सुख क्या है || बुरी परिस्थितियों में खुद को कैसे सँभाले || दुख को कैसे दूर करे || difference between happiness and sadness in hindi |

Tittle- सुख और दुःख क्या है ?
संसार में जितने भी प्राणी हैं ।वह सब सुख की कामना करते हैं । उनकी यह दिल से इच्छा रहती है कि हम कभी दुख की प्राप्ति ना हो। लेकिन ऐसा होना संभव नहीं है ।संसारिक पदार्थों में अशांति ही दुख का कारण है, जो चाहते हैं,यदि वह नहीं मिलता तो हमें पीड़ा होती हैं और सच तो यह है की इच्छा ही दुख का कारण है।
इच्छाऔ का त्याग करें- 
 यदि इंसान कामना करना छोड़ दें और जो भी प्रभु द्वारा प्राप्त है उसी में संतुष्ट रहें तो संतोष के कारण दूख की निवृति हो जाएगी। हमारी भारतीय संस्कृति हमारे शास्त्र हमारा धर्म हमें यही शिक्षा देता है कि जीवन के केवल  सुख के पहलू को ही नहीं देखो, बल्कि दुख को भी देखो।
 उसमें सुख को ढूंढो।  दुख पहलू उसमें भी सखुद पहलू को करके स्वीकार करो ।
फिर देखना दुख सुख में बदल जाएगा।  सुख ही सुख हो जाएगा, दुखों को दुख मत मानो तुम्हारे चेहरे से तुम्हारी बातों से तुम्हारे हाव-भाव से दुनिया वालों को पता चल जाएगा कि तुम दुखी हो, तो लोग तुम्हारे ऊपर हसेंगे और तुम्हारा नुकसान करना चाहेंगे। तुम्हारी मदद कोई भी नहीं करेगा और तुम दुख को सुख मानकर रहोगे तो दुख खुद ही धीरे-धीरे कम होता चला जाएगा।
मुस्कराते रहना एक साधना है-
हमेशा मुस्कुराते रहो या हंसते रहो। कैसी भी अनचाही मुसीबत या दुख हो जाए तो भी सुख और दुख क्या है यह सिर्फ एक मानसिक भूख है। हमारी सोच का एक रास्ता है। यह सोच हम खुद ही बदल सकते हैं । दुख को भी सुख करके मानो तो सभी   दुख सुख में बदल जाएगा। 
 
इतिहास का सबसे बड़ा संदेश-  
हमारे इतिहास के महान गुरु गोविंद सिंह जिन्होंने अपनी आंखों के सामने चार बेटों को मरते हुए देखा है। फिर भी वह कभी निराश नहीं हुए। यह दुनिया के लिए  का बहुत ही बड़ा संदेश है। वह दुनिया से भले ही  समय से पहले चले गये थे, पर उनका जब तक संसार रहेगा उसके बेटों का नाम अमर रहेगा।

अज्ञान के कारण-
अज्ञान एवं अविद्या का समबन्ध अनादि काल से जीव को भी भ्रमित करता रहता हैं। प्रत्येक जीव सूख चाहता है । दुख की तो कल्पना भी उसे असहनीय  लगती है।  लेकिन कर्म कुछ ऐसे करते हैं जिससे सुख की प्राप्ति लेश मात्र भी नहीं हो सकती।
 सुख औरतों दुःख-
 सुख और दुख यथार्थ रूप में हमारे जीवन  गति के दो पहिए हैं।  यह संभव ही नहीं हमेशा सुख ही सुख मिले और दुखी की कल्पना ही ना हो।
 दुख का गहरा मित्र है असंतोष और असंतोष का दुश्मन है संतोष, संतोष को पकड़ना सीखो हर बात में संतोष करोगे तो उसे असंतोष भाग भी जाएगा और असंतोष भागेगा तो दुखों को भी साथ में ले जाएगा।
 पीछे बचेगा सिर्फ सुख ही सुख ।
सुख हमें जितना मिलता जाएगा हमारी इच्छाएं सुख पाने की बढ़ती ही जाएगी और इन इच्छाओं का कोई अंत नहीं है।
 सुख के बाद दुख तो अवश्य ही आता है। इसलिए दुख आने पर कभी दुखी ना हो और सुख लेने की नहीं देने की चीज है ।अगर तुम सुख चाहते हो तो सुख देने लगो अगर जिंदगी में कभी दुख नहीं चाहते तो दूसरों को कभी किसी को दुखी मत करो।
 मन की सोच के कारण-
 मनुष्य के मन की सोच है दुख का कारण बाहर नहीं अंदर है। जीवन में सुख दुख भगवान ही देता है। परंतु हम यह भूल जाते हैं कि यह सब हमारे कर्मों द्वारा ही हमें मिलते हैं। व्यवहारिक जीवन में सुख को अपनी मेहनत का नतीजा और दुखों को भगवान के देन मानते हो। यही इंसान की सबसे बड़ी भूल है।
इच्छाएं का त्याग करें -
अपनी इच्छाओं को कम कर दो, सुख ही सुख मिल जाएगा। दुर्भाग्य से इंसान इच्छा तो बढ़ाता ही जाता है बदले में उसको दुख ही बढ़ते जाते हैं । 
भगवान के घर ना अपना सुख है ना अपना दुख है। पर भगवान भक्तों के दुख से भी दुखी हो जाता है और भक्तों के सुख में भी सुखी होते है। 
 दुख, संकट, विपत्ति तो आपको भगवान के और करीब कर देती है, पर लोग समझ नहीं पाते । पर सच कहूं तो दुख बड़ा प्यारा होता है क्योंकि जहां दुख आया वहां सब साथ छोड़ जाते हैं। और जब सब साथ छोड़ जाते हैं तब पता चलता है तुम्हारा सच्चा मित्र कौन है और ऐसी स्थिति में आप जान पाते हैं मित्र शिवा गिरधर के और ना है कोई और ना ही कोई हो सकता ।



सबसे सच्चा दोस्त भगवान्-
 असली मित्र हमारा सिर्फ भगवान है और हम भगवान को सिर्फ दुख की वजह से जान सकते हैं। अगर जिंदगी में सुख ही सुख आए तो शायद हम कभी भी भगवान को ना जान पाए।

सुविचार-  
 * मैं खुद में इतनी मगरूर थी कि खुद को खुदा मान बैठी थी, मेरी जिंदगी में कुछ ऐसी तकलीफ़े आई ,कि मैं अपने खुदा को  गहराई से पाई।

सुख और दुःख में अन्तर- 
सुख और दुख दोनों ही इंसान के पास मौसम की तरह आते रहेंगे, क्योंकि जिंदगी में सुख और दुख दोनों ही हमारे जीवन का अहम हिस्सा है। यह हो ही नहीं सकता कि एक इंसान के पास सिर्फ सुख ही सुख आता रहे। दुख कभी नहीं आएगा क्योंकि अगर किसी पेड़ से हम अनुभव ले तो वह भी अपने जीवन में कभी फल, फूलो और पत्तों से भर जाता है और कुछ समय पश्चात वह मौसम बदलते ही बिल्कुल पतझड़ आने पर सभी पत्ते अपने निछावर कर देता है।और उसकी शोभा और कीमत  कम हो जाती है।
 इसी प्रकार हमारा जीवन भी पेड़ की तरह है। कभी सुख और कभी दुख आना हमारे जीवन में लगभग तय है।
 
* दुःख के समय कया करें-  
 जीवन में बहुत दुख आने पर  हमें ऐसे में क्या करना चाहिए। ।ऐसे समय में हमें अपनी सब समस्या सिर्फ भगवान को समर्पण कर देनी चाहिए , क्योंकि भगवान अगर हमें कोई भी दुख मिल रहा है। वह हमारे कर्मों के अनुसार हमें मिल रहे हैं। 
कहीं ना कहीं तो हमने कोई बुरे कर्म किए होंगे तभी हमारे जीवन में दुख आते हैं।
 यह भी एक कड़वी सच्चाई है ।
अगर आप बहुत बुरी परिस्थितियों में फंस  गये है तो भगवान अगर दस दरवाजे बंद करता है तो वह एक दरवाजा अवश्य खुला छोड़ कर रखता है।  बस उसके ऊपर विश्वास बनाकर रखें क्योंकि सारी दुनिया साथ छोड़ सकती हैं, पर भगवान नहीं।
 वह अदृश्य शक्ति इतना धनवान है जो हमारी सोच से भी परे है। फिर वह हमारे लिए क्या नहीं कर सकता। वह तो कुछ भी कर सकता है। बस दुख आने पर अपने आप को शांत बनाए रखें और उस अदृश्य शक्ति पर विश्वास रखे। 

इन दोनों परिस्थितियों में अपने आप को काबू में रखना इंसान का सबसे बड़ा संयम है। कई बार लोग अचानक से कोई धन या पद, मान ,प्रतिष्ठा पाने पर कुछ ज्यादा ही उछल जाते हैं। उनको लगता है शायद धरती पर में कोई खास इंसान हूँ।
  जो मुझे यह सब मान सम्मान में मिला है। 
 वह भूल जाते हैं कि यह जो मान प्रतिष्ठा अगर मिली है तो इस को संभालकर रखना ही आप की सबसे बड़ी प्रतिष्ठा है। ना कि दिखावा करना।
 ऐसे समय में अपनी भावनाओं को काबू में रखना चाहिए क्योंकि हो सकता है किसी की बुरी नजर आपको बुरी तरह बर्बाद कर सकती है। 
 यह भी कड़वा सच है, अगर किसी की दुआ में ताकत है, तो बद्दुआ भी लग सकती हैं। अगर दिखावा करना भी है तो भगवान के आगे करिए उसका धन्यवाद करिए कि हे भगवान आपने जो कुछ भी दिया है, मुझे वह आपकी कृपा से मिला है।
 मेरी कोई औकात नहीं थी यह सब कुछ प्राप्त करने की, क्योंकि इन्सान अगर मेहनत करता यह जरूरी नहीं वह उसको सब कुछ मिल जाए। मेरा तो यहां तक मानना है कि मेहनत तो सारा दिन रिक्शावाला भी करता है, पर उसे हासिल तो कुछ नहीं होता।
 कुछ लोग कुछ मिलने पर अपने आप को यह साबित करने में लग जाते हैं यह सब तो मेरी मेहनत का फल है। भाई जरा सड़कों पर काम करने वाले और रिक्शा वाले को भी याद करो कि मेहनत वो लोग भी करते हैं, पर उनको कुछ ज्यादा हासिल नहीं होता।
 इसलिए अपनी सफलता न इतराऔ।
 हमेशा भगवान को याद रखो। उस को धन्यवाद देते रहे कि हे भगवान जो भी मुझे मिला था आपकी कृपा से मिला है। मेरी कोई औकात नहीं थी।
जिंदगी की रेस - 
हम सब जिंदगी की उस रेस में चल रहे हैं जिस प्रकार नदी बहती नदी चलती है और आखिर में जाकर समंदर से मिल जाती है। उसी तरह हमारे जीवन की रेस भी बहुत लंबी होती है। और आखिर में हम भी अपने सब कुछ धन, दौलत, महल, चौबारे को छोड़कर अंत में भगवान की शरण में जाकर मिल जाते हैं।
 इसलिए यहां पर किसी भी प्रकार के सुख दुख को ज्यादा मन पर ना लगाए। जो कुछ भी हो रहा है अच्छा हो रहा है। यही मानकर जीवन जीने का सबसे सर्वोत्तम उपाय है।

गीता का संदेश-
 गीता के  इस उपदेश को याद रखें क्योंकि गीता हम सब के लिए वह ग्रंथ है जो जीवन के हर पड़ाव पर हमें सीख देती हैं। जिस इंसान ने गीता अच्छी तरह से पढ़ ली और बार-बार पढ़कर उसके अर्थ को समझ लिया तो वह इंसान कभी भी सुख-दुख के अनुभव को होने पर किसी भी प्रकार से दुखी नहीं होता , क्योंकि उसको पता है की जिंदगी का असली सार ही यही है।
घमंड न करें-
अपने जीवन में धन ,सुंदरता और किसी भी प्रकार की उपलब्धि पर कभी भी घमंड ना करें, क्योंकि भगवान सब कुछ देख रहा है। वह हमारे भाव को भी समझता है।
 घमंड से तो भगवान की इतनी बड़ी दुश्मनी है।  रावण बहुत ज्यादा ज्ञानी  होने के बावजूद ही अपने अहंकार और घमंड के कारण ही विनाश का कारण बना था। फिर आप और हम सब की तो क्या औकात है। 
अगर आपको कुछ भी प्राप्त हुआ है उस पर कभी भी घमंड ना करें क्योंकि इस धरती पर इतिहास गवाह है, बहुत बड़े-बड़े राजा महाराजा हुए हैं और जिनका आज  कोई नामोनिशान नहीं है।
 राजा महान सिकंदर ने भी इसी धरती पर जन्म लिया था और अंत में अपने  खाली हाथ  अर्थी से बाहर निकालकर दुनिया को एक सिख देकर गया था।
Last alfaaz- 
इसलिए जीवन में सुख और दुख आना पेड़ के पत्तों की तरह है। न तो सुख आने पर बहुत इतराए और ना ही दुख आने पर घबराए। जो भी हो रहा है अच्छे के लिए हो रहा हैं। बस यही सोच कर अपने जीवन को निर्वह करें और इन दोनों को बस भगवान को समर्पण कर दें। यह आपकी चिंता का विषय नहीं है जिसने हमें जन्म दिया तो उसने भी हमारे लिए कुछ सोच रखा होगा। बस उस अदृश्य शक्ति पर विश्वास रखें।
 धन्यवाद ।

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