Tittle- मौन साधना के धार्मिक और सवास्थय लाभ-
मौन रखना एक अच्छी शक्ती का स्त्रोत है- मौन रहना धार्मिक साधना के लिए ही नहीं बल्कि स्वास्थ्य को सही रखने के लिए भी एक बहुत अच्छी क्रिया है। अक्सर देखा गया है कुछ तो लोग बहुत ऊंची आवाज में बात करते हैं। उनका बहुत जल्दी रक्तचाप बढ़ जाता है, और उन्हें दिल का दौरा पड़ने तक होने का खतरा बढ़ जाता है। ऐसी स्थिति में मौन व्रत रखना सबसे ज्यादा लाभदायक माना गया है, क्योंकि मौन व्रत रखने से हमारा ब्लड सर्कुलेशन सुचारू रूप से काम करने लग जाता है। आइए जानते हैं विस्तार से कि मौन व्रत रखना धर्म के साथ-साथ स्वास्थ्य के लिए भी कितना लाभदायक है।
मौन व्रत के लाभ-
मौन व्रत का मतलब सिर्फ जुबान से चुप रहना नहीं है। मौन व्रत का सही अर्थ है कि मन के द्वारा भी अपने आप को शांत रखना।
मौन व्रत रखने की विधि-
मौन व्रत रखने के लिए किसी खास विधि की कोई आवश्यकता नहीं है। बस जरूरत है थोड़ी सी धैर्य और संतुलन की। इस व्रत को आप किसी भी दिन किसी भी समय रख सकते हैं। इसके लिए कोई विशेष विधि नहीं है। आप निश्चित करें शुरुआत में आप 1 घंटे से शुरुआत कर सकते हैं। आप दिन में किसी भी समय एक घंटा चुपचाप एकांत स्थान पर बैठकर अपने आप को और मन, बुद्धि को शांत रखें और सिर्फ सोचे कि मैं सिर्फ इस समय एक ऐसा छोटा बच्चा हूं जो अभी बोल नहीं सकता।
इस प्रकार इस क्रिया को करते हुए आप अपने समय को बढ़ा सकते हैं और फिर चमत्कार देखिए। आपकी कुछ समस्याएं और बीमारियां खुद ही ठीक होने लग जाएंगी, जैसे क्रोध आना, तनाव दूर होना। जब आप बहुत ज्यादा परेशान होते हैं तो मन ही मन उस अदृश्य शक्ति से बात करे। आपको कुछ ही दिनों में उसका सही जवाब मिल जाएगा यह एक अनुभव किया हुआ प्रयोग है। हमारी हर समस्या का समाधान हमारे अन्दर ही छिपा हुआ है।
मौन साधना के लिए गांधी जी के विचार-
गांधी जी ने कहा था ,मौन में मानसिक शक्ति को जगाने की अत्यधिक क्षमता होती है । बोलना एक कला है , मौन उससे भी ऊँची कला है ।
सप्ताह में एक बार कुछ घंटों का मौन रखने से अपार शक्ति - संचय हो सकती है । यह एक यौगिक क्रिया होने के कारण मानसिक एकाग्रता प्रदान करता है । मौन वास्तव में तनाव मुक्त जीवन जीने की कला का एकमात्र उपाय है, और स्वस्थ रहने के लिए एक विश्वसनीय आवश्यक प्रक्रिया है । हमारे ऋषि - मुनि तो मौन के ही सहारे ध्यान की अवस्था में लीन रहकर ईश्वरीय शक्तियों से साक्षात्कार करते थे। मौन को व्रत की संज्ञा दी गयी है और वास्तव में यह एक व्रत ही है।
गांधी जी ने कहा था ,मौन में मानसिक शक्ति को जगाने की अत्यधिक क्षमता होती है । बोलना एक कला है , मौन उससे भी ऊँची कला है ।
सप्ताह में एक बार कुछ घंटों का मौन रखने से अपार शक्ति - संचय हो सकती है । यह एक यौगिक क्रिया होने के कारण मानसिक एकाग्रता प्रदान करता है । मौन वास्तव में तनाव मुक्त जीवन जीने की कला का एकमात्र उपाय है, और स्वस्थ रहने के लिए एक विश्वसनीय आवश्यक प्रक्रिया है । हमारे ऋषि - मुनि तो मौन के ही सहारे ध्यान की अवस्था में लीन रहकर ईश्वरीय शक्तियों से साक्षात्कार करते थे। मौन को व्रत की संज्ञा दी गयी है और वास्तव में यह एक व्रत ही है।
जो अन्य व्रतों की भांति फलदायक है । विधिपूर्वक किया गया " मौन " हृदय को शुद्ध तथा दृष्टि को निर्मल करता है । चरक - संहिता में ईर्ष्या , रोग , द्वेष , क्रोध , मोह आदि का त्याग करने के साथ भोजन करते समय " मौन रहने की बात कही गयी है ।
अधिक बोलने से उदान वायु निर्बल होती है , जिससे मन शरीर भी दुर्बल पड़ जाते हैं ।" मौन " द्वारा भावनाओं पर भी नियन्त्रण रखा जा सकता है । भावनाओं का सम्बन्ध आत्मा , हृदय , मस्तिष्क , पाचनक्रिया , जननांगों तथा तन्त्रिका तन्त्र से है । भावनाओं की भिन्न - भिन्न अवस्थाएँ हमारे शरीर को प्रभावित करती है ।
जैसे - दया , प्रेम , क्रोध , तनाव , चिन्ता , आवेश , भय , हिंसा , व्याकुलता आदि । इनके बार - बार प्रकट होने से मनोविकार उत्पन्न हो जाते हैं , जो स्वास्थ्य पर कुप्रभाव डालते हैं । अतः भावों के वेग को मौन ही बाधित कर सकता है तथा हमें मानसिक रोगों से मुक्ति दिला सकता है ।
" मौन " केवल मुंह बंद रखने को नहीं कहते। " मौन की इच्छित सफलता के लिये मन शान्त तथा चित प्रसन्न रहना चाहिये । यदि मन भटकता रहे तो कोई लाभ नहीं होता । " मौन " हमारे अन्तः और बाह्य सम्पूर्ण शरीर में व्याप्त रहना चाहिये ।
मौन साधना के लाभ-
मन की एकाग्रता बढती है-
जैसे - दया , प्रेम , क्रोध , तनाव , चिन्ता , आवेश , भय , हिंसा , व्याकुलता आदि । इनके बार - बार प्रकट होने से मनोविकार उत्पन्न हो जाते हैं , जो स्वास्थ्य पर कुप्रभाव डालते हैं । अतः भावों के वेग को मौन ही बाधित कर सकता है तथा हमें मानसिक रोगों से मुक्ति दिला सकता है ।
" मौन " केवल मुंह बंद रखने को नहीं कहते। " मौन की इच्छित सफलता के लिये मन शान्त तथा चित प्रसन्न रहना चाहिये । यदि मन भटकता रहे तो कोई लाभ नहीं होता । " मौन " हमारे अन्तः और बाह्य सम्पूर्ण शरीर में व्याप्त रहना चाहिये ।
मौन साधना के लाभ-
मन की एकाग्रता बढती है-
यदि आपका अपने मन पर नियंत्रण नहीं है। जैसे आपको जल्दी गुस्सा आ जाता है या आप किसी छोटी सी बात पर रोने लग जाते हो तो आपका अपने ऊपर बिलकुल नियंत्रण नहीं है। ऐसे में आपको अपनी भावनाओं को मजबूत करने के लिए मौन व्रत एक अच्छी साधना है। मौन रहने से आप अपने आप को समझ पाते हैं। जिससे आपको अपनी भावनाओं पर cantrol करने की और निर्णय लेने समझ बढ जाती है।
ध्यान लगाने की शक्ति बढती है-
ध्यान लगाने की शक्ति बढती है-
ध्यान लगाने का फायदा सबसे ज्यादा पढने वाले बच्चों को मिलता है। intelligent विद्यार्थी मन ही मन पढ़ाई करते है क्योंकि ऐसा करने से एकाग्रता बनी रहती है। मौन व्रत एकाग्रता को बढ़ाने में बहुत ही मददगार साबित होता है। मौन रहने से दिल और बुद्धि दोनों ही शांत रहते हैं जिससे आप अपने लक्ष्य तक पहुँचने में कामयाब हो सकते हो ।
तनाव को कम करता है-
तनाव को कम करता है-
मौन व्रत तनाव दूर करने में मददगार साबित होता है। मौन व्रत रखने वाला व्यक्ति कभी तनाव में नहीं रहता यानी बहुत कम बोलने वाला दिमाग से शांत रहता है। दिमागी तौर से बीमार मरीजों को डॉक्टर्स अक्सर मैडिटेशन करने की सलाह देते है। हमारे धर्म शास्त्रों में भी मौन व्रत का काफी वर्णन किया गया है। किस तरह एक मनुष्य मौन रहकर बड़े बड़े काम सिद्ध और अदृश्य शक्ति से आशीर्वाद प्राप्त कर सकता है।
मौन के सबसे उत्तम सुविचार-
मौन ऐसी है कला , जो नाश करता है क्रोध का। मौन चेतना है ,मौन हर आवाज है ।
मौन अंतर शब्द है ,
मौन अंतर्नाद है ।
मौन से ही कर्म आरंभ ,
मौन से ही अंत है ।
मौन ही अंतर यात्रा है।
,गहराई जिसकी अनंत है ।
मौन वो शब्दावली ,
मौन अंतर शब्द है ,
मौन अंतर्नाद है ।
मौन से ही कर्म आरंभ ,
मौन से ही अंत है ।
मौन ही अंतर यात्रा है।
,गहराई जिसकी अनंत है ।
मौन वो शब्दावली ,
शब्द जिसके मौन हैं । अर्थ जिसके मौन हैं ,भाव जिसके मौन हैं ।
मौन से ही प्राप्ति है ,
मौन से ही शक्ति है ।
ऊंची मंजिल है जो पानी ,
मौन से ही प्राप्ति है ,
मौन से ही शक्ति है ।
ऊंची मंजिल है जो पानी ,
मौन युक्ति है उसकी ।
मौन से होती तपस्या ,
सत्य की पहचान है मौन ।
मौन से ही ज्ञान है ,
मौन से विज्ञान है ।
मौन से होती तपस्या ,
सत्य की पहचान है मौन ।
मौन से ही ज्ञान है ,
मौन से विज्ञान है ।
मौन आतमगुण भी है ।
मौन सुख का आधार है ।
मौन परम अवस्था जिसमें आत्मा निराधार है ।
मौन ब्रह्मलोक है , मौन अंतिम श्वास है । मौन शुभ संकल्प है , मौन ही सकाश है ।
मौन मे अध्यात्म है। शामिल , स्वधर्म सबका मौन है ।
मौन परम अवस्था जिसमें आत्मा निराधार है ।
मौन ब्रह्मलोक है , मौन अंतिम श्वास है । मौन शुभ संकल्प है , मौन ही सकाश है ।
मौन मे अध्यात्म है। शामिल , स्वधर्म सबका मौन है ।
मौन संशोधन है , जिसकी साधना भी मौन है ।
मौन अनुसंधान है,
जिसमें शोध होता है औम का।
Last alfaaz-
यदि आप भी अपनी जिंदगी में तनाव मुक्त रहना चाहते हो तो आज से ही मौन रहने के लिए कुछ देर के लिए समय अवश्य निकाले, कयोंकि हमारा स्वास्थ्य ही सबसे बड़ा धन है, इसलिए शुरुआत में कम से कम एक घंटा दिन में अवश्य मौन रहने की आदत डालें। इस भाग दौड़ भरी ज़िन्दगी में अपने लिए समय निकालना भी बहुत जरूरी है, क्योंकि स्वास्थ्य से बड़ी कोई भी धन दौलत नहीं है। मौन रहना एक साधना भी है सवास्थय के लिए सबसे उत्तम टॉनिक भी है।
Disclaime- इस लेख में दी गई जानकारी और सूचनाएं धार्मिक मान्यताओं पर आधारित हैं।
Disclaime- इस लेख में दी गई जानकारी और सूचनाएं धार्मिक मान्यताओं पर आधारित हैं।
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