पतझड़ में भी फूलों की खुशबू बिखेर देता हैं....!!
फूलों से ज्यादा सुंदर लड़की को बताता हैं, उसकी तो कल्पना है,
वो कल्पना में कुछ भी कर देता हैं..!!
वो तो बिना गाने के डांस कर देता है...!!
हुस्न की तारीफ फूलों से कर देता हैं,
वो तो कुंवारे होते हुए भी, शादीशुदा जीवन का वर्णन कर देता हैं..!!
पत्नी का महफिल में करके मजाक घर मैं जाकर चुपचाप बैठ जाता है..
वो तो अपनी गर्लफ्रेंड की तुलना ,तारों से कर देता है ..
तुम सोचते वो कहां रहती है,
काश वो मुझे भी मिल जाती,
मेरे घर में बस जाती..
भाई ये तो कवि की कल्पना है..
,फुलो जैसी लड़की तो,
खुदा से भी बरसों बाद दो चार ही बन पाती हैं...!!
अब तुम सुन लो मेरी बात ,
इनकी बातों में मत जाओ ,
जो मिलती है उसी संग घर बसाओ,
कन्याऐ तो कुछ गोरी कुछ काली होती है...
वो दिल की सारी अच्छी होती हैं..
कवी तो चांद से ज्यादा सुंदर महबूबा को बताता है...!
उसका क्या जाता है,
बस लिखकर तुम्हें सताता है....
वो तो प्यार मे पागलपन की हद पार कर जाता है..
महबूबा के प्यार में ,आसमान से तारे तोड़ लाता है...
कवि तो प्यार मे जलकर
राख भी बन जाता है..
और सीने से महबूबा के चिपककर रात बिताता है....
और हद तब होती है,जब अपने इश्क को रब बताता है...!!
भाई उसका क्या जाता है वो लिखकर कुछ भी बोल देता है,
वो तो भाई कवी है....
इनकी बातों पर मत जाइए ,
इनका तो काम है, हंसना और हंसाना इनके चक्कर में मत पड जाना...
वो तो अपना थैला उठाकर मौज मनाता हैं ,हंसता है और हंसाता है.
कवि का जीवन तो कल्पना से चलता है...!!
वो कल्पना से ही
अपनी रोजी रोटी कमाता है...
कलम उठा कर जो दिल में आता है, रात को सोचा हुआ सुबह चिपका देता है
कल्पना ना होती तो कवि ना होता, कल्पना है तो कवि है, उसका तो काम यही है....!!
अगर आप को मेरी यही कवि की कल्पना अच्छी लगी हो तो अपने दोस्तों और चाहने वालों को शेयर जरूर करें।
मेरा किसी कवि का मजाक उड़ाने का कोई मकसद नहीं है, बस जो मेरे मन में आया कवि के बारे में वह मैंने इस छोटी सी poetry के माध्यम से आप तक पहुंचाने की कोशिश की है, क्योंकि कवी की दुनिया कल्पना पर टिकी होती है। वह अपनी कल्पना से कुछ भी लिख देता है। इसलिए अगर मेरे इस poem से किसी को ठेस पहुंची हो तो मैं तह दिल से माफी मांगना चाहती हूं।
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Hindi poetry ..
मेरा बचपन....
वो बचपन का भी क्या जमाना था
ना कोई अपना था ,ना कोई बेगाना था...
जिस में खुशियों का खजाना था चाहत चाँद को पाने की थी ,
पर दिल खिलोनो का दिवाना था . . ना खबर थी सुबह की
ना शाम का कोई ठिकाना था . .थक कर आना स्कूल से पर खेलने भी जाना था . . .
दादी की कहानी थी ,माँ की लोरी थी,परीयों का जमाना था . .
बारीश में कागज की नाव थी.
हर मौसम सुहाना था . .
रोने की वजह ना थी ,ना हँसने का कोई बहाना था .
क्यु हो गऐ हम इतने बडे,इससे अच्छा तो वो बचपन का जमाना था ।
वो बचपन का जमाना था,काश वो बचपन का जमाना फिर से लोट आये
जो खुशियों का खजाना था।
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Hindi poetry....माँ
मेरी माँ की कहानी मेरी जुबानी मेरी माँ है,सबसे सयानी ।
माँ की सुंदरता हीरे जैसी ,माँ का दिल मोम जैसा ,माँ की आंखें दरिया जैसी ।
माँ की ममता सागर जैसी ,माँ की रोटी पकवान जैसी ।
माँ की डांट फूलों जैसी ,माँ की वाणी कोयल जैसी ।
माँ का आंचल तारो जैसा....
माँ का घर महल जैसा।
माँ के आंसू मोती जैसे,
माँ का रूठना बच्चों जैसा ,
माँ का विश्वास भगवान जैसा,...
माँ की भक्ति मीरा जैसी
माँ की शक्ति दुर्गा जैसी ।
मेरी माँ एक वरदान है खुदा की कसम वो मेरा भगवान है....!!
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Hindi poetry....मेरा इश्क ...
हम दोनों की चाहत,अलग थी
उसकी पिने की
मेरी उसको पाने की...
उसको पिने की ललक थी
मुझे उसको पाने ख़्वाहिश थी
वो पिने के लिए तड़पता रहा।
मै उसको पाने के लिए ...
वो पीकर खुश था।
मै उसको पाकर खुश थी.।
आलम यूहीं चलता रहा ...
वो पिने के लिए मशहूर हो गया
मै उसको इश्क के लिए बदनाम हो गई ।
उसने पीकर होश खो दिये,
मैंने प्यार में पागल होकर खो दिये।
वो पीकर मिटटी में मिल गया।
मै उसको पाने के लिए मिट्टी में मिल गई।
मेरे इश्क की कहानी कुछ इस तरह मिट गई.....!!
दुनिया के लिए मैं फिर एक नई हिर बन गई
राँझा मिला न मुझे मै एक बार फिर इश्क के लिए बदनाम हो गई।
क्या खोया,क्या पाया मैंने नारी सा जीवन पाकर.
कभी हंसी ,कभी रोई नारी सा जीवन पाकर.नारी से ही नर पैदा होता 9 महीने कोख में रखकर ।
मायके में नाम दिया बेगाना धन कहकर ,ससुराल ने रखा पराई बेटी बताकर....समझ में मेरी कभी ना आया कौन सा घर ,मेरा अपना कौन सा बेगाना जिस घर में जन्म लिया उसने भी विदा कर दिया कुछ दहेज देकर...पति के घर में आकर बस गई पर उस घर पर भी मेरे नाम की तख्ती कभी लग ना पाई....
कितना मुश्किल था, बेगानो को रखना अपना बनाकर,क्या खोया, क्या पाया मैंने नारी सा जीवन पाकर.
जिस घर को मैंने जी जान से सजाया उसी पर मेरा नाम कभी लिख नहीं पाया...बरसो बाद समझ में आया, कि कहीं भी मेरा घर बन नहीं पाया
नारी की पीड़ा नारी ही जाने,कितना मुश्किल है गैरो को अपना बनाकर रखना...ऐ षुरष तेरा समाज है..
नारी के हर काम से तुुुझको एतराज है....नारी से है नर बना फिर भी कभी मेरी पीड़ा का हमराज ना बना...!!
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ENGINES ... HINDI POETRY
इस अंग्रेजी ने बहुत सताया
a,b,c,dमें समझ ना पाया
कौन सी छोटी कौन सी बड़ी अंतर में कभी कर ना पाया.....!!
इस अंग्रेजी ने हर बार फेल कराया,
कई बार जब समझ में कुछ ना आया
या ,या कहकर पीछा छुड़ाया.
हद तो तब हो गई जब अंग्रेज मेरे घर मेहमान बन कर आया.
उसने मांगा one glass of water
मैने आगे रख दीये टमाटर,
अंग्रेज फिर ड्रिंक ड्रिंक कहकर चिल्लाया,अब उसके आगे रख दी दारू की बोतल....
उसने फिर सिर हिलाया no bottle only water, में बोला मेरी समझ में कुछ नहीं आता मेरे सिर के ऊपर से पानी निकल जाता ,वो बोला yes yes पानी पानी......
समझ में कैसे पता छठी क्लास से गवर्नमेंट स्कूल इंग्लिश सीखाता
हार गया में इंग्लिश से कनाईफ(knife) को टीचर ने नहीं नाईफ बताया...
सोचने को मजबूर था कि k से शुरू फिर क्यों टीचर ने k को खाया,
बहुत देर बाद समझ में आया
यहां k को N ने चुप कराया...
बहुत सालों बाद मैं समझ पाया
मेरे भारत को अंग्रेजों ने लूट खाया,
जो बोला उसको उसको जेल पहुंचाया,इस अंग्रेजी ने हमें बहुत सताया.....!!
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HINDI POETRY....कर्म
क्या लेकर आए थे,क्या लेकर जाओगे,खाली हाथ आए थे, खाली हाथ जाओगे...
ना कर इतना घमंड माया पर,
ये दौलत,ये शोहरत कुछ काम ना आएगी...
ये माया तो आज किसी की, कल किसी और की हो जाएगी...
ये रुह तो छोड पिंजरा ,परमात्मा को मिल जायेगी।
ऐ मुसाफिर कर ले कुछ अच्छे कर्म,
साथ में नेकी ही जाएगी...!!
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पैरों में डाल दी बेड़ियां शादी कि, चाह कर भी उड़ ना सकी...
ख्वाहिशे दिल मे दब कर ही रह गई पर मैं उड ना सकी....
फिर एक दिन आया, दिल की गहरारियो से आवाज आई, अपना अधूरा ख्वाब पुरा करने की...
एक धुन सी फिर से सुन पाई...
लिखने का जनुन था, दिल मे मलाल बनकर रह गया,आसमान मे उड़ने का फिर से उसने एक मकसद दिया...
ख्वाहिशे थी बहुत मन में,पर में उड़ ना पाई...
पर मेरे अंदर एक ज्वाला थी ,कुछ कर दिखाने की...ख्वाहिशे थी बहुत....कुछ बन पाने की...!!
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Hindi poem... तारीफ़
पता नहीं मिट्टी कौन सी दरिया से लाया होगा,पहले तो खुदा ने भी बैठकर सोचा होगा....फिर उसके गाल पर एक काला तिल बनाया होगा....
कहीं नजर ना लग जाए, इस हसीना को बुरी नजर से भी बचाया होगा....!!
••••••••••••••••••••••••••••••••••••Hindi poetry ...इश्क की मार
इश्कजादे हम भी बहुत बन रहे थे उसकी गली के चक्कर लगा रहे थे पता चला उसके है ,चार पांच भाई जान वो भी है सारे पहलवान !
हम ने पकड़ लिए कस कर कान कयोंकि कमर नही तुडवानी थी ! बहुत प्यारी थी अपनी भी जान !अगर तु है भाईयों की जान !
हम भी है अपनी माँ की जान ! सिलसिला यही खत्म किया किसी और के साथ आँख लडाई बडी मुश्किल से जान बचाई ...!!
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TITTLE:- True love....
Hindi poetry
मैं तेरे प्यार में इतना पागल की जलकर राख बन जाऊं,और राख बनकर तेरे तन से लिपट जाऊं...
जीते जी तुझे मिल ना पाऊं, राख बन कर तेरे तन से लिपट जाऊं...
बैरी दुनिया अब मुझे देख ना सके, अब तेरे से मिलने से कोई रोक ना सके....!!
बैरी दुनिया ने रित यही बनाई
हीर -रांझा ने भी अपनी जान गवाई
मरने के सिवा अब कुछ कर ना सकु ,मैं तेरे बिन रह ना सकूं...
मेरी सांसो को अपने गले का हार बना ले, बसा ले मुझे अपनी धड़कन में ,मेरी राख को अपना बिस्तर बना ले।
मैं तेरे प्यार में इतना पागल की जलकर राख बन जाऊं और राख बनकर तेरे तन से लिपट जाऊं...
हमेशा के लिए तेरी रूह मे बस जाऊँ।
तेरे प्यार में हद से गुजर जाऊँ ...!!
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Hindi poetry .......समय
समय ने बहुत कुछ सिखाया!
कभी मैं गिरा कभी उठना सिखाया,
समय चलता रहा........
मैं कभी रुका, कभी आगे बढ़ना सिखाया..
समय को मैं कभी पकड़ नहीं पाया!
समय का पहिया...चलता गया..
कभी ऊपर कभी नीचे होता गया
पर कभी इसे रोक ना पाया....
कल किसी और का था,आज किसी और का हो गया...
समय है बहुत बलवान...
महात्मा बुद्ध राजाा से संत बन गए,
जो बाबे थे वो देश के मालिक बन गये....!!
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Last thoughts...
मैं उम्मीद करती हूँ, कि आपको मेरी ये छोटी छोटी poetry अच्छी लगी हो.अगर अपना कोई सुझाव देना चाहें तो आप नीचे comment ज़रूर कीजिये.
अगर मेरे लेख में कोई खामियां लगती हो तो मै सुधार करने की कोशिश करूंगी...
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