नवरात्रि पूजा में मां दुर्गा की किस प्रकार पूजा की जाए इसके लिए कौन-कौन सी सामग्री जरूरी होती है आईए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से। आज हम इस लेख के माध्यम से आपको मां दुर्गा की वह सभी वस्तुएं आपको विस्तार से बताएंगे जिनका पूजा में होना जरूरी माना जाता है क्योंकि मां की पूजा बिना सिंगार के अधूरी मानी जाती है । मां दुर्गा के 9 रूप है। माँ को किस प्रकार सिंगार किया जाए और किस प्रकार का भोग लगाया जाए यह जानना बहुत जरूरी है। तभी माता की पूजा सफल मानी जाती है।
वैसे तो मां दुर्गा हमारे भाव की भूखी है ना कि दिखावे की पर फिर भी हम बाजार से बहुत सारे ऐसा सामान ले आते हैं इसके बारे में हम जानते नहीं कि हमें क्या चढ़ाना चाहिए और क्या नहीं अगर आप फल जो भी कुछ मन को अर्पित करना चाहते हैं उसके बारे में हमें जानकारी सही तरीके की होनी बहुत जरूरी है
देवी पूजन की सामग्री-
सौभाग्य और समृद्धि देने वाली है । साथ देवी पूजा पूर्ण है ।
गुलाल -
शक्ति के साथ विजय का भी प्रतीक है । शक्ति आराधना में देवी प्रतिमा के चरणों और पर गुलाल चढ़ाया जाता है।
अक्षत- (चावल ) ... देवी पूजा का पूर्ण फल देने हविष्य ( हवन में प्रयोग में लाया जाने वाला ) यह अन्न , देवी की पूजा में महत्वपूर्ण है ।
गुलाल -
शक्ति के साथ विजय का भी प्रतीक है । शक्ति आराधना में देवी प्रतिमा के चरणों और पर गुलाल चढ़ाया जाता है।
अक्षत- (चावल ) ... देवी पूजा का पूर्ण फल देने हविष्य ( हवन में प्रयोग में लाया जाने वाला ) यह अन्न , देवी की पूजा में महत्वपूर्ण है ।
मौली - पूजा में इसका प्रयोग उपवस्त्र के तौर पर होता है और पूजन के बाद रक्षासूत्र के रूप में कलाई पर भी बांधा जाता है ।
फूल- देवी को मुख्य रूप से लाल पुष्प ( गुड़हल , कमल और गुलाब ) प्रिय है इसलिए जितना भी संभव हो सके माता को लाल रंग के फूल ही भेंट करें।
फूल- देवी को मुख्य रूप से लाल पुष्प ( गुड़हल , कमल और गुलाब ) प्रिय है इसलिए जितना भी संभव हो सके माता को लाल रंग के फूल ही भेंट करें।
जल कलश सथापना -गगाजल को कुछ बूंदें और चावल डालकर इसे वरूण कलश बनाया जाता है । इस पवित्र जल से ही देवी की पूजा आराधना की जाती है ।
चंदन -
लाल चंदन व पिला चन्दन दोनों ही देवी को अर्पित करने में परेशानियां दूर होती है ।
श्रृंगार- प्रतिमा पर हर प्रकार सामग्री चढ़ाने की शास्त्रोक्त परम्परा है । जैसे- चूड़ी लाल रंग की ,बिंदी ,सिंदूर, मेहंदी, कुमकुम, इत्र, लाल रंग की चुनरी माता को सिंगार के रूप में चढ़ाई जाती हैं।
कुमकुम-
अखंड सौभाग्य का सूचक ये देवी सामग्री का अभिन्न अंग है ।
हल्दी -
पूजा में हल्दी को औषधि के रूप में स्थान प्राप्त है । कुमकुम के साथ इसका -तिलक देवी को लगाया जाता है।
नारियल - सुख - समृद्धि देने वाले श्रीपल के बिना कोई पूजा सम्पुर्ण नहीं मानी जाती।
लौंग, इलाइची और पान के पते- पूजन पूर्ण होने पर नैवेद्य चढ़ाने बाद के पते पर लौंग और इलायची रखकर देवी को करना चाहिए ।
लौंग, इलाइची और पान के पते- पूजन पूर्ण होने पर नैवेद्य चढ़ाने बाद के पते पर लौंग और इलायची रखकर देवी को करना चाहिए ।
कपूर - पूजन के समापन साथ देवी की आरती कपूर से जरूर करनी चाहिए ।
धूप - दीप- पूजा में देशी घी लगाने का विधान है । वहीं , धूप के लिए गुग्गल के प्रयोग का भी विधान है ।
फल - नवरात्रि में मां दुर्गा की पूजा के समय फलों में अनार, सेब और कले का अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है।
धूप - दीप- पूजा में देशी घी लगाने का विधान है । वहीं , धूप के लिए गुग्गल के प्रयोग का भी विधान है ।
फल - नवरात्रि में मां दुर्गा की पूजा के समय फलों में अनार, सेब और कले का अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है।
सुखे मेवे-
मां की पूजा में सुख मेवे का भी बहुत ही महत्व है और सूखे मेवा के साथ मिश्री और इलायची भी जरूर प्रसाद के रूप में माँ को अर्पित करें।
खीर का भोग-
अगर आपके पास संभव हो तो प्रतिदिन आप माता को सुखे मेंवे डालकर खीर का भोग जरूर लगाए।
निष्कर्ष-
इस प्रकार आप अपनी पूजा में इन सब चीजों को शामिल करके मां दुर्गा का पूजन विधि विधान से कर सकते हैं क्योंकि अगर हम मां के प्रति इतनी श्रद्धा भाव से पूजा करेंगे तो मन भी हमें अवश्य आशीर्वाद देगी, क्योंकि वह देने वाली है उसको हमारी किसी चीज की आवश्यकता नहीं है। वह सिर्फ केवल हमारे भाव की भूखी है इसलिए अपने भाव में किसी भी तरह की कमी ना रहने दे और मां को हर चीज श्रद्धा के साथ अर्पित करें किसी दिखावे के साथ नहीं श्रद्धा में वह ताकत है जो पत्थर को भी सोना बना सकती हैं।
इस प्रकार आप अपनी पूजा में इन सब चीजों को शामिल करके मां दुर्गा का पूजन विधि विधान से कर सकते हैं क्योंकि अगर हम मां के प्रति इतनी श्रद्धा भाव से पूजा करेंगे तो मन भी हमें अवश्य आशीर्वाद देगी, क्योंकि वह देने वाली है उसको हमारी किसी चीज की आवश्यकता नहीं है। वह सिर्फ केवल हमारे भाव की भूखी है इसलिए अपने भाव में किसी भी तरह की कमी ना रहने दे और मां को हर चीज श्रद्धा के साथ अर्पित करें किसी दिखावे के साथ नहीं श्रद्धा में वह ताकत है जो पत्थर को भी सोना बना सकती हैं।
Posted by kiran
0 टिप्पणियाँ