जाता है ।
याद रखे कि एक सैकिंड के क्रोध का असर हमारी मासपेशियों व शरीर पर 72 घण्टे तक रहता है । प्यार व दिल से कार्य निष्पादन ज्यादा व स्थाई होता है । यदि प्यार से या आराम से कभी कार्य न हो तो काम करवाने के लिए आवाज में थोड़ा सा कड़कपन ही काफी है ।
निष्कर्ष-
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