उसे सिखाना चाहिए कि उसके माता-पिता का हस्तक्षेप ससुराल के मामलों में अनावश्यक हो सकता है, जिससे उसके वैवाहिक जीवन में अस्थिरता आ सकती है।
बेटी को यह भी समझाना चाहिए कि उसकी सास उससे अधिक अनुभवशील और दुनियादारी में परिपक्व है। सास के अनुभवों का सम्मान करना और उनकी इच्छाओं को प्राथमिकता देना एक सुसंस्कारी बहू का कर्तव्य है। किसी के हृदय को जीतने का सबसे प्रभावी तरीका प्रेम, विश्वास, ममता और त्याग है। जब बहू अपने ससुराल में इस भाव से सेवा करेगी, तो वह स्वयं को पराया महसूस नहीं करेगी और परिवार का अभिन्न अंग बन जाएगी।
ससुराल में बेटी का आचरण कैसा हो?
बेटी को ससुराल में अपने व्यवहार और दिनचर्या पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
कुछ महत्वपूर्ण बातें जो उसे ध्यान में रखनी चाहिए:
समय पर जागना:
ससुराल में सबसे पहले उठने की आदत डालें। देर तक सोने की आदत त्याग दें और घर के नियमों का पालन करें।
ससुराल के रीति-रिवाज अपनाना:
मायके की आदतों और नियमों को ससुराल पर न थोपें, बल्कि वहां की परंपराओं को अपनाने की कोशिश करें।
घर के सभी सदस्यों का सम्मान करना:
सास-ससुर, ननद-देवर, जेठ-जिठानी सभी के साथ सौहार्दपूर्ण व्यवहार करें और उन्हें अपने परिवार की तरह मानें।
संवाद में मधुरता: हमेशा शांत और मधुर स्वर में बातचीत करें। ऊंची आवाज में बोलने से घर का वातावरण खराब हो सकता है।
अभिमान से बचें:
अपने रूप, गुण, सौंदर्य और प्रतिभा पर अहंकार न करें। विनम्रता ही रिश्तों की नींव होती है।
नकारात्मक प्रभावों से दूर रहें: पड़ोसियों और रिश्तेदारों की बातों में आकर सास-बहू या परिवार के अन्य सदस्यों के प्रति गलतफहमी न पालें।
दहेज को लेकर संकीर्ण मानसिकता न रखें:
मायके से मिली चीजों पर सिर्फ अपना अधिकार न समझें, बल्कि ससुराल वालों के साथ मिल-बांटकर उपयोग करें।
सास के लिए उपयोगी सुझाव
सिर्फ बहू ही नहीं, सास को भी यह समझना चाहिए कि बहू भी किसी की बेटी है।
यदि वह कोई गलती करती है, तो उसे प्यार और धैर्य से समझाएं। सास को चाहिए कि वह बहू को डांटने या ताने देने की बजाय, उसे मार्गदर्शन देकर उसके साथ एक मजबूत रिश्ता बनाए। कुछ महत्वपूर्ण बातें जो सास को ध्यान में रखनी चाहिए:
बहू की आलोचना न करें: दूसरों के सामने बहू की निंदा करने से रिश्तों में कड़वाहट आती है। इससे बहू के मन में सास के प्रति घृणा उत्पन्न हो सकती है।
बहू को स्वतंत्रता दें:
बहू को घूमने-फिरने और अपनी रुचियों को अपनाने की आज़ादी दें। उसे हर समय केवल घरेलू कार्यों में न बांधें।
मायके को लेकर ताने न दें:
बहू मायके से कुछ लेकर आए या न लाए, इसे लेकर कभी ताना न मारें। उसके माता-पिता का सम्मान करें, क्योंकि वे भी अपनी बेटी को खुश देखना चाहते हैं।
ससुराल को
बहू का घर बनाएं:
बहू को घर का सदस्य समझें, न कि एक बाहरी व्यक्ति। जब उसे अपनापन मिलेगा, तो वह भी पूरे दिल से परिवार के लिए समर्पित रहेगी।
पति-पत्नी का रिश्ता: समझदारी और समर्पण की कसौटी
पति-पत्नी का रिश्ता केवल प्रेम पर नहीं, बल्कि आपसी समझ और समर्पण पर भी टिका होता है। पत्नी को चाहिए कि वह अपने पति का सच्चा साथ निभाए और उसकी कमजोरी को सार्वजनिक करने की बजाय, उसे दूर करने की कोशिश करे।
पति के साथ किसी विषय पर असहमति हो सकती है, लेकिन उसे झगड़े में बदलने के बजाय, शांतिपूर्वक हल निकालने का प्रयास करें।
अपने पति के परिवार को अपना समझें और उनके साथ वही प्रेम और सम्मान रखें, जो अपने मायके में माता-पिता के लिए रखती थीं।
ननद को छोटी बहन और जेठ को बड़ा भाई मानें, जिससे पारिवारिक रिश्ते मजबूत बने रहें।
विवाह एक पवित्र बंधन है, इसे क्षणिक क्रोध से नष्ट न करें
आधुनिक युग में पति-पत्नी के बीच छोटी-छोटी बातों पर तकरार होना आम बात हो गई है, लेकिन यह तकरार जब मन-मुटाव में बदल जाती है, तो रिश्ता कमजोर होने लगता है। क्रोध के क्षणों में लिया गया कोई भी गलत निर्णय परिवार को उजाड़ सकता है। इसलिए जरूरी है कि पति-पत्नी के बीच संवाद की मिठास बनी रहे और वे एक-दूसरे को समझने का प्रयास करें।
निष्कर्ष -
बेटी को केवल धन-संपत्ति देकर विदा करना पर्याप्त नहीं है, बल्कि उसे ऐसे संस्कार देने चाहिए, जो उसे जीवनभर ससुराल में सम्मान और प्रेम दिला सकें। ससुराल में वह सिर्फ एक बहू नहीं, बल्कि पूरे परिवार की धुरी बनती है। इसलिए उसे सिखाएं कि प्रेम, धैर्य, त्याग और समझदारी से वह अपने ससुराल को भी मायके की तरह अपना बना सकती है।
सास और बहू दोनों के बीच परस्पर समझ और सम्मान का रिश्ता होना आवश्यक है, ताकि परिवार में शांति और सद्भाव बना रहे। जब दोनों एक-दूसरे को अपनाएंगे, तो पूरा परिवार प्रेम और सौहार्द का प्रतीक बन जाएगा।
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