नकारात्मकता से बचें, जीवन को सकारात्मक बनाए-
आज के डिजिटल युग में हम हर समय ख़बरों और जानकारियों से घिरे रहते हैं। नई-नई सूचनाओं से अपडेट रहना ज़रूरी भी है, लेकिन जब ये जानकारियाँ लगातार नकारात्मक होने लगें, तो यह हमारे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित हो सकता है।
कई शोधों में यह पाया गया है कि यदि कोई व्यक्ति लगातार नकारात्मक खबरें, हिंसात्मक वेब सीरीज, या दुखद घटनाओं से जुड़ी फ़िल्में देखता है, तो इसका असर उसकी सोच, व्यवहार और जीवनशैली पर पड़ता है। धीरे-धीरे व्यक्ति के मन में निराशा घर कर जाती है और वह डूमस्क्रॉलिंग का शिकार हो सकता है।
लेकिन यह डूमस्क्रॉलिंग क्या है? और यह हमारे मानसिक स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित करती है? आइए विस्तार से समझते हैं।
क्या है डूमस्क्रॉलिंग?
डूमस्क्रॉलिंग एक ऐसी आदत है जिसमें व्यक्ति लगातार नकारात्मक समाचारों को पढ़ता या देखता रहता है, चाहे वह उसके लिए उपयोगी हो या नहीं। इस दौरान व्यक्ति लगातार अपने मोबाइल, लैपटॉप या टीवी पर खबरें स्क्रॉल करता रहता है और बार-बार वही भयावह या दुखद समाचार देखने की आदत बना लेता है।
इस आदत का सबसे बड़ा ख़तरा यह है कि यह हमारे दिमाग में नकारात्मकता को बढ़ावा देती है। यह सिर्फ़ मानसिक स्वास्थ्य को ही नहीं, बल्कि शारीरिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर सकती है।
डूमस्क्रॉलिंग से कैसे होता है नुकसान?
नकारात्मक समाचारों या कंटेंट को लगातार देखने से हमारे मस्तिष्क में तनाव हॉर्मोन, जैसे कि कॉर्टिसोल और एड्रेनेलिन, अधिक मात्रा में रिलीज़ होने लगते हैं। इससे कई मानसिक और शारीरिक समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं, जैसे कि:
मानसिक प्रभाव:
चिंता (एंग्जायटी) और अवसाद (डिप्रेशन) बढ़ सकता है।
अनावश्यक भय और नकारात्मक सोच विकसित हो सकती है।
आत्मविश्वास में कमी आ सकती है।
शारीरिक प्रभाव:
सिरदर्द, अनिद्रा और पीठ दर्द जैसी समस्याएँ हो सकती हैं।
शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता (इम्यून सिस्टम) कमजोर हो सकती है।
हृदय से जुड़ी बीमारियों का ख़तरा बढ़ सकता है।
इसलिए, यदि आपको भी महसूस हो रहा है कि आप लगातार नकारात्मक खबरों में उलझे हुए हैं, तो अब समय है इस आदत से बाहर निकलने का।
कैसे बचें डूमस्क्रॉलिंग से?
अगर आप भी नकारात्मकता से घिर गए हैं और इससे बचना चाहते हैं, तो कुछ आसान उपाय अपनाकर अपने मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बना सकते हैं:
1. सोशल मीडिया पर समय सीमा तय करें
हर दिन घंटों सोशल मीडिया या न्यूज़ पोर्टल्स पर बिताने की बजाय, समय सीमा निर्धारित करें। उदाहरण के लिए, न्यूज़ देखने या पढ़ने के लिए दिन में सिर्फ़ 15-30 मिनट ही तय करें और अनावश्यक स्क्रॉलिंग से बचें।
2. सकारात्मक कंटेंट पर ध्यान दें
नकारात्मक खबरों की बजाय सकारात्मक या प्रेरणादायक कहानियाँ पढ़ें। कॉमेडी फिल्में देखें, मोटिवेशनल स्पीच सुनें और ऐसी चीजें अपनाएँ जो आपको खुशी दें।
3. ध्यान (मेडिटेशन) और व्यायाम करें
ध्यान और योग मानसिक शांति प्रदान करते हैं और तनाव को कम करते हैं। नियमित व्यायाम करने से शरीर में एंडॉर्फिन नामक हॉर्मोन रिलीज़ होता है, जो आपको खुश और तनावमुक्त रखने में मदद करता है।
4. नकारात्मक बातचीत से बचें
अपने दोस्तों, परिवार और सहकर्मियों के साथ बातचीत के दौरान नकारात्मक विषयों पर चर्चा करने से बचें। इसके बजाय सकारात्मक और प्रेरणादायक विषयों पर बात करें।
5. डिजिटल डिटॉक्स अपनाएँ
हफ़्ते में कम से कम एक दिन ऐसा रखें जब आप सोशल मीडिया, न्यूज़ और डिजिटल डिवाइसेस से पूरी तरह दूर रहें। इस समय का उपयोग खुद के लिए करें – किताबें पढ़ें, कुदरत के करीब जाएँ, या अपनी पसंदीदा हॉबी में समय बिताएँ।
6. नई हॉबी अपनाएँ
अगर आपको खाली समय में न्यूज़ स्क्रॉल करने की आदत हो गई है, तो उसे किसी नई हॉबी से बदलें। जैसे कि पेंटिंग, म्यूजिक, गार्डनिंग, कुकिंग, या कोई नया कौशल सीखना। यह आपको नकारात्मकता से दूर रखेगा।
7. ग्रैटिट्यूड (आभार) जर्नल लिखें
रोज़ाना दिन के अंत में एक डायरी में उन चीज़ों को लिखें जिनके लिए आप आभारी हैं। यह आपकी सोच को सकारात्मक बनाए रखने में मदद करेगा।
8. नींद और आहार का ध्यान रखें
अच्छी नींद और सही खान-पान मानसिक और शारीरिक सेहत के लिए ज़रूरी हैं। अगर आप लगातार थकान या चिड़चिड़ापन महसूस कर रहे हैं, तो अपने सोने और खाने की आदतों पर ध्यान दें।
9. प्रकृति के साथ समय बिताएँ
हर दिन कुछ समय के लिए पार्क में टहलें, सुबह की ताज़ी हवा लें या बागवानी करें। यह न केवल मानसिक तनाव को कम करेगा, बल्कि आपको तरोताजा भी महसूस कराएगा।
10. जरूरत पड़ने पर एक्सपर्ट की मदद लें
अगर आपको लगता है कि नकारात्मकता आपकी मानसिक शांति को गहरा नुकसान पहुँचा रही है, तो मनोचिकित्सक या थेरेपिस्ट से संपर्क करने में संकोच न करें।
निष्कर्ष-
नकारात्मकता जीवन का एक हिस्सा है, लेकिन इसे अपनी सोच और व्यवहार पर हावी नहीं होने देना चाहिए। डूमस्क्रॉलिंग से बचने के लिए सचेत रहना आवश्यक है। सकारात्मकता को अपनाएँ, अपनी मानसिक और शारीरिक सेहत का ध्यान रखें, और जीवन को एक नई ऊर्जा के साथ जिएँ।
याद रखें, ख़बरों से अपडेट रहना ज़रूरी है, लेकिन कब और कितना—यह तय करना आपके हाथ में है!
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