जीवन में सफलता के लिए भाग्य पर नहीं, कर्म पर भरोसा करें | कर्म के बल पर भाग्य को कैसे बदले .

किस्मत पर नहीं कर्म पर भरोसा करो-

मनुष्य स्वयं अपने भाग्य का निर्माता है आज हम इस लेख के माध्यम से आपको यही प्रेरणा देना चाहेंगे कि कर्म पर विश्वास करें किस्मत पर नहीं क्योंकि कर्म करने के बाद इंसान की किस्मत भी बदल जाती है। 

अपना भाग्य कैसे बदले-

"मत यकीन कर हाथों की लकीरों पर, किस्मत उनकी भी होती है जिनके हाथ नहीं होते।" यह कहावत सिखाती है कि सितारे केवल उन पर राज करते हैं जो खुद को कमजोर मानते हैं। बहादुर लोग अपने फैसले किस्मत के भरोसे नहीं छोड़ते। हमें अपने जीवन को एक सुगन्धित फूल की तरह बनाना चाहिए ताकि इसकी खुशबू हर जगह फैले। कागज हवा के भरोसे उड़ता है, लेकिन कागज की बनी पतंग अपनी क्षमता से उड़ती है। हमें अपने नसीब पर नहीं, बल्कि अपनी काबिलियत पर भरोसा करना चाहिए। किस्मत भी उन्हीं का साथ देती है जो कुछ कर दिखाने का हौसला रखते हैं। 

इसके लिए हमें निम्न गुण अपनाने चाहिए:


कर्मशील बनें-

"हमें अपनी किस्मत खुद बनानी है, हम अपने समय के स्वामी हैं।" यदि हम कर्मशील हैं तो समझिए कि आधी राह तय हो गई है। धैर्य और विश्वास के साथ यदि हम प्रयास करते रहें तो निश्चित रूप से अच्छे परिणाम प्राप्त होंगे। अथर्ववेद में कहा गया है कि यदि मेरे दाहिने हाथ में मेहनत है तो बाएं हाथ में सफलता है। काम करने से ही हमारी योग्यता निखरती है और यही योग्यता आगे बढ़ने की सीढ़ी बन जाती है। इसलिए कहा गया है, "आगे बढ़ना चाहिए, दूसरों की कृपा पर नहीं।" जगत कर्मक्षेत्र है, यहाँ कर्महीन व्यक्ति की किस्मत भी सो जाती है और भगवान भी उन्हीं लोगों को साथ देता है जो मेहनत ज्यादा और किस्मत को दोष कम देते हैं।

आलसी न बनें-

जिसने भी ऊँचाई हासिल की, पहले आलस्य को दूर भगाया। असंभव को संभव तभी किया जा सकता है जब हम आलस्य से दूर रहें। आलस्य जीवित व्यक्ति की चिता है। टॉलस्टॉय ने कहा था, "जीवन है तो आनंद है, मेहनत ही जीवन है।" आलस्य ही मानव जीवन की प्रगति में बाधा है। इसे त्यागकर परिश्रम करना हमें व्यवहार कुशल बनाता है, जो हमें महान लोगों की श्रेणी में ले जाता है। आलसी व्यक्ति जल्दी वृद्ध हो जाते हैं जबकि मेहनत करने वाले चिरयुवा रहते हैं। सुकरात ने 60 वर्षों के बाद संगीत सीखा और प्लेटो 80 वर्षों तक सक्रिय रहे। उन्नति कहीं से भी नहीं आती, आलस्य को त्यागकर ही मनुष्य धीरे-धीरे अपनी उन्नति कर सकता है।



विपरीत परिस्थितियों का सामना करें-

व्यक्ति को महावीर तभी कहा जाता है जब वह विकट परिस्थितियों का सामना हँसकर करता है। "दुःख आता है सुख देने को, मन क्यों घबराता है? जब तेज गर्मी पड़ती है तो बादल बरसता है।" जिसने उन्नति करने का निश्चय किया है, उसे विपत्तियों का सामना करना पड़ेगा। मुश्किलें मनुष्य को आग में तपाकर कुंदन बनाती हैं जिससे वह कभी असफल नहीं होता। साहसी व्यक्ति ही सफलता प्राप्त करते हैं। जीवन एक झूले की तरह है, कभी ऊपर जाता है तो कभी नीचे। मुसीबतें हमारा इम्तिहान लेने आती हैं कि हम कितने मज़बूत हैं।

एक कर्म सील व्यक्ति को समस्या में भी संभावना नजर आती है और एक निराशावादी व्यक्ति को संभावना में भी समस्या दिखाई देती है यदि हम गिरते हैं तो अधिक अच्छी तरह से चलने का और होना सीख जाते हैं इसलिए जब भी जिंदगी में कोई बुरी स्थिति या अंधकार नज़र आए तो समझ लेना कि परमात्मा हमारे भविष्य की सुंदर तस्वीर का निर्माण कर रहा है इसलिए असफलता भी सफलता की पहली सीढ़ी मानी गई है जो आपके  नीव को और मजबूत बनाती है। इसलिए कभी भी किसी भी असफलता से घबराएं नहीं बल्कि फिर दोबारा और ज्यादा डटकर खड़े  हो जाऔ और यकीन मानो आपको कोई सफल होने से रोक नहीं सकता।


शान अर्जित करते रहें-

प्लेटो ने कहा था, "अनपढ़ रहने से जन्म न लेना ही बेहतर है, क्योंकि अज्ञान आपदाओं का मूल है।" किसी के गुणों की प्रशंसा में समय न गवाएँ बल्कि उनके गुणों को अपनाने का प्रयास करें। शिक्षित व्यक्ति के संपर्क से हम विवेक और सोचने की शक्ति प्राप्त करते हैं। किसी काम को न आना बुरी बात नहीं, बल्कि सीखने की कोशिश न करना बुरी बात है। प्रकृति के नियमों के अनुसार चलकर ही हम उन्नति कर सकते हैं। "प्रातः काल की वायु का सेवन करने से बल, विद्या और धन बढ़ता है।" महत्वकांक्षा को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत ही एकमात्र विकल्प है। किसी काम को ना आना बुरी बात नही है, बल्कि किसी काम की कोशिश ना करना और भी बुरी बात है। इसलिए अगर जिंदगी में सफल होना है सफलता का केवल एक ही मंत्र है जो भी कम करो उसको नियम से करते रहो । कभी पीछे मत हटो सफलता अवश्य मिलेगी


समय का सदुपयोग करें-

यदि हमें जीवन से प्यार है तो समय को व्यर्थ न गवाएँ, क्योंकि जीवन इसी से बना है। बीता हुआ समय कभी वापस नहीं आता। समय का सदुपयोग ही विकास का मूलमंत्र है। समय के महत्व को समझने वालों को सफलता अवश्य मिलती है। बेंजामिन फ्रैंकलिन ने एक ग्राहक को समय की कीमत समझाने के लिए पुस्तक के अधिक पैसे इसलिए बताए थे क्योंकि उसने बार-बार पुस्तक का मूल्य पूछकर उनका समय बर्बाद किया था।



सकारात्मक विचार रखें-

महात्मा बुद्ध ने कहा था, "हमारे वर्तमान विचार ही हमारे भविष्य को निर्धारित करते हैं।" अच्छे विचार ही शुभ कर्मों के बीज हैं। समस्याएँ चाहे कितनी भी बड़ी क्यों न हों, घबराने से नहीं, बल्कि ईश्वर से सुमति मांगते हुए उनका सामना करना चाहिए। "हम खुद अपने भविष्य के निर्माता हैं।" इसलिए, हमें हमेशा सकारात्मक सोच रखनी चाहिए। इस प्रकार के गुणों को अपनाकर हम अपने जीवन को सफल बना सकते हैं और ऊँचाइयों तक पहुँच सकते हैं।

निष्कर्ष-

जीवन में सफलता के लिए भाग्य और कर्म दोनों का महत्वपूर्ण स्थान है। भाग्य अवसर प्रदान करता है, लेकिन केवल कर्मशील व्यक्ति ही उन अवसरों का सही लाभ उठा सकते हैं। कर्मशीलता, आलस्य से दूर रहना, विपरीत परिस्थितियों का सामना करना, समय का सदुपयोग, और सकारात्मक विचार रखना, ये सभी गुण हमें जीवन में सफल बनाने में सहायक हैं। कर्म और संकल्प के बिना भाग्य भी निष्क्रिय हो जाता है। इसलिए, हमें अपने जीवन की दिशा खुद तय करनी चाहिए और अपने कर्मों से अपने भाग्य को संवारना चाहिए। सफलता उन्हीं के कदम चूमती है जो अपने प्रयासों में दृढ़ रहते हैं और कभी हार नहीं मानते।


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