Motivational story in Hindi-
गुणों का महत्व -आज हम आपके साथ एक ऐसी कहानी शेयर कर रहे हैं जो हमें यहाँ शिक्षा देती है कि एक इंसान की शकल से ज़्यादा गुणों का महत्व होता है क्योंकि उम्र के अनुसार रंग रूप ढल जाएगा लेकिन गुण हमेशा इंसान के साथ रहेंगे इसलिए किसी भी इन्सान की शकल को इतना महत्व नहीं दिया जाता जितना गुणों को दिया दिया जाता है । हमारा इतिहास गवाह है बहुत सारे लोगों के पास शकल बहुत अच्छी नहीं थी पर भगवान ने अपने गुण और क़िस्मत बहुत अच्छी दी हुई थी इसलिए वह इतिहास में अपना नाम दर्ज करावर कर गये हैं.।
Motivationl story in hindi-
गुणों का महत्व-
हमारे पड़ोस में शर्मा जी का परिवार रहता था। शर्मा जी एक सरकारी अधिकारी थे और उनका स्वभाव बहुत ही सरल, शांत और सहृदय था। हमारे परिवार और शर्मा जी के परिवार के बीच गहरी मित्रता थी। मेरे पति और शर्मा जी के बीच वर्षों पुराना दोस्ताना रिश्ता था, और हम दोनों परिवार इतने घुल-मिल गए थे कि अक्सर लगता था कि हम एक ही परिवार हैं। हर निर्णय हम आपस में बातचीत करके ही लिया करते थे।
हमारे परिवार में दो बच्चे थे—एक बेटा और एक बेटी। शर्मा जी के भी दो बच्चे थे, एक बेटी रिया और एक बेटा रेयान । रिया बेहद होशियार और कुशाग्र बुद्धि की थी। वह पढ़ाई में हमेशा अव्वल आती थी और उसे गाना गाने और पेंटिंग करने का भी बहुत शौक था। खाना बनाना भी उसकी रुचियों में शामिल था। मैं और उसकी मां नीता उसे हमेशा प्रोत्साहित करते थे। रिया मुझसे बहुत जुड़ी हुई थी और अक्सर मुझसे सलाह लिया करती थी।
एक दिन नीता मेरे पास आई और बताया कि उसके भाई रिया के लिए एक अच्छा रिश्ता लेकर आए हैं, और अगले दिन लड़का देखने की बात है। रिया ने इस प्रस्ताव का विरोध किया और कहा कि वह अभी पीसीएस की तैयारी कर रही है और एक साल बाद ही शादी करना चाहती है। मैंने उसे समझाया कि सब सही समय पर हो जाएगा और चिंता करने की जरूरत नहीं है।
अगले दिन हमने रिया को तैयार किया। मैंने उसे अपनी पसंदीदा साड़ी पहनाई। रिया का रंग सांवला था, लेकिन उसके नाक-नक्श बेहद सुंदर थे। साड़ी में वह बहुत आकर्षक लग रही थी। हम सभी रेस्तरां में पहुंचे, जहां लड़के और उसके परिवार से मुलाकात होनी थी। रिया से उसकी पढ़ाई, संगीत और भविष्य के बारे में कई सवाल पूछे गए। शुरू में सब ठीक लग रहा था, लेकिन जाते-जाते लड़के वालों ने यह कहकर मना कर दिया कि उन्हें गोरी लड़की चाहिए।
ऐसे शब्द सुनना बहुत कठिन होता है। स्नेहा और उसके परिवार पर इसका गहरा असर हुआ, लेकिन हमने स्नेहा को सांत्वना दी और कहा कि उसे इससे भी बेहतर रिश्ता मिलेगा। हमने तय किया कि अब इस बारे में और चर्चा नहीं करेंगे।
इसके बाद रिया ने पीसीएस की परीक्षा दी, लेकिन इंटरव्यू में सफल नहीं हो पाई। फिर उसने पीएचडी करने का निर्णय लिया और यूनिवर्सिटी में दाखिला ले लिया। इस बीच, शादी की बातें चलती रहीं, लेकिन हर बार कोई न कोई कमी निकालकर उसे ठुकरा दिया जाता। कभी उसका विषय, तो कभी उसकी लंबाई पर सवाल उठाए गए।
इसी बीच शर्मा जी का तबादला हो गया और हम सभी बहुत उदास हो गए। हमने नीता को दिलासा दिया कि हम हमेशा उनके साथ रहेंगे।
कुछ समय बाद रिया की मेहनत रंग लाई और उसकी यूनिवर्सिटी में लेक्चरर के पद पर नियुक्ति हो गई। इसके बाद उसका विवाह एक अच्छे स्वभाव के व्यक्ति से तय हो गया, जो नौकरी में स्थिर था। हालांकि, नीता को यह लगता था कि रिया के गुणों और योग्यताओं के हिसाब से उसे और भी बेहतर लड़का मिल सकता था, लेकिन रिया ने परिस्थिति को स्वीकार कर लिया और अपनी शादी खुशी-खुशी की।
इस पूरी घटना ने मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया कि समाज में क्या वास्तव में गुणों से अधिक रूप-रंग का महत्व है?
निष्कर्ष: इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि किसी भी रिश्ते में केवल बाहरी दिखावट या रूप का महत्व नहीं होना चाहिए, बल्कि व्यक्ति के गुण, क्षमताएं और आत्मीयता अधिक महत्वपूर्ण होती हैं। रिया की कहानी यह स्पष्ट करती है कि समाज में अक्सर superficial मानकों को प्राथमिकता दी जाती है, लेकिन असली खुशहाली और संतोष किसी के चरित्र और मूल्य में छिपे होते हैं।
विवाह जैसे महत्वपूर्ण निर्णय में विचारशीलता और समझदारी आवश्यक है। विवाह केवल एक सामाजिक बंधन नहीं है, बल्कि दो आत्माओं का मिलन है, जहां आपसी सम्मान, प्रेम और सहयोग की आवश्यकता होती है। इस प्रकार, हमें किसी की बाहरी छवि से पहले उसके गुणों को देखना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हमारे रिश्ते में सभी की योग्यताओं और स्वभाव को महत्व दिया जाए।
इस कहानी से प्रेरणा लेते हुए, हमें समाज में रूढ़िवादी सोच को चुनौती देनी चाहिए और वास्तविक मूल्यों को पहचानना चाहिए। अंततः, सही साथी वही होता है, जो न केवल हमें प्यार दे, बल्कि हमें हमारी पूरी क्षमता तक पहुंचने के लिए प्रेरित भी करे।
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