रुदाक्ष धारण करने के लाभ | रूदाक्ष पहनने के लिए सावधानियाँ | रूदाक्ष पहनने के सवासथय लाभ |

रूदाक्ष पहनने के लाभ -आज हम आपको रुद्राक्ष के बारे में बताने जा रहे हैं इसके पहनने से क्या लाभ है और क्या हानि हो सकती है, और इसको किस समय और कब पहनना चाहिए। रुद्राक्ष एक तरह से भगवान शिव का रूप माना जाता है।

 रुद्राक्ष कहां पाया जाता है:---


 रुद्राक्ष सबसे जयादा नेपाल में और हिमालय के पहाड़ों में पाया जाता है।  और यह इंडोनेशिया में भी पाया जाता है। रुद्राक्ष के कुछ पेड़ हरिद्वार में भी हैं। इसके गूदे को उतारकर जो गुठली होती है उसे ही हम रुद्राक्ष कहते हैं। जो एक मुख से लेेकर 16 मुख तक होते है। हमारे यहां रुद्राक्ष को साक्षात शिव का रूप माना जाता है। और इनमें सबसे उत्तम एक मुखी रुद्राक्ष माना जाता है। जिसको एक मुखी रुद्राक्ष मिल जाता है मान लो उसको भगवान शिव मिल गए हैं ,ऐसा हमारे ग्रंथों में वर्णन है। एक मुखी रुद्राक्ष का मिलना बहुत ही दुर्लभ और असंभव है।

 रुदाक्ष धारण करने के लाभ:-----


1. इसके धारण करने से शरीर के अनेक रोग खुद ही दूर भाग जाते हैं ऐसा हमारे शास्त्रों में माना जाता है। स्वास्थ्य की दृष्टि से रुद्राक्ष का अनमोल जड़ी-बूटी माना गया है। रुद्राक्ष की कीमत उसके मुख के कम या ज्यादा होती है। रुद्राक्ष धारण करने से कई शाररिक समस्याओं से भी छुटकारा मिलता है। 

2. वैज्ञानिक परिक्षण में साबित हुआ है कि रुद्राक्ष हृदय रोग में बहुत लाभदायक होता है। उच्च रक्तचाप भी नियंत्रित होता है। मंत्र-विधान के साथ पहना हुआ रुद्राक्ष शोक, रोग, चोट, बाहरी प्रभाव, विष प्रहार, असौन्दर्य, बांझपन, नपुंसकता आदि खत्म हो जाते हैं। 

3. तीन मुखी रुद्राक्ष पहनने से हत्या या किसी प्रकार का पाप का भय समाप्त हो जाता है। 

4. इसके अलावा सात मुखी रुद्राक्ष धारण करने से सोने की चोरी आदि के पाप से मुक्ति मिलती है और महालक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है।

5.  व्रत-उपवास, तंत्र-मंत्र, पेड़-पौधों की सेवा और दान आदि करने से पाप कटते हैं और मनोकामना पूरी होती है।

6. रुद्राक्ष को कलाई, गला और हृदय पर धारण किया जा सकता है.

7. इसे गले में धारण करना सर्वोत्तम होगा. वहीं कलाई में 12, गले में 36 और ह्रदय पर 108 दानों को धारण करना चाहिए।

 रुद्राक्ष धारण करने के नियम:----

8. एकमुखी रुद्राक्ष को पीतल के बर्तन में रख कर उसपर 108 बिल्वपत्र लेकर चन्दन से ॐ नम: शिवाय मंत्र लिखकर उसे रात्रि भर के लिए छोड़ दें। इसके बाद ही धारण करें।

9.  रुद्राक्ष धारण करने के बाद अंडे, मांस, मदिरा, लहसुन, प्याज को त्याग देना चाहिए।

10. रुद्राक्ष शिवलिंग अथवा शिव प्रतिमा से स्पर्श कराकर ही धारण करना चाहिए।

11.रुद्राक्ष धारण करने के बाद सुबह-शाम भगवान शंकर का पूजन और ॐ नम: शिवाय मंत्र का जाप करना चाहिए।

12.रुद्राक्ष धारण करने पर व्यक्ति को झूठ बोलने की आदत को छोड़ देना चाहिए, इससे भगवान शिव रूष्ट हो सकते।

13. इसे हम हृदय तक लाल धागे में एक दाना रुद्राक्ष धारण कर सकते हैं.

14. सावन में, सोमवार को और शिवरात्री के दिन रुद्राक्ष धारण करना सबसे अच्छा होता है. रुद्राक्ष धारण करने के पहले उसे शिव जी को समर्पित करना चाहिए। उसी माला या रुद्राक्ष पर मंत्र जाप करना चाहिए।

15. जो भी रुद्राक्ष धारण कर रहा है उसे सात्विक रहना चाहिए और आचरण शुद्ध न रखने पर रुद्राक्ष लाभ नहीं देता।

16.रुदाक्ष धारण करने के लाभ :---
रुद्राक्ष धारण करने से व्यक्ति पर महालक्ष्मी की कृपा होती है. जीवन में सभी सुख सुविधाएं प्राप्त हो जाती हैं.

17. इसे धारण करने से हर तरह की मनोकामना पूरी होती है.

18.रुद्राक्ष धारण करने से कठिन साधना करने के बाद मिलने वाले फल के बराबर लाभ होता है.

19.रुद्रााक्ष धारण करने से व्यक्ति को अपने पापों से मुक्ति मिल जाती है. साथ ही वो भाग्यशाली भी बनते हैं।

20. रुदाक्ष को कब ना पहने:----

21. ऐसा माना गया है कि किसी शवयात्रा या श्मशान जाते समय रुद्राक्ष धारण नहीं करना चाहिए।

22. गर्भवती कक्ष यानी जहां बच्चे का जन्म हुआ हो उस कक्ष में रुद्राक्ष धारण करके नहीं जाना चाहिए जब तक बच्चे का जातकर्म ना हो जाए। इसका कारण यह माना जाता है कि भगवान शिव जीवन-मृत्यु से परे हैं, इसलिए उनके अंशस्वरूप रुद्राक्ष को जीवन और मृत्युवाले स्थानों पर नहीं धारण करना चाहिए। दूसरी वजह यह है कि इससे रुद्राक्ष निस्तेज हो जाता है।

23.  रुद्राक्ष को सोने से पहले उतार देना चाहिए। इसकी वजह यह है कि इस समय शरीर निस्तेज और अशुद्ध रहता है। वैसे व्यवहारिक तौर पर रुद्राक्ष टूटने का डर भी रहता है, जिससे सोते समय इसे उतारने का विधान है। माना जाता है तकिए के नीचे रुद्राक्ष रखकर सोने से आत्मिक शांति मिलती है और बुरे सपने नहीं आते हैं।

24.  संभोग के समय रुद्राक्ष धारण नहीं करना चाहिए। वहीं स्त्रियों को भी मासिक धर्म के समय रुद्राक्ष धारण करने की मनाही है, क्योंकि इस समय शरीर को अशुद्ध होता है। 

25.  एक मुखी रूदाक्ष क्यो है सबसे उत्तम:-----

26. एक मुखी रुद्राक्ष प्राप्त करना बहुत दुर्लभ है 2 से 6 मुखी रुद्राक्ष की कीमत कम होती है। इससे अधिक मुखी रुद्राक्ष की कीमत ज्यादा होती है। वहीं छोटे दाने की माला की कीमत ज्यादा होती है। बड़े दाना की माला की कीमत कम होती है काली मिर्ची के आकार का रुद्राक्ष श्रेष्ठ, बेर के आकार का रुद्राक्ष मध्यम ,तथा इससे बड़ा रुद्राक्ष निम्न कोटि का माना जाता है।

27. एक मुखी रूदाक्ष बेहद पवित्र माना जाता है। यह गोलाकार और अर्ध चंद्र जैसा होता है। गोलाकार एक मुखी रुद्राक्ष में उभरी हुई एक धार होती है। लेकिन इसकी उपलब्धता और दृश्यता दुर्लभ होती है। ऐसा माना जाता है कि एक मुखी रुद्राक्ष शक्ति, ऊर्जा, सत्य और मोक्ष का प्रबल स्रोत होता है। इस रुद्राक्ष का स्वामी सूर्य ग्रह होता है और भगवान शिव इसके स्वामी देव हैं। इस रुद्राक्ष को धारण करने वाला व्यक्ति स्वयं को भगवान शिव और पारलौकिक जीवन से जुड़ा हुआ खुद को महसूस करता है। एक मुखी रूदाक्ष का  मिलना सबसे दुर्लभ है 

28. रुदाक्ष के प्रति श्रद्धा और विश्वास:----

29.  श्रद्धा और विश्वास पूर्वक रुद्राक्ष धारण करने से मनुष्य की सभी मनोकामना सिद्ध होती हैं। हर्दय रोग जैसी व्याधियों में रुद्राक्ष चमत्कारिक प्रभाव उत्पन्न करता है। रुद्राक्ष को इस धरा धाम में भगवान शंकर का साक्षात विग्रह माना जाता है ।

30. यह एक दिव्य विभूति के रूप में प्रतिष्ठित हैं। जिसका भौतिक और आध्यात्मिक दोनों प्रकार के लाभों के लिए उपयोग किया जाता है। 108, 50 या 26 रुद्राक्ष को धारण करने या  उसकी माला से जप करने से उसके अनंत फल प्राप्त होते हैं तथा ऐसे साधक को हर पल विजय का फल प्राप्त होता है। यह अपनी 7 पिढियों तक को नैया पार कर देते हैं, तथा मरणोपरांत काल में शिव लोग में निवास करते हैं। ऐसा हमारे शास्त्रों में बताया गया है। 

31. उत्तम रुद्राक्ष की पहचान:---पानी में डूब जाना चाहिए दो तांबे के भारी सिक्कों के बीच में सही रुद्राक्ष हिलने लगेगा ।

32. कसौटी पर घिसने से लाइन पढ़नी चाहिए.

33.  उत्तम रुद्राक्ष को धारण करने से पहले शुद्ध सरसों के तेल में 7 दिन भिगो कर रोई पर रखकर सुखा ले  और गंगाजल से धोकर से दिया पीला धागा यह स्वर्ण की चैन में डालकर पहने इसके लिए अमावस, पूर्णिमा, सक्रांति,या ग्रहण के दिन कोई भी शुभ दिन हो ओम नमः शिवाय मन्त्र की  एक माला या तीन माला का जप करके शिवलिंग से स्पर्श कराकर धारण करना चाहिए।

 34. रुद्राक्ष का एक विधान है, छाती को स्पर्श करता रहे तो हृदय रोग ब्लड प्रेशर में लाभदायक है भूत भूत प्रेत को दूर भगाता है विधि पूर्वक धारण किया गया रुद्राक्ष मन को शांति देता है ,और हर मनोकामना को पूर्ण करते हैं ।उत्तम रुद्राक्ष को धारण करने से पहले पूजा स्थानीय शुद्ध जगह पर रखना चाहिए।

सावधानीया ------

रुद्राक्ष पहनने से पहले उसको पहचान करनी बहुत जरूरी है वरना आपको बाजार में नकली रुद्राक्ष भी मिल जाएंगे ,इसलिए इसको खरीदने से पहले इसकी परख करना जरूरी है।  अगर यह सही है तभी आप को लाभ मिल सकता है वरना नकली रुद्राक्ष पहनने का कोई लाभ नहीं है, और आजकल बाजार में नकली रुद्राक्ष भी बहुत बेचे जाते हैं। इसलिए खरीदने से पहले सावधान रहें। 

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