इस लेख में शिव पूजन की महत्वपूर्ण विधियाँ, नियम और उनसे जुड़े प्रमुख तथ्य विस्तार से प्रस्तुत किए गए हैं।
1. शिव पूजन में शुद्धता का महत्त्व
शिव पूजन के लिए स्नान आदि से शुद्ध होकर ही पूजा करनी चाहिए। यदि संभव हो तो पूजा के समय सिले हुए वस्त्र न पहनें। पूजा के लिए आसन शुद्ध होना चाहिए और पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके पूजन करना चाहिए। पूजन से पहले संकल्प लेना आवश्यक होता है।
2. पूजन सामग्री एवं उनका महत्त्व
शिव पूजन में निम्नलिखित सामग्रियों का विशेष महत्व है:
भस्म, त्रिपुंड और रुद्राक्षमाला – पूजक को धारण करनी चाहिए।
बिल्वपत्र – शिवजी को अत्यंत प्रिय होते हैं, लेकिन चक्र और बजरहित होना चाहिए।
आक, धतूरा और नीलकमल – इनमें नीलकमल सर्वश्रेष्ठ पुष्प माना जाता है।
दूर्वा और तुलसीदल – इनमें तुलसी की मंजरियों से पूजा करना अधिक श्रेष्ठ माना गया है।
भांग (विजया) – शिवजी को विशेष रूप से प्रिय मानी जाती है।
3. पूजन के निषिद्ध तत्व
करताल बजाना – शिव पूजा में इसकी मनाही होती है।
पूर्ण परिक्रमा – शिवलिंग की पूरी परिक्रमा नहीं की जाती, बल्कि जल अर्पण स्थान का उल्लंघन किए बिना आधी परिक्रमा करनी चाहिए।
कुछ फूल वर्जित – कुटज, नागकेसर, चंपा, चमेली, मौलसिरी और केवड़ा के फूल शिव पूजन में निषिद्ध माने जाते हैं।
दो शंख, दो चक्रशिला, दो शिवलिंग, दो गणेश मूर्तियां, दो सूर्य प्रतिमाएं और तीन दुर्गा मूर्तियों का एक साथ पूजन करने से कष्ट की प्राप्ति होती है।
4. बिल्वपत्र अर्पण के नियम
बासी नहीं माने जाते – शिवजी की पूजा में तुलसी और बिल्वपत्र को बासी नहीं माना जाता, इन्हें पहले दिन तोड़कर अगले दिन भी उपयोग में लाया जा सकता है।
निषिद्ध तिथियां – चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, चतुर्दशी, अमावस्या, संक्रांति और सोमवार को बिल्वपत्र नहीं तोड़ना चाहिए।
धोकर अर्पण करें – यदि नया बिल्वपत्र न मिले, तो पहले चढ़ाए हुए बिल्वपत्र को धोकर पुनः चढ़ाया जा सकता है।
चंदन का लेप – चढ़ाने से पहले बिल्वपत्र पर चंदन का लेप लगाना चाहिए और उसे उल्टा करके अर्पित करना चाहिए।
5. शिव को प्रिय पुष्प और उनकी महत्ता
धतूरा, मदार, भांग (विजया) और अहिफेन – शिवजी के प्रिय माने जाते हैं।
अलग-अलग पुष्पों का फल –
एक आक के फूल से दस सुवर्ण दान का फल मिलता है।
हजार आक के फूलों से एक कनेर, हजार कनेर से एक बिल्वपत्र, हजार बिल्वपत्रों से एक गूमा फूल, हजार गूमा फूलों से एक अपामार्ग, हजार अपामार्ग से एक कुश, हजार कुश से एक शमी का पत्ता, हजार शमी के पत्तों से एक नीलकमल और हजार नीलकमल से एक धतूरा श्रेष्ठ माना जाता है।
फूल अर्पित करने की विधि – फूल का मुख ऊपर की ओर होना चाहिए और दाहिने हाथ की मध्यमा, अनामिका व अंगूठे की सहायता से अर्पित करना चाहिए।
6. भगवान शिव – देवों के देव महादेव
भगवान शिव राजमुकुट, सिंहासन और भव्य मंदिरों के मोह में नहीं पड़ते। वे मात्र मानसिक पूजा से भी प्रसन्न हो जाते हैं। वे वरदायक, विश्वरूप, सनातन, ब्रह्मस्वरूप, ईश्वर और समस्त देवताओं के अधिपति हैं।
7. भगवान शिव को प्रिय आठ वस्तुएं
भस्म (चिता की भस्म)
भुजंग (सर्प)
गरल (हलाहल विष, जिससे वे नीलकंठ कहलाए)
गंगा (जटाओं में विराजमान)
अर्धचंद्र (मस्तक पर स्थित)
रुंडमाला (अस्थियों की माला)
त्रिशूल (उनका दिव्य शस्त्र)
राम नाम का जाप (ध्यान)
8. सोमवार का विशेष महत्त्व
सोमवार को शिवजी की पूजा, व्रत एवं उपवास करने से स्त्रियों के सौभाग्य की रक्षा और पारिवारिक सुख की प्राप्ति होती है।
9. शिवलिंग का महत्त्व और संरचना
शिवलिंग के तीन भाग:
ब्रह्मा भाग – सबसे नीचे, चौकोर आधार।
विष्णु भाग – बीच का अष्टकोणीय भाग।
रुद्र भाग – गोलाकार शीर्ष भाग, जिसकी पूजा की जाती है।
शिवलिंग के प्रकार:
चल-पिंडी – विशेष पूजा के लिए बनाई जाती है और पूजन के बाद जल में विसर्जित कर दी जाती है।
स्थायी पिंडी – भक्तों, ऋषियों या राजाओं द्वारा स्थापित की जाती है।
स्वयंभू शिवलिंग – यह स्वाभाविक रूप से धरती से उत्पन्न होते हैं और अत्यधिक शक्तिशाली होते हैं।
10. ज्योतिर्लिंग – शिव के दिव्य स्वरूप
भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंग अनंत शक्ति के प्रतीक हैं। दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग को अधिक शक्तिशाली माना जाता है।
11. नेपाल स्थित पशुपतिनाथ मंदिर
नेपाल स्थित पशुपतिनाथ मंदिर को बारह ज्योतिर्लिंगों का मुकुट कहा जाता है।
12. शिवलिंग और शालिग्राम – ईश्वर के निराकार रूप
शिवलिंग और शालिग्राम को हाथ-पैर आदि अंगों के बिना दिखाया जाता है क्योंकि ये निर्गुण निराकार ईश्वर के प्रतीक हैं।
शालिग्राम, भगवान नारायण (विष्णु) का प्रतीक है।
निष्कर्ष
भगवान शिव की पूजा में शुद्धता, विधि और नियमों का पालन अत्यंत आवश्यक है। वे अनादि, अनंत और सर्वोपरि देवता हैं, जो मात्र भक्ति से ही प्रसन्न हो जाते हैं। विधिपूर्वक पूजा करने से भक्त को विशेष फल की प्राप्ति होती है और शिव कृपा से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है।
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