हींग का उपयोग कैसे करें | हींग खाने के फायदे | शुद्ध हींग की पहचान कैसे करें |

हींग खाने के फायदे और हींग की उत्पत्ति कैसे होती है-

मसालों की दुनिया में " हींग " का अपना ही एक विशेष स्थान है । हम सब की  सभी रसोईयों , होटलों व ढाबों में बनने वाले पकवानों व भोजनों में मसालों को प्रयोग में लाया जाता है । इस मसाले का हमारे खाने में बहुत ज्यादा प्रयोग होता है। यह मसाले के साथ-साथ एक औषधि भी माना जाता है। आइए  जानते हैं इस आर्टिकल के जरिए से हिंग के क्या-क्या फायदे हैं-

 हींग की उत्पत्ति  कैसे हुई-'

 हींग फैरूला - फेईटिडा पौधे की गोंद है जो कि पौधे के तने व जड़ के पास काट कर प्राप्त की जाती है । बसन्त ऋतु के आस पास पौधा गोंद को छोड़ता है । काटने से पौधा गाढ़ा व चिपचिपा सा रस छोड़ता है जिसे पात्र में भर लिया जाता है। ऐसा प्रकार हींग की उत्पत्ति होती है  ।





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 हींग के नाम- 

 भिन्न - भिन्न प्रदेशों में हींग को अलग  नामों से पहचानी जाती है । 

संस्कृत में बधिका । 

हिन्दी , बंगाली , गुजराती , ऊर्दू , पंजाबी में ' हींग ' ही कहलाती हैं । 

कश्मीरी में याँग या साप के नाम से जानी जाती है । 

तमिल में पीरूगंयम ,

 मलयालम में ' कायम ' ,

 उड़िया में हींगू और अंग्रेजी में Asafoetida के नाम से पहचानी जाती है ।



 हींग प्रायः दो रंगो में उपलब्ध होती हैं सफेद हींग जो कि " हीरा हींग " के नाम से भी जानी जाती है तथा दूसरी " काली हींग " जिस का वृक्ष भी काला होता है , के नाम से मिलती है । हींग काफी मूल्यवान है इसी लिये इस में मिलावट की काफी सम्भावनायें रहती हैं ।  सस्ता गोंद , रंगा हुआ बड़ वृक्ष का गोंद , गुड़ , आटा आदि इस में मिला दिया जाता है । अफगानिस्तान , अरब , ईरान , काबुल , भारत में पंजाब , हिमाचल , कश्मीर हींग उत्पादन के मुख्य केन्द्र हैं ।

 

हींग के गुण और फायदे -

आयुर्वेद ने हींग के गुणों को सर्वप्रथम परखा है । आयुर्वेद के सभी ग्रन्थों में हींग की व्यापक रूप से चर्चा मिलती है । हींग का एक छोटा सा अनुपात प्रायः मसालों के रूप में प्रयोग किया जाता है जबकि अधिकाँश भाग आयुर्वेद की औषधियों में प्रयोग किया जाता है । 


शुद्ध हींग की पहचान कैसे करें-

असली व मिलावटी की पहचान-



 1- हींग को माचिस से जलाने पर सारी की सारी हींग जल जाती है और जो राख बचती है वह 20 ग्राम 1 ग्राम के . अनुपात  मिलेगी अगर अनुपात अधिक है तो जान जायें कि इस में मिलावट है।


 2- असली हींग पानी में डालने पर तुरन्त घुल जाती है व पानी का रंग दुधिया बन जाता है । पानी को निथार लें । अगर नीचे कुछ भी मिलता है तो वही उसमें मिलावट है । 


3- जीभ पर चरचराहट महसूस हो तो शुद्ध अथवा मिलावटी है ।


4. हींग को चुटकी से मसलने पर अगर यह तेल का रूप  ले ले तो यह असली है।


5- हींग को अगर आग में डालें तो तुरन्त हींग से चमकीली लौ उठती है और सुगन्ध युक्त धुंआ उठता है जो हींग के असली होने का प्रमाण है । आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति में हींग का प्रचुर मात्रा में प्रयोग किया जाता है और यह प्राणियों को स्वस्थ जीवन प्रदान करती है ।


हींग के फायदे-

 बदहजमी , खाज खुजली , अरुचि , उल्टी , कब्ज , खाँसी , गैस , दस्त , जोड़ों के दर्द तथा अनेक अन्य बीमारियों में हींग का प्रयोग प्रायः होता है । 

प्रयोग विधि- अपच में हींग , थोड़ा सा जीरा व सेंधा नमक स्वादानुसार लेने से बदहजमी ठीक होती है । 


हींग 2 ग्राम , अजवाईन 10 ग्राम को थोड़े से पानी में पीस कर लगाने से खाज खुजली में लाभ मिलेगा । 


-थोड़ी सी हींग व बड़ी इलायची के दाने को पीस कर शहद में मिला लें व थोड़ी - थोड़ी देर से चाटने पर उल्टी में आराम मिलता है


हींग का चूर्ण - जीरा , अजवाईन , सौंठ , काली मिर्च , प्रत्येक 100 ग्राम ले कर उसे पीस लेवें । काला नमक 50 gram हींग 20 ग्राम को भी पीस लेवें । सभी द्रव्यों को छान लें के रस में पीसे हुए द्रव्यों को मिला कर मटर के दाने के बराबर गोलियाँ बना लेवें और सुखा लें ।


 प्रतिदिन दिन में तीन बार 1-1 गोली लेने से अपज , पेट दर्द , गैस , कब्ज , भूख न लगना तथा दस्तों में आराम मिलेगा । गोली चूसनी है पानी से निगलनी नहीं । पेट की सभी तकलीफों से जोड़ों का दर्द - लहसुन 5 ग्राम , सेंधा नमक 5 ग्राम इन सब तेल में भून लेवें । तेल छान लें व जोड़ों पर इस की मालिश करके  अँग को एक घन्टे तक ढके रखें आराम मिलेगा । 


गैस की समस्या-

 जिन को गैस की शिकायत रहती है उन्हें हींग का प्रयोग दाल व सब्जी में करना चाहिये । 


खाज व खुजली -

 भुनी हुई हींग को गुड़ में मिलाकर खायें लाभ मिलेगा । आधा ग्राम हींग को गर्म पानी में घोल कर गरारे करने से गला साफ हो जाता है ।


खांसी -

एक चम्मच अदरक के रस में एक मिला कर उसमें एक रती हींग मिला कर पीने से होकर निकल जाता है - जुकाम में  लाभ होता है ।


-हींग के चूर्ण में थोड़ा सा मीठा सोडा मिलाकर लेने से छुटकारा मिलता है । सबसे सरल उपाय आजमा कर देखें । हींग  कब्ज को मिटाने के लिये कारगर है इस का सेवन अनेक रूप मे किया जा सकता है । 


अन्य घरेलू उपायों में हींग के एक दो टुकड़े पिसी मिर्च में रख दें कीड़ा नहीं लगेगा । किसी भी प्रकार का अचार डालने से पहले , अचार वाले बर्तन में हींग का धुंआ दे लें इस से अचार खराब नहीं होगा ।


 चुटकी भर हींग को बेसन के घोल में डालने से पकोड़े अति स्वादिष्ट बनते हैं । सर्दियों में प्रायः बच्चों को सांस लेने की तकलीफ हो जाती है । तो बच्चों को चुटकी भर हींग पानी में पिलाने से बच्चों को खरखराहट व सांस की तकलीफ दूर हो जाती है और कफ पतला होकर बाहर निकल जाता है । 


बाजरे के दाने के बराबर , पानी या दूध में मिला कर पिलाने से बच्चे के पेट के कीड़े मर जाते हैं ।


 -एक रत्ती हींग को , एक चम्मच तुलसी के रस में मिला कर पिलाने से पेट में चुरने मर जाते हैं । 

आयुर्वेद ने शायद की ऐसा कोई क्षेत्र छोड़ा है जिस में मनुष्य को आराम पहुँचाने के लिए हींग का प्रयोग न किया हो । चरक ने हींग को वात - कफ नाशक व श्वासहर बताया है । अपने खाने में हींग का प्रयोग करें और स्वस्थ जीवन व्यतीत करें ।


निष्कर्ष- 

हींग एक ऐसी घरेलू औषधि और हमारे रसोई घर का विशेष मसाला है।  जिसका सही मात्रा में उपयोग करने से  साइड इफेक्ट कुछ भी नहीं है और फायदे ही फायदे हैं।  

अगर आपकी कोई स्वास्थ्य से संबंधित बहुत ही गंभीर समस्या है तो इसके लिए अपने डॉक्टर से


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