सोयाबीन खाने के फायदे: उच्च प्रोटीन, स्वास्थ्य लाभ और सही सेवन समय

सोयाबीन के फायदे और सोयाबीन खाने का सही तरीका-

सोयाबीन और इसके खाद्य पदार्थ आजकल बाजार में विभिन्न नामों से बहुत प्रचलित हो रहे हैं। हालांकि, हमारे देश की बड़ी आबादी इनके गुणों से अभी भी अपरिचित है। विश्व के कई देशों ने सोयाबीन की पैदावार में उल्लेखनीय प्रगति की है, जिनमें ब्राजील, रोमानिया, पैरागुए और अर्जेंटीना प्रमुख हैं। भारत भी कृषि उत्पादन में सुधार की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है और सोयाबीन पर विशेष ध्यान दे रहा है।

 वर्तमान में सोयाबीन का बड़ा हिस्सा तेल निकालने के लिए उद्योगों में उपयोग किया जाता है, जबकि कुछ मात्रा वसा मुक्त करने के बाद सोयाबीन के खाद्य पदार्थों के निर्माण में प्रयुक्त होती है।

विभिन्न देशों में सोयाबीन का उपयोग कई प्रकार के लोकप्रिय खाद्य पदार्थ बनाने में किया जा रहा है। सोयाबीन प्रोटीन, तेल और खनिजों का उत्तम स्रोत है, जिसमें लगभग 40 प्रतिशत प्रोटीन, 20 प्रतिशत तेल, 26 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट, 4 प्रतिशत खनिज और 2 प्रतिशत फास्फोलिपिड्स होते हैं। चूंकि सोयाबीन में फास्फोरस और लेसीथिन की अच्छी मात्रा होती है, इसलिए यह स्नायु रोगों के लिए फायदेमंद है। इसमें जल और वसा में घुलनशील विटामिन्स की भी पर्याप्त मात्रा पाई जाती है। 


सोया प्रोटीन की पौष्टिकता जानवरों के प्रोटीन के समान ही मानी जाती है, सिवाय इसके कि इसमें मियाइओनिन नामक अमीनो एसिड की कमी होती है। शाकाहारी लोगों के लिए सोयाबीन मांस का उत्कृष्ट विकल्प हो सकता है।


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सोयाबीन से अत्यधिक मात्रा में प्रोटीन मिलती है, जो इसे विश्व स्तर पर महत्वपूर्ण बनाती है। विश्व में सोया खाद्य पदार्थों से प्राप्त प्रोटीन अन्य खाद्य पदार्थों से प्राप्त प्रोटीन का लगभग दो तिहाई हिस्सा है।

फूड प्रोटीन काउंसिल (यूएसए) के आंकड़ों के अनुसार, अमेरिका में प्रतिवर्ष 100 करोड़ किलोग्राम से अधिक खाद्य सोया प्रोटीन का उपयोग होता है। जापान में प्रति व्यक्ति औसतन 10 ग्राम सोया प्रोटीन का प्रतिदिन उपयोग होता है, जबकि दक्षिण पूर्व एशिया के कुछ देशों में यह मात्रा 30 ग्राम प्रतिदिन तक है।

सोयाबीन में अधिक प्रोटीन और लाइसिन की मात्रा के कारण इसका उपयोग आजकल गेहूं के उत्पादनों की पौष्टिकता बढ़ाने में भी किया जा रहा है। कई देशों में सोयाबीन के आटे का उपयोग बच्चों के खाद्य पदार्थों में किया जाता है, जैसे कि भारत में "बालाहार" और "बाल-अमूल" में।

कोलंबिया और मेक्सिको में इसे "इनकेपेरिना," ब्राजील में "सीरियलीना," अमेरिका में "सेफाप्रो" या "सीएसएस" और "डब्लू एसएस" तथा दक्षिण अफ्रीका में "प्रोनेट्रो" के नाम से जाना जाता है। भारत में सोयाबीन का आटा चपाती, पूड़ी और अन्य स्वादिष्ट व्यंजन बनाने में बेसन या चने के आटे की तरह प्रयोग किया जाता है।

वर्तमान में, सोयाबीन के आटे का उपयोग व्यावसायिक स्तर पर सोया आइसक्रीम, सोया खिचड़ी और सोया नट्स आदि बनाने में किया जा रहा है। 

कई एंटीबायोटिक्स के उत्पादन में सोयाबीन का आटा प्रोटीन का अच्छा स्रोत होने के कारण फंगस उत्पन्न करने के लिए भी उपयोग होता है।

प्रोटीन के कुपोषण को रोकने के लिए गेहूं के आटे में सोयाबीन का आटा मिलाना लोकप्रिय हो रहा है। निम्न आय वर्ग के बच्चों और ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को कुपोषण से बचाने के लिए कुछ कार्यक्रम भी शुरू किए जा रहे हैं।

चीन और जापान में सोयाबीन का दूध काफी लोकप्रिय है और इसके दूध से बने खाद्य पदार्थ रोज के भोजन में शामिल किए जाते हैं। चीन में नवजात शिशुओं को सोयाबीन का दूध दिया जाता है। पनीर और दही भी सोयाबीन के दूध से बनाए जाते हैं।

भारत में भी सोयाबीन के दूध का महत्त्व काफी है। ऐसे बच्चे जिन्हें गाय या भैंस का दूध माफिक नहीं आता, उनके लिए सोयाबीन का दूध वरदान साबित होता है।

इसकी आसान विधि के कारण यह जन साधारण में लोकप्रिय हो रहा है। महाराष्ट्र में सोया दूध और दही के उत्पादन के लिए उद्योग की स्थापना की गई है। अन्य शीतल पेय पदार्थों की तरह सोयाबीन का सुगंधित शीतल दूध अब बाजार में पॉलीथीन की थैली में भी उपलब्ध है। बच्चों के लिए सोयाबीन का सूखा दूध पाउडर बाजार में मिलता है। सोयाबीन के दूध में विटामिन और खनिज मिलाने से इसकी गुणवत्ता और भी बढ़ जाती है।

किण्वित प्रक्रिया द्वारा सोयाबीन के विभिन्न खाद्य पदार्थों का उपयोग चीन, जापान, कोरिया और इंडोनेशिया में किया जाता है। किण्वित सोया खाद्य पदार्थों के उपयोग से अपच और वायु विकार जैसी समस्याएं नहीं होतीं।

वनस्पति उद्योग में सोयाबीन का तेल बहुतायत में उपयोग होता है। अन्य उद्योगों में, जैसे रंग, रोगन, साबुन, स्याही और कॉस्मेटिक्स में भी इसका प्रयोग होता है।

सोयाबीन का तेल लेसीथिन का अच्छा स्रोत होने के कारण यह डबल रोटी, चॉकलेट और दवाओं के उद्योगों में बहुत उपयोगी होता है। चपाती में सोयाबीन का लेसीथिन मिलाने से यह नर्म और लंबे समय तक ताजी रहती है। इन सभी तथ्यों से स्पष्ट है कि सोयाबीन के खाद्य पदार्थों का उपयोग कुपोषण से बचाव में सहायक है। इसाइल और कोलंबिया में इसीलिए यह आवश्यक कर दिया गया है कि डबल रोटी में पांच प्रतिशत सोयाबीन का आटा मिलाया जाए।


सोयाबीन खाने का तरीका-

1.सोया चंक्स (सोया बीन नगेट्स)

  • तरीका: सोया चंक्स को पानी में उबालकर नरम करें और फिर इसे सब्जी, पुलाव या करी में मिलाकर खाएं।

  • उपयोग: इसे मांस के विकल्प के रूप में उपयोग किया जा सकता है और यह प्रोटीन का अच्छा स्रोत होता है।

2. सोयाबीन के अंकुरित बीज

  • तरीका: सोयाबीन के बीजों को पानी में भिगोकर अंकुरित करें और सलाद या सैंडविच में मिलाएं।

  • उपयोग: अंकुरित सोयाबीन विटामिन्स और खनिजों से भरपूर होता है और आसानी से पचता है।

3. सोया दूध

  • तरीका: सोयाबीन को पानी में भिगोकर पीस लें और फिर इस मिश्रण को छानकर सोया दूध तैयार करें। इसे ठंडा या गर्म करके पी सकते हैं।

  • उपयोग: यह दूध का बेहतरीन विकल्प है, विशेष रूप से उन लोगों के लिए जो लैक्टोज असहिष्णु हैं।

4. सोया पनीर (टोफू)

  • तरीका: सोया दूध से पनीर (टोफू) बनाएं और इसे सब्जी, सलाद या स्नैक्स में उपयोग करें।

  • उपयोग: यह उच्च प्रोटीन युक्त होता है और मांस के विकल्प के रूप में काम आता है।

5. सोया आटा

  • तरीका: सोयाबीन को पीसकर आटा बनाएं और इसे गेहूं के आटे में मिलाकर रोटी, पराठा या पकोड़े बनाएं।

  • उपयोग: यह भोजन की पौष्टिकता बढ़ाता है और प्रोटीन की मात्रा को बढ़ाने में मदद करता है।

6. सोया करी

  • तरीका: सोया चंक्स को करी के रूप में पकाएं और इसे चावल या रोटी के साथ खाएं।

  • उपयोग: यह मांसाहारी करी का एक स्वस्थ विकल्प है और प्रोटीन से भरपूर होता है।

7. सोया स्नैक्स

  • तरीका: सोया बीन्स को भूनकर या फ्राई करके स्नैक्स के रूप में खाएं।

  • उपयोग: यह एक स्वस्थ और पौष्टिक स्नैक विकल्प है।

8. सोया खिचड़ी

  • तरीका: सोया चंक्स को दाल और चावल के साथ पकाकर खिचड़ी बनाएं।

  • उपयोग: यह एक संपूर्ण भोजन है जो प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट्स से भरपूर होता है।

9. सोया इडली और डोसा

  • तरीका: इडली या डोसा के बैटर में सोया आटा मिलाकर तैयार करें।

  • उपयोग: यह पारंपरिक भारतीय व्यंजन का पौष्टिक संस्करण है।

10. सोया सूप

  • तरीका: सोया बीन्स को उबालकर पीस लें और इसका सूप बनाएं। इसे सब्जियों के साथ मिलाकर और भी पौष्टिक बनाया जा सकता है।

  • उपयोग: यह एक हल्का और स्वस्थ विकल्प है, विशेषकर सर्दियों में।

11. सोया आइसक्रीम

  • तरीका: सोया दूध से आइसक्रीम बनाएं और इसे ठंडे में खाएं।

  • उपयोग: यह उन लोगों के लिए एक बेहतरीन मिठाई विकल्प है जो डेयरी से बचना चाहते हैं।

12. सोया सॉस

  • तरीका: सोया बीन्स से बने सोया सॉस को खाना पकाने या सलाद में स्वाद बढ़ाने के लिए उपयोग करें।

  • उपयोग: यह विभिन्न व्यंजनों में उपयोगी होता है और एक अलग स्वाद देता है।


सोयाबीन की तासीर -

सोयाबीन की तासीर (प्राकृतिक गुणधर्म) को लेकर आयुर्वेद और आधुनिक पोषण विज्ञान के अनुसार गुण-

1. प्रकृति

सोयाबीन की तासीर सामान्यतः ठंडी (शीतल) मानी जाती है। इसका अर्थ यह है कि यह शरीर में ठंडक लाने का कार्य करता है और गर्म तासीर वाले भोजन के संतुलन के लिए अच्छा होता है।

2. पोषण गुण

  • प्रोटीन का उच्च स्रोत: सोयाबीन प्रोटीन से भरपूर होता है और शाकाहारियों के लिए प्रोटीन का प्रमुख स्रोत माना जाता है।

  • विटामिन और खनिज: इसमें विटामिन बी, विटामिन ई, कैल्शियम, पोटैशियम, मैग्नीशियम और फास्फोरस की पर्याप्त मात्रा होती है।

  • फाइटोएस्ट्रोजन: इसमें आइसोफ्लेवोन नामक फाइटोएस्ट्रोजन होते हैं जो हार्मोन संतुलन में मदद करते हैं।

3. पाचन संबंधी गुण

  • कफ दोष: सोयाबीन कफ दोष को बढ़ा सकता है, इसलिए जिन लोगों को कफ की समस्या होती है उन्हें इसका सेवन संतुलित मात्रा में करना चाहिए।

  • वात दोष: सोयाबीन वात दोष को संतुलित करने में सहायक है, जिससे जोड़ों के दर्द और सूजन जैसी समस्याओं में आराम मिलता है।

4. ऊर्जा और स्वास्थ्य प्रभाव

  • ऊर्जा प्रदान करने वाला: सोयाबीन शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है और थकान दूर करने में मदद करता है।

  • तापमान संतुलन: ठंडी तासीर होने के कारण, यह शरीर के तापमान को संतुलित रखता है और गर्मी से राहत प्रदान करता है।

5. हानिकारक प्रभाव

  • पित्त दोष: अधिक मात्रा में सोयाबीन का सेवन पित्त दोष को बढ़ा सकता है, जिससे पाचन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।

  • अधिक ठंडक: ठंडी तासीर होने के कारण, अधिक मात्रा में इसका सेवन ठंडे मौसम में या जिन लोगों का शरीर सामान्य रूप से ठंडा रहता है, उनके लिए हानिकारक हो सकता है।


 सोयाबीन कब खाना चाहिए-

सोयाबीन का सेवन करने के लिए सही समय और स्थिति का ध्यान रखना महत्वपूर्ण है, ताकि इसके सभी पोषक तत्वों का अधिकतम लाभ मिल सके और किसी भी दुष्प्रभाव से बचा जा सके। यहाँ कुछ सुझाव दिए गए हैं कि सोयाबीन कब और कैसे खाना चाहिए-

1. सुबह का समय

  • नाश्ते में शामिल करें: सोयाबीन से बने उत्पाद, जैसे सोया दूध, टोफू या सोया चंक्स को नाश्ते में शामिल करना फायदेमंद होता है। यह प्रोटीन और ऊर्जा प्रदान करता है जो आपको दिनभर ऊर्जावान बनाए रखता है।

  • अंकुरित सोयाबीन: सोयाबीन को रात भर भिगोकर अंकुरित कर लें और सुबह सलाद या नाश्ते में खा सकते हैं। यह पाचन को बढ़ावा देता है और पोषण से भरपूर होता है।

2. दोपहर का भोजन

  • मुख्य भोजन के रूप में: दोपहर के भोजन में सोयाबीन से बने विभिन्न व्यंजन, जैसे सोया करी, सोया पुलाव, या सोया चपाती, शामिल कर सकते हैं। यह प्रोटीन की आवश्यकता पूरी करने के साथ-साथ संतुलित भोजन प्रदान करता है।

  • सोया स्नैक्स: दोपहर के समय सोया चिप्स या भुने हुए सोया बीन्स स्नैक के रूप में खाना अच्छा विकल्प हो सकता है।

3. शाम का समय

  • हल्के स्नैक्स: शाम के समय हल्के और पौष्टिक स्नैक्स, जैसे सोया इडली, सोया सूप या सोया सैंडविच, का सेवन कर सकते हैं। ये पेट भरने के साथ ही हल्के होते हैं और रात के भोजन के लिए अधिक भूख पैदा नहीं करते।

  • सोया शेक: सोया दूध से बने शेक या स्मूदी का सेवन शाम के समय किया जा सकता है।

4. रात का भोजन

  • हल्का भोजन: सोयाबीन का सेवन रात के भोजन में कम मात्रा में और हल्के रूप में करना चाहिए, जैसे सोया सूप या टोफू सलाद। सोयाबीन पचने में थोड़ा समय लेता है, इसलिए इसे भारी मात्रा में रात में खाने से बचना चाहिए।

  • कम तले हुए व्यंजन: रात में सोयाबीन के तले हुए या भारी मसालेदार व्यंजन से बचें, क्योंकि यह पाचन को प्रभावित कर सकता है।

5. विशेष परिस्थितियाँ

  • व्यायाम के बाद: सोयाबीन से बना प्रोटीन शेक या टोफू, व्यायाम के बाद मांसपेशियों को पुनर्निर्माण और ऊर्जा पुनः प्राप्त करने में मदद करता है।

  • बीमारी के दौरान: अगर आपको किसी भी प्रकार का पाचन या कफ दोष है, तो सोयाबीन का सेवन डॉक्टर की सलाह पर ही करें।

6. संयमित सेवन

  • संतुलित मात्रा में: सोयाबीन का सेवन सीमित मात्रा में और अन्य खाद्य पदार्थों के साथ मिलाकर करें, ताकि किसी भी प्रकार के दुष्प्रभाव से बचा जा सके।

सोयाबीन खाने के फायदे-

सोयाबीन का सेवन स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी होता है। इसमें प्रोटीन, विटामिन, और खनिज जैसे महत्वपूर्ण पोषक तत्व प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। यहाँ सोयाबीन खाने के लाभ-

1. उच्च प्रोटीन स्रोत

  • मांसाहार का विकल्प: सोयाबीन में लगभग 40% प्रोटीन होता है, जो इसे मांस का बेहतरीन विकल्प बनाता है, विशेष रूप से शाकाहारी और वेगन लोगों के लिए।

  • मांसपेशियों की वृद्धि: प्रोटीन मांसपेशियों की वृद्धि और पुनर्निर्माण में मदद करता है, जो इसे व्यायाम करने वाले लोगों के लिए उपयुक्त बनाता है।

2. हृदय स्वास्थ्य

  • कोलेस्ट्रॉल कम करता है: सोयाबीन में संतृप्त वसा कम और असंतृप्त वसा अधिक होती है, जो कोलेस्ट्रॉल स्तर को कम करने में मदद करती है।

  • रक्तचाप को नियंत्रित करता है: सोयाबीन में मौजूद पोटैशियम और मैग्नीशियम रक्तचाप को नियंत्रित करने में सहायक होते हैं।

3. हड्डियों की मजबूती

  • कैल्शियम और फास्फोरस का स्रोत: इसमें कैल्शियम और फास्फोरस अच्छी मात्रा में होते हैं, जो हड्डियों को मजबूत बनाते हैं और ऑस्टियोपोरोसिस के जोखिम को कम करते हैं।

4. पाचन स्वास्थ्य

  • फाइबर का अच्छा स्रोत: सोयाबीन में उच्च मात्रा में आहार फाइबर होता है, जो पाचन तंत्र को स्वस्थ रखता है और कब्ज जैसी समस्याओं को दूर करता है।

  • प्रोबायोटिक गुण: सोयाबीन से बने खाद्य पदार्थ, जैसे मिसो और टेम्पेह, प्रोबायोटिक गुणों के लिए जाने जाते हैं, जो आंत की सेहत में सुधार करते हैं।

5. वजन प्रबंधन

  • कम कैलोरी और अधिक पोषक तत्व: सोयाबीन कम कैलोरी में अधिक पोषण प्रदान करता है, जिससे यह वजन घटाने और प्रबंधन में मदद करता है।

  • भूख को नियंत्रित करता है: इसमें फाइबर और प्रोटीन की अधिकता से पेट भरा महसूस होता है, जो भूख को नियंत्रित करता है।

6. मधुमेह प्रबंधन

  • ब्लड शुगर को नियंत्रित करता है: सोयाबीन का ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है, जिससे यह ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है।

  • इंसुलिन संवेदनशीलता: सोयाबीन में मौजूद फाइटोएस्ट्रोजन इंसुलिन संवेदनशीलता को बढ़ावा देते हैं, जो टाइप 2 मधुमेह के जोखिम को कम करता है।

7. त्वचा और बालों के लिए फायदेमंद

  • प्रोटीन और विटामिन से भरपूर: सोयाबीन में प्रोटीन, विटामिन बी और विटामिन ई होते हैं, जो त्वचा और बालों को स्वस्थ और चमकदार बनाए रखते हैं।

  • एंटीऑक्सीडेंट गुण: इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट त्वचा को फ्री रेडिकल्स से बचाते हैं और उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा करते हैं।

8. हार्मोनल संतुलन

  • फाइटोएस्ट्रोजेन: सोयाबीन में आइसोफ्लेवोन नामक फाइटोएस्ट्रोजेन होते हैं, जो हार्मोन संतुलन को बनाए रखने में मदद करते हैं, विशेष रूप से रजोनिवृत्ति के दौरान।

  • महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए लाभकारी: यह मासिक धर्म के लक्षणों को कम करने और हड्डियों की सेहत को बनाए रखने में मददगार हो सकता है।

9. मस्तिष्क स्वास्थ्य

  • कोलिन का स्रोत: सोयाबीन में कोलिन पाया जाता है, जो मस्तिष्क के कार्यों को बेहतर बनाता है और न्यूरोलॉजिकल विकारों के जोखिम को कम करता है।

10. एनीमिया को रोकता है

  • आयरन का अच्छा स्रोत: सोयाबीन में आयरन की उच्च मात्रा होती है, जो रक्त में हीमोग्लोबिन के स्तर को बढ़ाने और एनीमिया को रोकने में सहायक है।

11. सूजन कम करता है

  • ओमेगा-3 फैटी एसिड: इसमें ओमेगा-3 फैटी एसिड होते हैं, जो शरीर में सूजन को कम करने और जोड़ों के दर्द में राहत देने में मदद करते हैं।

सोयाबीन के ये सभी फायदे इसे आपके दैनिक आहार में शामिल करने के लिए एक उत्कृष्ट विकल्प बनाते हैं। ध्यान रहे कि सोयाबीन का सेवन संतुलित मात्रा में और विविध रूप में करना चाहिए, ताकि इसके सभी लाभों का सही तरीके से उपयोग किया जा सके।

डिस्क्लेमर (Disclaimer)

इस लेख में दी गई जानकारी सामान्य स्वास्थ्य और पोषण के बारे में है, जो केवल जानकारी के उद्देश्यों के लिए प्रदान की गई है। यह जानकारी किसी चिकित्सीय सलाह, निदान, या उपचार का विकल्प नहीं है।



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