मासिक धर्म को कैसे ठीक करें | अनियमित मासिक धर्म के लिए घरेलू उपाय |

मासिक धर्म को कैसे ठीक करें-


मासिक धर्म ( माहवारी ) कोई रोग नहीं एक कुदरती शारीरिक क्रिया है।  यौवन की दहलीज पर कदम रखते ही यह क्रिया शुरू हो जाती है । ठंडे इलाको में मासिक धर्म देरी से , जबकि गर्म इलाकों में समय पर या कुछ जल्दी शुरू हो जाता है । हमारे देश में मासिक धर्म 11 से 14 या 16 साल तक शुरू हो जाता है । मासिक स्राव द्वारा जो लाल रंग का तरल पदार्थ योनि द्वारा हर महीने बेहर आता है , वह रक्त होता है । यह रक्तस्राव हर महीने गर्भाशय की धमनियों द्वारा होता है । 


अपने आप ही हरेक यौवनों में महीने के 28 वें दिन होना शुरू हो जाता है , जो तीन से पांच दिन तक रहता है और अपने आप बंद हो जाता है । अगले महीने के 28 वें दिन फिर यही क्रिया शुरू हो जाती है , जो हर महीने शुरू होकर चालीस से 45 साल तक निरंतर चलती है । 


 स्त्री शरीर में एक महत्वपूर्ण अंग गर्भाशय होता है । स्त्री जब गर्भवती होती है तो नो महीने तक शिशु गर्भाशय में ही विकसित एवं पोषित होता है । इस गर्भाशय के ऊपरी हिस्से में एक झिल्ली - सी लगी रहती है , जिसे श्लैष्मिक झिल्ली ( म्युकस मेम्ब्रेन ) कहते हैं । 


मासिक धर्म  के दिनों में यह झिल्ली छोटे - छोटे टुकड़ों में बंट कर मासिक के खून के साथ बाहर निकल आती है । | अगले महीने के 28 वें दिन से पहले ही पुनः ही इस झिल्ली का निर्माण अपने आप ही हो जाता है । मासिक के दिनों में जो बहाव होता है , विभिन्न स्त्रियों में  यह भी कम अथवा अधिक हो सकता है । 


 प्रथम मासिक कहते हैं , शुरू होने से पहले अपनी यौनेन्द्रियों में खिंचाव एवं स्राव , जिसे रजोदर्शन दौरान  तनाव - सा महसूस होता है । रजोदर्शन होने पर कुछ कन्याओं को पीड़ा महसूस होती है और कुछ को नहीं  होती । पहली बार रजोदर्शन होने के बाद कुछ महीने या साल - दो साल बाद उसे नियमित रूप से मासिक बहाव होना शुरू होता है और कई बार रजोदर्शन होने के अगले महीने से ही बराबर हर महीने स्राव होने लगता है ।


 मासिक स्राव के दौरान पेट के निचले हिस्से में दर्द के साथ कमर और सिर में दर्द महसूस होता । है ।  महिलाओं में मासिक स्राव नियत समय पर न होना , समय से पहले या फिर कुछ दिन बाद में होना , यह समस्या काफी ज्यादा देखने को मिल रही है । गर्भावस्था में मासिक स्राव बंद हो जाता है , किन्तु कुछ महिलाओं में गर्भावस्था के एक - 

दो महीने तक थोड़ा स्राव होता रहता है और फिर अपने आप बंद हो जाता है । आमतौर पर सामान्य गर्भावस्था में गर्भ ठहरने के साथ ही मासिक स्राव बंद हो जाना चाहिये । रक्तस्राव होते रहना कुछ हालत में गर्भस्थ शिशु के लिये खतरनाक हो सकता है । कुछ महिलाएं मासिक से पांच से सात दिन पूर्व भी तेज दर्द महसूस करती है 


यह गर्भाशय एवं यौनेन्द्रियों की सफाई का एक आसान , सामान्य और कुदरती माध्यम है और ऐसा न होने पर किसी रोग का सूचक है ।  यौवनावस्था के शुरू में परेशानी आए तो परिवार में मां , बड़ी बहन , मामी समझदार सहेली से राय लेकर शंका दूर कर सकती हैं ।  इन दिनों थकान पैदा करने वाले कार्यों से स्वयं को बचाएं । पौष्टिक , सुपाच्य एवं हल्का आहार लेना चाहिये । चाय , कॉफी अधिक न पिएं क्योंकि स्राव की मात्रा अधिक हो सकती है ।


 बाजारी चटपटे , गरिष्ठ खाद्य - पेय एव पदार्थों का सेवन कम से कम करें । पेट हल्का रखें । कब्ज न होने दें । माहवारी के दौरान मौसमी सब्जियों और दालों का सूप एवं दूध का सेवन अवश्य करें । मासिक स्राव के दौरान अधिकांश स्त्रियां यौन - सुख के लिए तैयार नहीं होती । ऐसी हालत में जबरदस्ती करने पर मानसिक एवं शारीरिक नुक्सान का डर रहता है इसलिए इन दिनों यौन संबंध न बनाएं । 


*अनियमित मासिक धर्म के कारण-


हार्मोनल असंतुलन

 

 गर्भ निरोधक गोलियां का सेवन करना 


जरूरत से ज्यादा मोटापे का होना


 जीवन शैली में बदलाव


 तनाव ग्रस्त होना।


 थायराइड विकार 

  

 पॉलीसिस्टिक ग्रंथि सिंड्रोम 


कुछ इस तरह के कारण होने की वजह से भी हमारा मासिक धर्म असंतुलन हो जाता है।



मासिक धर्म के लिए घरेलू उपाय-लगातार कुछ दिन नाश्ते में पहले और शाम को सोने से आधा घंटे पहले आठ ग्राम तिल भून कर दस ग्राम शक्कर मिला कर सेवन करें ।इसके बाद एक कप गर्म दूध पीने से मासिक धर्म खुल करे आने लगता है । 

 

 ग्यारह पत्ती । ताजा नीम की और ग्यारह पत्ती तुलसी की एक कप पानी में उबालें । शेष आधा रह जाने पर आधा चम्मच शहद मिला कर माहवारी नियमित होने तक लगातार सेवन करें । 


 महिलाएं इन दिनों शारीरिक स्वच्छता के साथ मानसिक स्वच्छता की ओर भी ध्यान दें । दुख , चिता एवं डर से बचें । स्वयं को दैनिक में व्यस्त रखें । 


 कायफल और समान मात्रा में लेकर कूट - पीसकर महीन चूर्ण ( कपड़छान ) कर लें । एक अथवा डेढ़ ग्राम चूर्ण प्रातः और रात्रि सोने से पूर्व गुनगुने गर्म जल से लें । 


मासिक धर्म होते ही दवा बन्द कर दें और मासिक धर्म बन्द होते ही दवा शुरु कर दें । जब तक मासिक धर्म उचित समय पर उचित रूप से न होने लगे , तब तक दवा लेती रहें । अपनी शक्ति से अधिक परिश्रम न करें और भारी बोझ न उठायें ।


  कबूतर की विष्टा और शहद ( शुद्ध ) मिलाकर खाने से बिगड़ा हुआ रजो धर्म ठीक हो जाता है । 


 50 ग्राम नागकेसर , 50 ग्राम मिश्री लेकर , कूट - पीसकर कपड्छन कर लें । 5-5 ग्राम की खुराक दो माह तक नियमित सुबह सेवन करने से ऋतु - विकार व मासिक संबंधी बीमारियां भी दूर होती है । मासिक धर्म न आने पर  लाल चन्दन , शुद्ध देसी घी , धवलमिश्री और गाय का शुद्ध दूध मिलाकर शनिवार को पीना चाहिये । 


 मासिक न आने पर 10 ग्राम गंगरेला ( कलॉजी ) का पाउडर सुबह पानी से लें । गर्भिणी इसका प्रयोग न करें ।


 किसी - किसी को इससे पेट में दर्द होता है तो ऐसे में  थोड़ी मात्रा में हींग का प्रयोग करें ।

 अजवायन का काढा-

मासिक धर्म खुलकर आए इसके लिए अजवाइन के साथ आप गुडा का भी सेवन कर सकते हैं ऐसा करने से मासिक धर्म खुलकर आएगा।


तिल और गुड़ का सेवन-

 अगर आपके मासिक धर्म खुलकर नहीं आते इसके लिए तिल और गुड़ को मिलाकर खाना शुरू कर दे क्योंकि तिल की तासीर गर्म होती है वही गुड ब्लड को प्यूरीफायर करता है। महामारी आने से करीब 10 दिन पहले तिल और गुड़ को मिलाकर खाने से मासिक धर्म खुलकर आना शुरू हो जाएगा।


गाजर और अदरक का जूस'-

 गाजर और अदरक का जूस निकालकर दोनों को समान मात्रा में मिला लें। इस दिन में दो या तीन बार पीरियड्स आने से पहले सेवन करें इसे रुका हुआ ब्लड बाहर निकल जाता है।


चुकंदर का रस-

 अगर आपके पीरियड्स खुलकर नहीं आ रहे हैं तो इसके लिए चुकंदर का जूस सुबह शाम पिए क्योंकि शरीर को प्यूरिफाई करके ब्लड  को सही करने में यह चुकंदर बहुत मदद करता है।



गाजर का काढा-

 अगर आपके महामारी सही समय पर नहीं आती और बहुत कम रक्त स्क्राव होता है तो ऐसे में गाजर को कद्दूकस कर ले और उसको एक बडे ग्लास पानी में  काढ़ा बना ले और उसमें 10 ग्राम गूड और एक चम्मच बड़ा देसी घी का मिलाकर रात को पीकर सो जाए ।ऐसा करने से सुबह उठते ही आपके मासिक धर्म  खुल कर आ जाएगी।


अदरक वाली चाय-

 अदरक अनियमित मासिक धर्म को ठीक करने के लिए बहुत मददगार साबित होता है ।कच्चे अदरक का नियमित सेवन करने से आपके पीरियड्स नियमित रूप से खुलकर आने लगेंगे। अदरक में जींजरोल होता है। जो शरीर में सूजन को कम करने में मदद करता है। यह गर्भाशय की मांसपेशियों को सिकोडने में मदद करता है और हारमोनस के संतुलन को ठीक करता है । सुबह शाम एक कप अदरक वाली चाय पीने से और थोड़ा सा उसमें शहद मिलाकर पीने से मेटाबॉलिज्म को बढ़ावा मिलता है।

गुड का प्रयोग कैसे करें-

गुड  को एक घरेलू औषधि  भी माना जाता है, क्योंकि इसमें बहुत सारे औषधीय गुण   पाए जाते हैं। गुड खाने में मीठा होता है इसका नियमित सेवन करने से मासिक धर्म नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है। यह गर्भाशय की ऐंठन को कम करने में मदद करता है।


दालचीनी-

 दालचीनी हमारी रसोई घर में बहुत आसानी से मिल जाती है। यह हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत ही जरूरी है। यह गर्भाशय में रक्त के प्रभाह को नियंत्रित  करने में मदद करती हैं और अनियमित मासिक धर्म को ठीक कर सकती हैं। यह पीरियड्स के दौरान एक चम्मच सुबह शाम लेने से हमें इस समस्या से निजात मिल सकती है।

निष्कर्षइस प्रकार यह छोटे-छोटे घरेलू उपाय करके आप अपने घर बैठे मासिक धर्म को ठीक कर सकते हो क्योंकि इसका सही औषधि रूप से आना एक महिला के लिए बहुत जरूरी है अगर मासिक धर्म सही और समय करना आए तो स्त्री को कई तरह के रोग घेर लेते हैं

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