हिन्दु धर्म के अनुसार राधा कौन थी ?
श्री मद्भागवत में राधा का उल्लेख नहीं है। महाभारत में राधा की चर्चा नहीं है. किंतु फिर भी भारतीय धर्म और संस्कृति रस स्वरूपा, अनुपम, मोहक और प्रेम-प्रीति का प्रतीक है। "राधा" की महत्ता, श्रेष्ठता और शक्ति का अनुमान केवल इसी से लगाया जा सकता है कि कोटि-कोटि भक्त जन "श्रीकृष्ण" की अराधना करते हैं, वह "श्रीकृष्ण" स्वयं श्री "राधा" की अराधना करते हैं।
• "राधा" और श्रीकृष्ण अभिन्न है या एक है। ऋग्वेद के एक उपनिषद राधिकोपनिषद् में कहा गया है कि "श्रीकृष्ण की गोपी रूपी अनेकानेक शक्तियां है और उनमें अतरंगभूता और श्रेष्ठ आल्ल्दिनी शक्ति राधा है। जिनकी "श्रीकृष्ण" अराधना करते हैं, और वह स्वयं भी "श्रीकृष्ण" की अराधना करती हैं। "राधा" और "कृष्ण" वस्तुतः एक ही है, किंतु लीला करने के लिए ही उन्होंने दो रूप धारण किए हैं।
ब्रजभूमि का यह सौभाग्य रहा है कि यहां श्रीकृष्ण और राधा दोनों ने ही जन्म लिया।
राधा का जन्म कहाँ हुआ-
राधा का जन्म भाद्रपद शुक्ला अष्टमी को और उसके 11 माह पश्चात भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। राधा का जन्म मथुरा से 12 किलोमीटर दूर यमुना के पार उनकी ननिहाल रावल नामक गांव में कीर्ति किशोरी की कोख से हुआ था और बाद में पिता वृषभानु गोप के यहां बरसाना में उनका लालन-पालन हुआ था।
राधा के जन्मस्थल के संबंध में कोई विवाद नहीं है, किंतु भ्रांतिवश उनका जन्मस्थान बरसाना इसलिए कह दिया जाता है कि ननिहाल में जन्म के कुछ समय पश्चात ही वह बरसाना आ गई थीं।
राधा नाम का महत्व-
रटे जा राधे राधे, राधे मेरी जीवन प्राण, रटे जा राधे राधे। राधे रटे, तो श्याम मिले।
राधा और कृष्ण के चित्र-
राधा जी और भगवान श्री कृष्ण जी के संयुक्त व्यस्क, चित्र, मूर्तियां जितने भी देखने को दर्शन करने को मिलते है।
ये सभी के सभी काल्पनिक है कयोंकि राधा और कृष्णाकेवल 12 वर्ष तक दोनों इकट्ठे रहे हैं उसके बाद वह कभी मिले नहीं यह केवल लोगों की कल्पना है।
चित्रकारों की, टी वी, सिनेमा, मिडिया वालों की कल्पना है-बिना सोच, विचार-समझ, के कुछ भी रच दिया है। क्योंकि भगवान श्री कृष्ण जी "बृज" में सिर्फ ग्यारह वर्ष की आयु तक ही रहे थे, इसके बाद दोबारा "बृज" में आये नहीं और "राधा जी" से मिले भी नहीं।
मनोकामना पूर्ण करने के लिए राधा रानी के 28 नाम- अगर आपकी भी कोई मनोकामना है तो धर्म के अनुसार ऐसा माना जाता है प्रतिदिन राधा रानी के इन 28 नामो का जाप करने से आपकी हर मनोकामना पूरी होगी।
1. राधा,
2. रासेश्वरी,
3. रम्या,
4. कृष्णमत्राधिदेवता,
5. सर्वाद्या,
6. सर्ववन्द्या,
7. वृन्दावनविहारिणी,
8. वृन्दाराधा,
9. रमा,
10. अशेषगोपीमण्डलपूजिता,
11. सत्या,
12. सत्यपरा,
13. सत्यभामा,
14. श्रीकृष्णवल्लभा,
15. वृषभानुसुता,
16. गोपी,
17. मूल प्रकृति,
18. ईश्वरी,
19. गान्धर्वा,
20. राधिका,
21. अरम्या,
22. रुक्मिणी,
23. परमेश्वरी,
24. परात्परतरा,
25. पूर्णा,
26. पूर्णचन्द्रविमानना,
27. भुक्ति-मुक्तिप्रदा और
28. भवव्याधि-विनाशिनी।
मानव जीवन के एकमात्र लक्ष्य, भगवत्प्राप्ति का सहज साधन है श्रीमद्भागवत। श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण, मनन एवं चिन्तनमक्ति-प्रदाता है। मानव जीवन को भगवत्परायण बनाने वाला ग्रन्थ है-।
श्रीमद्भागवत। काल के भय से मुक्त कराने वाला ग्रन्थ है- श्रीमद्भागवत मृत्यु को मंगलमय बनाने वाला ग्रन्थ है, श्रीमद्भागवत। श्रीमद्भागवत आध्यात्मिक रस वितरण की सार्वजनिक भाव है ।श्रीमद् भागवत समस्त वेदों और उपनिषदों का सार है श्रीमद् भागवत सभी प्राणों में सर्वोपरि है। इसलिए श्रीमद् शब्द के तिलक से इसे अलंकृत किया गया है श्रीमद् भागवत श्याम भगवान के श्री मुख से निकला हुआ एक नि:सृत ग्रंथ है।
इसको पढ़ने के बाद फिर किसी और चीज को पढ़ने की आवश्यकता नहीं रहती यह एक ऐसा ग्रंथ है जिसमें मानव की हर समस्या का समाधान है छिपा हुआ है, बस जरूरत है इसको बहुत ध्यान और बार-बार पढ़ने की
Disclaimer- इस लेख में जो कुछ भी लिखा गया है यह सब कुछ धर्म और हिंदू ग्रंथो के अनुसार लिखा गया है .
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