हनुमान जी की पुजा कैसे करें
हनुमान जी हिंदू धर्म में अत्यंत पूजनीय देवता हैं, जिन्हें भक्ति, शक्ति और सेवा का प्रतीक माना जाता है। वे भगवान शिव के रुद्रावतार और वानर राज केसरी एवं माता अंजनी के पुत्र हैं। उनका दूसरा नाम मारुति नंदन भी है। हनुमान जी को रामायण में भगवान श्रीराम के अनन्य भक्त के रूप में जाना जाता है। उनकी अटूट भक्ति, अद्वितीय बल और ज्ञान के कारण उन्हें संकटमोचन भी कहा जाता है।
हनुमान जी की पूजा की महत्व
मंगलवार और शनिवार को हनुमान जी की विशेष पूजा की जाती है।
उनकी पूजा करने से भय, रोग, शत्रु बाधा और नकारात्मक शक्तियाँ दूर होती हैं।
भक्तगण हनुमान चालीसा और हनुमानाष्टक का पाठ करके उन्हें प्रसन्न करते हैं।
उन्हें संकटमोचन कहा जाता है, क्योंकि वे भक्तों के सभी संकटों को हर लेते हैं।
हनुमानाष्टक कैसे करें
बाल समय रवि भक्षी लियो तब,
तीनहुं लोक भयो अंधियारों ।
ताहि सों त्रास भयो जग को,
यह संकट काहु सों जात न टारो ।
देवन आनि करी बिनती तब,
छाड़ी दियो रवि कष्ट निवारो ।
को नहीं जानत है जग में कपि,
संकटमोचन नाम तिहारो ॥ १ ॥
बालि की त्रास कपीस बसैं गिरि,
जात महाप्रभु पंथ निहारो ।
चौंकि महामुनि साप दियो तब,
चाहिए कौन बिचार बिचारो ।
कैद्विज रूप लिवाय महाप्रभु,
सो तुम दास के सोक निवारो ॥ २ ॥
अंगद के संग लेन गए सिय,
खोज कपीस यह बैन उचारो ।
जीवत ना बचिहौ हम सो जु,
बिना सुधि लाये इहाँ पगु धारो ।
हेरी थके तट सिन्धु सबै तब,
लाए सिया-सुधि प्राण उबारो ॥ ३ ॥
रावण त्रास दई सिय को सब,
राक्षसी सों कही सोक निवारो ।
ताहि समय हनुमान महाप्रभु,
जाए महा रजनीचर मारो ।
चाहत सीय असोक सों आगि सु,
दै प्रभुमुद्रिका सोक निवारो ॥ ४ ॥
बान लग्यो उर लछिमन के तब,
प्राण तजे सुत रावन मारो ।
लै गृह बैद्य सुषेन समेत,
तबै गिरि द्रोण सु बीर उपारो ।
आनि सजीवन हाथ दई तब,
लछिमन के तुम प्रान उबारो ॥ ५ ॥
रावन युद्ध अजान कियो तब,
नाग कि फाँस सबै सिर डारो ।
श्रीरघुनाथ समेत सबै दल,
मोह भयो यह संकट भारो ।
आनि खगेस तबै हनुमान जु,
बंधन काटि सुत्रास निवारो ॥ ६ ॥
बंधु समेत जबै अहिरावन,
लै रघुनाथ पताल सिधारो ।
देबिहिं पूजि भलि विधि सों बलि,
देउ सबै मिलि मन्त्र विचारो ।
जाय सहाय भयो तब ही,
अहिरावन सैन्य समेत संहारो ॥ ७ ॥
काज किये बड़ देवन के तुम,
बीर महाप्रभु देखि बिचारो ।
कौन सो संकट मोर गरीब को,
जो तुमसे नहिं जात है टारो ।
बेगि हरो हनुमान महाप्रभु,
जो कछु संकट होय हमारो ॥ ८ ॥
॥ दोहा ॥
लाल देह लाली लसे,
अरु धरि लाल लंगूर ।
वज्र देह दानव दलन,
जय जय जय कपि सूर ॥
हनुमानाष्टक करने के लाभ:
संकटों का नाश:हनुमानाष्टक का पाठ करने से जीवन के सभी प्रकार के संकट, भय और बाधाएँ दूर होती हैं।
नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति:इसे नियमित रूप से पढ़ने से घर और मन से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और सकारात्मकता का संचार होता है।
मानसिक शांति और आत्मबल:व्यक्ति को मानसिक शांति मिलती है और आत्मबल में वृद्धि होती है।
आरोग्य और स्वास्थ्य लाभ:यह पाठ स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों को दूर करने में सहायक होता है।
कर्ज और आर्थिक समस्या से राहत:जिन लोगों पर कर्ज है या आर्थिक समस्याओं से घिरे हुए हैं, उनके लिए हनुमानाष्टक विशेष रूप से लाभकारी है।
भय और शत्रु नाश:अगर किसी को अनावश्यक भय सताता है या शत्रु बाधा देता है, तो यह पाठ सुरक्षा प्रदान करता है।
ग्रह दोष निवारण:शनि, राहु और केतु के अशुभ प्रभावों को कम करने में भी हनुमानाष्टक प्रभावी माना जाता है।
हनुमानाष्टक करने का सही समय:
मंगलवार और शनिवार:हनुमान जी का वार मंगलवार और शनिवार माना जाता है। इन दिनों विशेष रूप से हनुमानाष्टक का पाठ करना शुभ होता है।
सुबह या संध्या समय:प्रातःकाल सूर्योदय के समय या संध्या को सूर्यास्त के समय शुद्ध होकर पाठ करना उत्तम माना जाता है।
संकट के समय:यदि जीवन में किसी भी प्रकार का संकट आ जाए, तो प्रतिदिन हनुमानाष्टक का पाठ करना शीघ्र फलदायी होता है।
एकाग्रता और श्रद्धा:पाठ करने से पहले स्नान कर पवित्र स्थान पर बैठें और भगवान हनुमान जी का ध्यान करें।
व्रत और उपवास:यदि संभव हो, तो मंगलवार या शनिवार को व्रत रखकर हनुमानाष्टक का पाठ करें।
विशेष उपाय:हनुमानाष्टक का पाठ करते समय लाल वस्त्र पहनना और हनुमान जी को चोला चढ़ाना शुभ होता है।
गुड़ और चने का भोग लगाना और निर्धनों को बांटना भी अत्यंत लाभकारी होता है।
पाठ समाप्त करने के बाद हनुमान चालीसा या सुंदरकांड का पाठ भी कर सकते हैं।
यदि यह नियमपूर्वक श्रद्धा और भक्ति से किया जाए, तो सभी प्रकार के संकटों से शीघ्र ही मुक्ति मिलती है।
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