सवस्थ रहने के 10 उपाय | |हमेशा सवस्थ रहने के नियम |

Title- हमेशा स्वस्थ कैसे रहें -

आज हर कोई  प्रतिस्पर्धा और भागदौड भरी इस जिंदगी ने इंसान को अपने स्वास्थ्य का प्रति ज्यादा लापरवाह किया है। अगर आप सवस्थ रहना चाहते हैं तो छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखें आप अपने स्वास्थ्य को खुद ठीक रख सकते हैं। 

इस इंटरनेट की दुनिया में जिंदगी इतनी तेज बताओ युक्त हो गई है कि हम अपने खान-पान और आचार - विचार  पर ध्यान नहीं देते  तो ऐसे में  स्वास्थ्य खराब हो जाता है और  जीवन की अवधि कम हो जाती है ।

 प्रकृति के नियमों के उल्लंघन करना का मतलब है रोगों को निमंत्रण देना । प्रदाय रोग हेतु प्रामुख्यम जाने - अनजाने में स्वस्थ जीवन के नियमों को तोड़ने की सजा ही रोग है ।

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 " प्रातः समय जो नींद से उठे आलस्य छोड़े - बिस्तार त्यागे , शहद - नींबू पानी पीके रहे निरोगी सुख से जीवें । "


● सवस्थ कैसे रहें----

 रात को एक तांबे के बर्तन में पानी भर कर रख दें , सुबह इस पानी को पीने से पेट अच्छा रहता है । उच्च रक्तचाप के रोगियों की व अन्य सभी प्रकार के रोगों में यह नुस्खा लाभकारी रहता है । आप यहाँ यह विचार करेंगे कि गर्मी के दिनों में प्रातः काल इस प्रकार का गर्म पानी पीना संभव नहीं है तो आप लोटे में पानी भरकर उस पर कपड़ा बाधकर एकदम उल्टा लटका दें , बिल्कुल भी पानी नहीं निकलेगा तथा सुबह तक पानी फ्रिज से भी ठंडा मिलेगा । प्राचीनकाल में पानी ठंडा करने का एक यह भी तरीका था ।


 ● सवेरे उठकर मंजन करके आधा नींबू कुनकुने पानी से लें इससे पेट साफ रहता है । जो व्यक्ति चाय की आदत से छुटकारा पाना चाहते हैं उनको भी इससे सहायता मिल सकती है ।


 ● प्रातः काल उठकर दो - तीन किलोमीटर घूमने जाना चाहिए घूमने से आने के बाद कुछ देर आराम कर व्यायाम करें व मौसम के अनुसार यदा - कदा मालिश करें , व कुनकुने व ठंडे पानी से स्नान करना चाहिए । अवकाश के दिन कुछ देर धूप में बैठकर मालिश करें , इससे शरीर निरोग रहता है । 


● आजकल कब्ज होना आम बात हो गयी है , कब्ज आज का महारोग हो गया है । कब्ज ही अनेक रोगों की जड़ है । अतः कब्ज  होते ही सर्वप्रथम उसे दूर करने के लिए  उपाय किए जाने चाहिए । इसे लिए रात को एक चम्मच हरड का चूर्ण या ईसबगोल की भूसी या का पूर्ण शहद के साथ सेवन करें ।


● एक नींबू का चौथा हिस्सा गोल काटकर एक प्याला पानी में डाल दीजिए। आवश्यकतानुसार शक्कर डालकर पीने से गर्मी में राहत मिलती है । 


● गर्मी में घर से बाहर निकलते समय यही पेय पीए , लू लगने का अंदेशा नहीं रहेगा । 

● खाना खाने के साथ दही दूध मथकर उसमें काला नमक , जीरा , सोंठ , हल्की व ही पसंद के अनुसार डालकर पीने से पाचन क्रिया चुस्त रहती है ।


●  भोजन के बाद एक गिलास दही की छाछ में अजवायन का चूर्ण डालकर पीने से बवासीर में लाभ होता है ।


 ● यदा - कदा एक तोला मेथी के बीज कच्चे निगल लें व दूध पीने से पेट की सफाई , चिकनाई समाप्त होगी व वायु का प्रकोप कम होगा ।


 ● प्रतिदिन शाम को भोजन के बाद या रात को सोते समय आंवले का चूर्ण शहद में या पानी के साथ लेने से पेट अच्छा रहता है , कब्ज की शिकायत नहीं रहती है । इसके नियमित सेवन से वजन में बढ़ोतरी होती है ।


● खाना खाने के बाद आधी कच्ची तथा आधी भुनी हुई सौंफ चबाने से पेट अच्छा रहता है . पुरानी पेचिश में लाभ होता है ।


●  प्रतिदिन रात को सोते समय दो अंजीर पानी में या कांच के बर्तन में गला कर सेवन करें , इससे कब्ज और खून की बीमारी दूर होती है अंजीर , कब्जनाशक , पित्तनाशक , रक्त रोग निवारक तथा वायु विकास को दूर करने वाला है अंजीर खून बढ़ाता है तथा रंग निखारता है ।


● जाड़े में हरी सब्जियों की भरमार रहती है । अतः हरी सब्जियों व फलों का प्रयोग करें । सलाद व सूप को अपने भोजन में स्थान देना चाहिए । 



●सर्दी , खांसी , जुकाम से बचने के लिए तुलसी के पत्ते , काली मिर्च , अदरक से युक्त चाय पीनी चाहिए ।


●  नवजात शिशुओं को , जिनका कि यह पहला जाड़ा है उनकी विशेष रूप से हिफाजत करनी चाहिए । ऊनी कपड़े पहनाएं हवा से बचाव करें , खुले स्थान पर स्नान नहीं करवाएं , धूप में लिटाकर मालिश करें फिर स्नान करवाएं ।


 ● मानसिक तनाव आधुनिक औद्योगिक युग की देन है । हमेशा प्रसन्नचित रहें , तनाव रहित रहे चिंतामुक्त रहें क्योंकि कहा भी गया है ' चिंता चिता समान है । चिंता किसी समस्या का समाधान हो ही नहीं सकती है । अतः चिंता रहित रहें । हमेशा आशावादी दृष्टिकोण रखें . आत्मविश्वासी बने , बड़ों का आदर करें व छोटों को प्यार करें ।


● आजकल मद्यपान धूम्रपान नशाखोरी जुआ इत्यादि की आदतें तेजी से बढ़ी है , इनसे रहना चाहिए क्योंकि इस प्रकार की लत लग जाने पर स्वास्थ्य तो खराब होता ही है , साथ ही परिवार विनाश के कगार पर पहुंच जाता है . इनसे दूर रहने पर परिवार का विकास होगा ।


● वाहन क्रांति ने हमारे लिए विपुल साधन उपलब्ध कराए है । दुपहिया वाहनों का प्रचलन हो गया है । इस कारण लोगों का पैदल आवागमन कम हो गया है । कुछ दूर भी जाना हो तो पैदल नहीं जायेंगे टी.वी. के कारण लोगों का जो थोड़ा - बहुत चलना था वह भी बंद हो गया है । 


●आधुनिक जीवन ने लोगों को आलसी बना दिया है . बिना परिश्रम किए सुविधा ही सुविधा है । फलस्वरूप शारीरिक व्याधियां भी बढ़ी है , मोटापा बढ़ा है जिसक कारण शरीर दूसरे रोगों से ग्रसित हुआ है । अतः शारीरिक श्रम करते रहना चाहिए श्रम से जी नहीं चुराएं पैदल चलने के अभ्यस्त रहें ।


 ● जो व्यक्ति प्रकृति के साथ हाथ मिलाकर चलते हैं उन्हें जल्दी कोई बीमारी हो यह सभव नहीं है ।


● यह नुस्खा अपनाइए जितना खाओ उससे दुगना पानी पीओ उससे दुगना हंसो , जितना हंसो उससे दुगुना टहलो और फिर देखो कि एक तो तुम कभी बीमार नहीं पड़ोगे और कदाचित पड़ भी गये तो सहन कर लोगे ।


● अधिक औषधियों की अपेक्षा प्रकृति के अनुरूप होकर चलें ।


 ● यदि लम्बी उम्र चाहते हो ताजा खाओ कम, चबाओ ज्यादा, अनाज खाओ कम सब्जी खाओ ज्यादा, चटपटी चीजें कम सादा भोजन ज्यादा, खाली बैठो कम , जुटे रहो, अधिक बैठो कम, टहलो अधिक चिंता करो कम, प्रसन्न रहो अधिक , क्रोध करो कम , हंसी अधिक, खर्च करो कम, बचाओ अधिक, बातें करो कम, काम करो ज्यादा, आलस्य करो कम ,कर्म करो अधिक, पाप करो कम, शुभ कर्म करो अधिक।आशा है आज की दौड़ती भागती जिंदगी में ये नुस्खे लाभकारी होंगे ।



 निष्कर्ष-

इस प्रकार आप यह छोटी-छोटी बातों को अपनाकर अपने जीवन शैली में परिवर्तन करके अपने स्वास्थ्य को खुद ध्यान रख सकते हो क्योंकि प्रकृति की हर चीज में हमारी समस्या का समाधान है। इसलिए कभी भी प्रकृति के साथ कोई भी छेड़खानी ना करो जो समय सोने का है उसे समय सो जाऔ, जो समय उठने का है उस समय उठो। अगर  कुछ सीखना है तो प्रकृति से सीखो वह हर काम अपने समय पर करती है। 


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