भगवान् शिव की कृपा पाने के उपाय | शिवलिंग पुजा और सोमवार के व्रत का महत्व |

भगवान शिव: सर्वश्रेष्ठ सनातन देवता

भगवान शिव समस्त देवों में सर्वोपरि हैं। उन्हें देवों के देव महादेव कहा जाता है। उन्हें आभूषण, राजमुकुट, या भव्य मंदिर की आवश्यकता नहीं होती। भगवान शिव मानसिक पूजा से ही प्रसन्न हो जाते हैं। वे सम्पूर्ण विश्व के स्वामी, विश्वरूप, सनातन, ब्रह्मा, स्वात्मरूप, और सर्वश्रेष्ठ देवता हैं।

भगवान शिव विभिन्न जीवों में एकता स्थापित करने वाले और आदर्श परिवार के प्रमुख हैं। वे भाईचारा, प्रेम, और साहचर्य के पवित्र सूत्र में बांधने वाले, सदा शान्त और शीतल मस्तिष्क वाले, और अपनी उग्रता में प्रलयंकर किंतु क्षण में सौम्य होने वाले हैं। वे कामजयी, सर्वहारा एवं उपेक्षितों के प्रति सद्भाव रखने वाले देवता हैं।

विश्व में कौन है जो पारिवारिक सुखों के धार्मिक आधार पर भगवान शिव की बराबरी कर सके? उनकी जय हो। अविनाशी, सर्वज्ञ, सर्वागुणाधार, मंगलमय भगवान शिव अनादि, अनंत, निर्विकार, नित्य अज, अमर, और सनातन सर्वोपरि देव हैं। सृजनकर्ता ब्रह्मा भी उनकी आराधना करते हैं। सभी प्रकार के सुख-समृद्धि और सम्पन्नता उन्हीं की देन हैं। भगवान राम ने भी लंका पर विजय पाने के लिए शिव की पूजा की थी।


भगवान शिव को प्रसन्न करने के उपाय-

भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए अनेक स्तुतियाँ हैं। इनमें से एक शिव-स्तुति "रुद्राष्टक" भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए सरल स्तुति है। इसके अलावा, भगवान शिव को आठ वस्तुएं अत्यन्त पसंद हैं जो वे हमेशा अपने पास रखते हैं: भस्म, सर्प, गरल (नीलकंठ), गंगा, अर्धचन्द्र, रूण्डमाला, त्रिशूल, और राम नाम का जाप।

सोमवार व्रत का महत्व

प्रत्येक सोमवार का व्रत, उपवासपूर्वक पूरी श्रद्धा सहित शिव-पार्वती जी का पूजन करने से स्त्रियों के सौभाग्य की रक्षा एवं (सुहाग) सौभाग्य सुख अवश्य मिलता है।

शिव पूजन के लिए आवश्यक जानकारियाँ

  1. नंदी: शिव का वाहन नंदी वृषभरूप में है। शिव के दर्शन करने से पहले नंदी का दर्शन करना चाहिए।

  2. शालुका: यह लिंगवेदी का घेरा है, जिसमें लिंग स्थापित होता है। इसका आकार चौकोर, गोल, या बहुकोणीय हो सकता है।

  3. लिंग: लिंग शिव का प्रतीक है और इसके तीन भाग होते हैं: ब्रह्मभाग (सबसे नीचे), विष्णु भाग (बीच का अष्टकोणीय भाग), और रूद्र भाग (गोलाई लिये हुए खड़ा हुआ भाग)।

  4. पिंडीरूप: लिंग बेदी और लिंग के संयोजन को पिंडीरूप कहते हैं।

  5. चल-पिंडी: विशेष पूजा के लिए बनाई गई पिंडी, जो पूजा के बाद विसर्जित कर दी जाती है।

  6. ज्योतिलिंग: बारह ज्योतिलिंग अनन्त शक्ति वाले और तेजस्वी रूप में प्रकट होते हैं।

  7. पशुपति नाथ: काठमांडू, नेपाल का पशुपति नाथ बारह ज्योतिलिंगों का मुकुट माना जाता है।

शिवलिंग के प्रतीकात्मक अर्थ

ईश्वर के प्रतीक चिन्ह (मूर्तियाँ) चार प्रकार से प्रकट होते हैं:

  1. स्वयंभू विग्रह: अपने आप प्रकट होने वाले जैसे सूर्य, चन्द्र, अग्नि, पृथ्वी, और दिव्य नदियाँ।

  2. निर्गुण निराकार विग्रह: प्रकृति प्रदत्त जैसे शालिग्राम, शिवलिंग, नर्मदेश्वर, रुद्राक्ष आदि।

  3. सगुण साकार विग्रह: जैसे शंख चक्र चतुर्भुज विष्णु, पचमुख शिव, सिंहवाहिनी अष्टभुजा दुर्गा।

  4. अवतार विग्रह: जैसे धनुषधारी राम, वंशी विभूषित कृष्ण, नृसिंह रूप विष्णु, दत्तात्रेय।

शिवलिंग और शालिग्राम निर्गुण निराकार का ही प्रतीक हैं, इसलिए उनमें हाथ-पाँव आदि अंगों का अस्तित्व नहीं होता। शालिग्राम समस्त ब्रह्माण्डभूत नारायण (विष्णु) का प्रतीक है।

भगवान शिव की महिमा, उनकी पूजा और विभिन्न प्रतीकों की गहरी समझ हमें उनकी भक्ति और आराधना में एक नया दृष्टिकोण प्रदान करती है। उनके अनन्य भक्तों के लिए शिव पूजा एक गहन और जीवनदायिनी अनुभव हो सकता है।

 निष्कर्ष-

भगवान शिव सनातन धर्म के सबसे महत्वपूर्ण देवता हैं, जिन्हें देवों के देव महादेव कहा जाता है। उनकी पूजा सरल और प्रभावी होती है, क्योंकि वे मानसिक पूजा से ही प्रसन्न हो जाते हैं। सावन का महीना चल रहा है जो भी भक्त आशीर्वाद हर मनोकामना के लिए भगवान शिव की आराधना करता है उनको कभी भगवान सिंह निराश नहीं करते।  शिव को आठ विशेष वस्तुएं प्रिय हैं, और उनके भक्त इन्हें पूजा में शामिल करते हैं।

शिव पूजा और सोमवार व्रत करने से भक्तों को सौभाग्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है। शिवलिंग और शालिग्राम जैसे प्रतीकों का विशेष महत्व है, जो भगवान शिव के निराकार रूप को दर्शाते हैं। शिव का वाहन नंदी, शालुका, और ज्योतिलिंग जैसे तत्व भी उनकी पूजा में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। ये सभी प्रतीक और विधियाँ भक्तों को भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने में सहायता करते हैं। शिव की पूजा का महत्व और उनका परिवारिक जीवन के प्रति दृष्टिकोण, हमें उनके जीवन और उनकी पूजा की गहराई को समझने में मदद करता है।



एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ