नीम करौली बाबा की चमत्कारी कहानियाँ और कैंची धाम कहाँ है-
बाबा नीम करौली महाराज, जिन्हें "नीम करौली बाबा" के नाम से भी जाना जाता है, 20वीं सदी के प्रसिद्ध भारतीय संत थे। वे अपने चमत्कारी कार्यों और दैवीय शक्तियों के लिए मशहूर थे। उनके अनुयायी उन्हें भगवान हनुमान का अवतार मानते हैं। यहाँ उनके बारे में कुछ रोचक तथ्य और चमत्कारों की कहानियाँ- आइए जानते हैं विस्तार से।
बाबा नीम करौली कौन थे ?
नाम और स्थान: नीम करौली बाबा का वास्तविक नाम लक्ष्मण दास शर्मा था। उनका जन्म उत्तर प्रदेश के अकबरपुर गाँव में हुआ था। बाद में वे नीम करौली नामक स्थान पर रहने लगे और वहीं से उन्हें "नीम करौली बाबा" के नाम से जाना गया।
बाबा के अनुयायी :
बाबा नीम करौली के अनुयायियों में स्टीव जॉब्स, मार्क ज़करबर्ग, जूलिया रॉबर्ट्स, और राम दास जैसी कई प्रसिद्ध हस्तियाँ शामिल हैं। ये सभी उनकी शिक्षाओं और चमत्कारों से प्रभावित थे।
सद्गुरु और हनुमान भक्त:
बाबा एक समर्पित हनुमान भक्त थे और उन्होंने कई हनुमान मंदिरों की स्थापना की। कहा जाता है कि हनुमान जी की कृपा से ही वे चमत्कारी शक्तियों के धनी थे।
बाबा नीम करौली के चमत्कारों की कहानियाँ
स्टीम इंजन को रोकना: एक बार बाबा ने बिना टिकट के ट्रेन में यात्रा की। जब टिकट निरीक्षक ने उन्हें उतरने को कहा, तो बाबा उतर गए और पास के स्टेशन पर बैठ गए। ट्रेन को चलाने की कोशिश की गई, लेकिन वह नहीं चल पाई। अंततः टिकट निरीक्षक ने बाबा को वापस बुलाया और उनसे क्षमा मांगी। बाबा के वापस ट्रेन में चढ़ने के बाद ट्रेन फिर से चल पड़ी
मौत से बचाना:
एक बार बाबा के एक भक्त को ज़हर दे दिया गया था। बाबा ने उसे अपने आश्रम बुलाया और अपने हाथों से पानी पिलाया। चमत्कारिक रूप से, वह व्यक्ति ठीक हो गया और ज़हर का कोई असर नहीं हुआ।
अग्नि में बैठना:
बाबा नीम करौली महाराज के बारे में एक और चमत्कारिक कहानी है कि एक बार उन्होंने अग्नि में बैठकर ध्यान किया। आश्रम के लोगों ने देखा कि बाबा अग्नि के बीच में बैठे हैं लेकिन उन्हें कोई हानि नहीं हुई। यह उनकी तपस्या और दैवीय शक्तियों का प्रमाण माना गया।
चमत्कार से रोकी बारिश-
हनुमानगढ़ी के मन्दिर का निर्माण काम चल रहा था और वर्षा हो गई। वर्षा के कारण काम रुक गया और मंदिर (मंदिर जाने के लाभ) के निर्माण में बाधा आने लगी। तब बाबा ने अपने चमत्कार से मंदिर निर्माण पूरे होने तक बारिश रोक दी थी।
घी बाती को जलाना-
एक बार बाबा मंदिर में पहुंचे वहां पर भक्त माचिस लाना भूल गए तो ऐसे में बाबा ने बतियों ने अपने हाथों से छुआ थो वह सारी जलने लगी ।सभी भक्त देखकर बहुत ज्यादा हैराम थे ।
कुएं के पानी को मीठा बनाना -
बाबा एक बार सैर कर रहे थे अपने गांव के पास पास ।उस गांव में एक कुआं था उसका पानी बहुत ज्यादा खा रहा था। तो लोग उसका पानी नहीं पी सकते तो बाबा ने उस कुएं के पानी को छुआ तो उसका पानी हमेशा के लिए मीठे पानी हो गया
नदी के जल को घी बनाना -
एक बार भंडारे के लिए बहुत सारी पुरिया का तलने का आयोजन हो रहा था और तभी घी कम पड़ गया। भकत बाबा के पास आए कि बाबा जी घी खत्म हो गया ।बाबा ने पास में ही बहती हुई नदी के जल लाने को कहा और वह पानी पूरी वाली कढाई में डाल दिया देखते- ही देखते पानी घी में तब्दील हो गया।
भविष्यवाणी करना:
बाबा नीम करौली ने अपने कई भक्तों के जीवन से जुड़ी घटनाओं की सटीक भविष्यवाणी की थी। उनके अनुयायी कहते हैं कि बाबा उनके जीवन की कठिनाइयों को पहले से ही जानते थे और उन्हें समाधान बताते थे।
धन की कमी का समाधान:
बाबा नीम करौली के एक भक्त के पास धन की कमी हो गई थी। बाबा ने उसे एक सिक्का देकर कहा कि इसे अपने साथ रखो। उसके बाद उस भक्त को धन संबंधी कोई समस्या नहीं हुई और उसकी आर्थिक स्थिति में चमत्कारिक रूप से सुधार हो गया।
नीम करौली बाबा का प्रसिद्ध "कैंची धाम कहाँ है ?
" उत्तराखंड राज्य के नैनीताल जिले में स्थित है। यह आश्रम नैनीताल से लगभग 17 किलोमीटर दूर है और अल्मोड़ा रोड पर स्थित है। कैंची धाम समुद्र तल से लगभग 1,400 मीटर की ऊँचाई पर बसा है और चारों ओर से पहाड़ियों और हरियाली से घिरा हुआ है।
कैंची धाम की विशेषताएँ
स्थान और नाम: कैंची धाम का नाम दो मोड़ों (कैंचियों) के मिलने से बना है, जो इस स्थान के पास से गुजरने वाली सड़क को बनाते हैं। इसलिए इसे "कैंची धाम" कहा जाता है।
स्थापना: नीम करौली बाबा ने इस आश्रम की स्थापना 15 जून 1964 को की थी। यह स्थान उनके कई चमत्कारों और आशीर्वादों का साक्षी रहा है। अभी भी हर साल 15 जून को कैंची धाम में मेले का आयोजन किया जाता है।
हनुमान मंदिर:
कैंची धाम में एक भव्य हनुमान मंदिर है, जो बाबा नीम करौली के हनुमान जी के प्रति गहरे भक्ति भाव को दर्शाता है। यहाँ बाबा ने कई हनुमान मंदिरों की स्थापना की है।
प्रसिद्धि:
कैंची धाम अपने शांत वातावरण और आध्यात्मिक ऊर्जा के कारण विश्वभर में प्रसिद्ध है। यह आश्रम न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी श्रद्धालुओं के बीच अत्यंत लोकप्रिय है।
प्रवेश:
बाबा नीम करौली के अनुयायी इस स्थान को विशेष मानते हैं और यहाँ दर्शन करने के लिए दूर-दूर से आते हैं। हर साल 15 जून को यहाँ एक बड़ा मेला भी आयोजित किया जाता है, जिसमें हजारों की संख्या में भक्त आते हैं।
आकर्षण:
कैंची धाम का प्राकृतिक सौंदर्य और वहाँ की शांति मन को शांति और आनंद प्रदान करती है। यहाँ आने वाले भक्तों को ध्यान और आत्म-विश्लेषण का उत्तम अवसर मिलता है।
कैंची धाम नीम करौली बाबा के जीवन और उनके चमत्कारों से जुड़ा हुआ एक पवित्र स्थल है, जिसे हर साल हजारों श्रद्धालु देखने आते हैं।
नीम करौली बाबा की समाधि कहाँ है?
नीम करौली बाबा की समाधि उनके द्वारा स्थापित प्रमुख आश्रम "वृंदावन आश्रम" में स्थित है। यह आश्रम उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में स्थित है। नीम करौली बाबा ने 11 सितंबर 1973 को महापरिनिर्वाण प्राप्त किया था, और उनकी समाधि वृंदावन में बनाई गई है।
नीम करौली बाबा की समाधि वृंदावन आश्रम के बारे में जानकारी-
स्थान:
वृंदावन आश्रम उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में स्थित है। यह स्थान भगवान कृष्ण की लीलाओं के लिए प्रसिद्ध है और भारत के महत्वपूर्ण तीर्थस्थलों में से एक है।
स्थापना: नीम करौली बाबा ने इस आश्रम की स्थापना भक्तों की आध्यात्मिक उन्नति और सेवा के उद्देश्य से की थी।
बाबा नीम करौली की समाधि:
बाबा की समाधि आश्रम के भीतर स्थित है। यह स्थान बाबा के अनुयायियों के लिए अत्यंत पवित्र है और यहाँ वे बाबा के प्रति श्रद्धा अर्पित करने के लिए आते हैं।
आश्रम के अन्य मंदिर: आश्रम में हनुमान जी का मंदिर और कई अन्य देवी-देवताओं के मंदिर भी हैं। यहाँ हर दिन पूजा, आरती और भजन-कीर्तन होते हैं।
आध्यात्मिक केंद्र: वृंदावन आश्रम बाबा के चमत्कारी जीवन और शिक्षाओं से संबंधित है और यहाँ बाबा की जीवन-यात्रा, उनकी सेवा और उनके चमत्कारों की कहानियाँ सुनाई जाती हैं।
श्रद्धालु: हर साल हजारों भक्त बाबा की समाधि पर श्रद्धांजलि अर्पित करने और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए आते हैं। यहाँ बाबा की उपस्थिति और आशीर्वाद का अनुभव करने के लिए दुनियाभर से लोग आते हैं।
वृंदावन आश्रम बाबा नीम करौली के जीवन और आध्यात्मिक धरोहर का प्रतीक है और उनकी समाधि यहाँ पर स्थित होने के कारण यह स्थान और भी पवित्र माना जाता है।
बाबा नीम करौली के अनसुनी बातें-
बाबा नीम करौली के जीवन से जुड़ी कुछ ऐसी अनसुनी और रोचक बातें हैं जिन्हें बहुत कम लोग जानते हैं। ये तथ्य और कहानियाँ उनके अद्वितीय व्यक्तित्व और आध्यात्मिक शक्तियों का परिचय देती हैं:
गुप्त जीवन और यात्रा
बाबा नीम करौली अक्सर गुप्त रूप से यात्रा करते थे। उनके बारे में कहा जाता है कि वे एक स्थान पर लंबे समय तक नहीं रहते थे और अचानक ही एक स्थान से दूसरे स्थान पर चले जाते थे। उनकी यात्राओं का उद्देश्य लोगों की मदद करना और उन्हें आध्यात्मिक मार्गदर्शन देना होता था।
भूख और भोजन
बाबा नीम करौली अपने भक्तों से कहते थे कि वे उन्हें खाना खिलाएं, लेकिन वे स्वयं बहुत कम खाते थे। वे कहते थे कि वे अपने भक्तों का दिया हुआ खाना ही खाते हैं और यही उन्हें ऊर्जा देता है। उनके भोजन में साधारणता और सादगी होती थी।
भक्तों की समस्याओं का हल-
बाबा नीम करौली अपने भक्तों की समस्याओं को तुरंत समझ जाते थे और बिना उनसे पूछे ही उनका समाधान कर देते थे। उनके कई भक्तों का कहना था कि वे उनकी समस्याओं को बिना कहे ही जान लेते थे और समाधान भी दे देते थे।
विज्ञान और आध्यात्मिकता का मेल-
बाबा नीम करौली ने अपने अनुयायियों को बताया कि विज्ञान और आध्यात्मिकता अलग नहीं हैं बल्कि एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। उन्होंने बताया कि दोनों का उद्देश्य जीवन के गूढ़ रहस्यों को समझना है।
संसार के प्रति दृष्टिकोण-
बाबा का मानना था कि यह संसार माया का जाल है और सच्ची शांति और आनंद आत्मज्ञान में है। वे अपने भक्तों को संसारिक चीजों में उलझने से बचने की सलाह देते थे और उन्हें साधना और सेवा की ओर प्रेरित करते थे।
शिष्य बनाने की अनूठी विधि-
बाबा नीम करौली किसी को औपचारिक रूप से शिष्य नहीं बनाते थे। उनका मानना था कि जो सच्चे भक्त होते हैं, वे स्वाभाविक रूप से उनके शिष्य बन जाते हैं। उनके शिष्य बनने के लिए किसी औपचारिकता की आवश्यकता नहीं होती थी।
चमत्कारी शक्तियों का उपयोग-
हालांकि बाबा नीम करौली को अपनी चमत्कारी शक्तियों का ज्ञान था, लेकिन वे उनका उपयोग केवल जरूरतमंदों की मदद के लिए करते थे। वे कभी भी अपनी शक्तियों का दुरुपयोग नहीं करते थे और न ही अपने चमत्कारों का दिखावा करते थे।
विनम्रता और सेवा-
बाबा नीम करौली अपने अनुयायियों को विनम्रता और सेवा का महत्व बताते थे। वे खुद भी बहुत विनम्र और सरल जीवन जीते थे और हमेशा दूसरों की सेवा में तत्पर रहते थे।
शक्ति और साधना-
बाबा नीम करौली ने कई साधकों को उच्च आध्यात्मिक शक्तियाँ प्राप्त करने में मदद की। वे कहते थे कि शक्ति का सही उपयोग साधना और सेवा में होता है, न कि अपने व्यक्तिगत लाभ के लिए।
आत्मज्ञान का अनुभव-
बाबा नीम करौली के अनुयायियों का मानना है कि उन्होंने आत्मज्ञान की उच्च अवस्था प्राप्त की थी। उनके जीवन और कार्यों से यह स्पष्ट होता है कि वे एक साधारण मनुष्य नहीं थे बल्कि एक उच्च आध्यात्मिक आत्मा थे।
बाबा नीम करौली का जीवन और उनकी शिक्षाएँ आज भी लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। उनके सरल जीवन, गहन आध्यात्मिकता की वजह से आज भी लोग उनकी पूजा करते हैं और कुछ लोगों का मानना है कि वह अदृश्य रूप में आज भी धरती पर विराजमान है और लोगों की समस्याओं का समाधान उनसे प्रार्थना करने से ही हो जाता है । यह बहुत सारे लोगों का अपना निजी अनुभव है।
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