अच्छी बहू कैसे बने || बहु नहीं बेटी बनें अपने ससुराल वालों के लिए || बहू नही बेटी बनें ||

बहू नही बेटी बनें - जिस प्रकार बालों के बिना सिंगार अधूरा है उसी प्रकार बहू बेटियों के बिना घर अधूरा है। आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से आपको एक बहू बेटी कैसे बन सकती है अपने ससुराल वालों के लिए यह समझने की भरपूर कोशिश करेंगे ।अगर आपको यह लेख अच्छा लगे तो इसे अपने चाहने वाले और दोस्तों में जरूर शेयर करें।
 बिना पुत्रवधु के वंश अधूरा रह जाता है । अच्छी बहू के मिलने से आनन्द दोगना हो जाता है । ससुराल में उस के स्वागत में जहाँ सब खुशियाँ मनाते हैं , वहाँ सास सगन मनाती हुई सुन्दर सपने संजोति है । गुरुनानक जी के शब्दों में " भगवान तो सिर्फ लकीरें देता है , रंग तो हमें खुद भरना होता है । " एक अच्छी बहू अपना भाग्य खुद लिखती है । उस का व्यवहार वह दर्पण है। जिस में वह अपना और अपने मायके वालों का चित्र दिखाती है । ससुराल को स्वर्ग बनाए रखने की आज उस की जिम्मेवारी है । इस बात को वह स्वीकार कर ले कि सास और बहू के बीच में उमर के फासले की वजह से आपसी सोच पसन्द और सामाजिक मूल्यों का अन्तर है । परिणाम स्वरूप वैचारिक मतभेद होना स्वाभाविक है । 
कागज़ अपने नसीब से उड़ता है , परन्तु पतंग अपनी काबलियत से । “ सम्मान माँगा नहीं जाता , लिया जाता है । हर बहू अपनी समझदारी प्यार और सम्मान से अपनी जिन्दगी को खुशनुमा बनाने के लिए अगर इन बातों  को अपनाए तो वह अपने घर को स्वर्ग बन सकती है।
सास को माँ समझे : -
माँ जन्म देती है तो सास जीवन सँवारती है । यदि आप चाहती हैं कि आप की सास आप को बेटी समझे तो आप भी उन के साथ बेटी बन कर उन्हें शुरू से ही अपने सद्व्यवहार से अपनाएँ । ऐसा करने से यकीनन रिश्ते की बुनियाद मजबूत होगी । कोई भी बात उन से न छिपाएँ । उन के पास बैठ कर बातचीत शेयर करे उनकी भी सुने और अपनी भी सुनाये। प्यार धीरे - धीरे बढ़ेगा । पुरानी यादें ताज़ा करें तथा अपनी समस्याओं का हल ढूँढने के लिए उन का सहयोग लें । कभी नाराज़ होने पर भी बातचीत बन्द न करें । अभिवादन एवं चरणवन्दना का नियम न तोड़ें । 
अपने बडे घर ,धन - विद्या का अंहकार न करें । याद रखें गुणों से प्रतिष्ठा बढ़ती है धन से नहीं । अपनी सास से आप उसी लहज़े में बात करें जैसे अपनी माँ के साथ करती रही हैं । याद रखें आप के बच्चों में दादा - दादी की जान बसती है , इसीलिए अपने बच्चों को भी उन के पास प्यार भरे लम्हें गुज़ारने दें । अपने पति और सास को भी अकेले में बात करने का समय दें । घर से दूर होने पर पत्र अथवा फोन द्वारा हालचाल पूछने के साथ - साथ उन्हें अपने पास बुलाएँ और उन के साथ यादगार पल बिताएँ । यह आप को मानना पड़ेगा कि सास का अनुभव आप से अधिक है। इसलिए यदि आप के गलत कार्य करने पर आप को समझाएं आप बुरा न मनाएँ अपितु अपनी कमियों को दूर करने के लिए उन का मार्ग दर्शन लें । 

•  रिश्तो के लिए झुकना सीखे -
फलों से लदी हुई टहनी झुकी हुई होती है । अपने रूप, विद्या, धन का अंहकार न करें सदा विनम्र रहें । आप के किसी कार्य से यदि सास नाराज हों तो तुरन्त उन की नाराज़गी दूर करें । याद रखें जो बहू शुरू में झुकती है वही बाद में दिलों में बसती है । आरम्भ में सास को बदलने के स्थान पर स्वयं बदलें यानि अपनी दुर्बलताओं को सुधारें ।
 • सास को स्मार्ट बनाएँ : -
नई बातें सीखने में उन की रुचि जगाएँ । नई तकनीकों का प्रयोग करना सिखाएँ । उपहारों से प्यार की कड़ी मज़बूत होती है । अतः महत्वपूर्ण अवसरों पर उन्हें ऐसा गिफ्ट दें ताकि उस के प्रयोग से उन की जीवन शैली में परिवर्तन आए और आप की प्रंशसा के गीत गाती रहे । तारीफ इन्सान की बेहतरीन भोजन सामग्री है इसे लेने से आप को बेहतरीन इज्जत और बल हासिल होगा ।

शिकायत न करें : -
प्रतिकूलताएँ और कठिनाइयाँ ईश्वर की ओर से आती हैं ताकि हम अपनी प्रतिभाओं और क्षमताओं को प्रकट कर सकें जो प्रभु ने हमें दी हैं । गृहस्थ एक झूले की तरह है जो कभी ऊपर जाता है तो कभी नीचे आता है । ससुराल पक्ष से किसी भी सदस्य विशेषतया यदि आप को अपनी सास की कोई आदत पसन्द नहीं तो बाहर कभी भी बुराई न करें । अपने पति की शिकायत अपनी सास से भी कभी न करें । 
अपने बेटे की बुराई बहू से सुनना भला किस माँ को अच्छा लगेगा। सभी काम हिम्मत और शाँति से करो यही सफलता का रहस्य है । 
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घर के  प्रबन्धन में होने वाले छोटे - छोटे झगड़ों को ले कर न रोएँ -
शाँति और ईमानदारी से अपनी बात रखें । आत्मसम्मान को बनाए रखें और अपनी इच्छापूर्ति करें । 
मजाक न करें-
 आप की सास यदि अनपढ़ एवं देहाती होने के परिणाम स्वरूप कुछ आधुनिक प्रयोग में आने वाले शब्दों एवं तकनीकों के प्रति अल्पज्ञानी है तो भी आप उन के प्रति व्यंग्यात्मक भाव वाले चुटकले या घटनाएँ न सुनाएँ।' गलती होने पर सहजता से उसे स्वीकार करें और सॉरी कहें । 
याद रखें । " सम्मान करोगे तो सम्मान मिलेगा यदि कड़वा बोलेगे तो अपमान मिलेगा । " 
यदि आप अपने बच्चों से अपने प्रति सम्मान की अपेक्षा करती हैं तो कभी उन के सामने सास - ससुर से झगड़ा न करें । याद रखें यदि " आप का पैर फिसल जाए तो आप सम्भल सकती हैं परन्तु यदि जुबान फिसल जाए तो गहरा घाव करती है । "
 स्वादिष्ट भोजन भी अपमानित ढंग से परोसने पर विष बन जाता है । अपनी अपकीर्ति का दायित्व कुछ हद तक हमारे ऊपर होता है । बहू की हरकत से यदि दिल दुखता रहा तो सीने में किसी माँ के पयार  न रहेगा । सास की गलती से सीख लो , न कि मज़ाक बनाओ क्योंकि आज सास को जिस गलती पर तुम हँस रही हो वह कल तुम से भी हो सकती है ।
 गुणग्राही बनें : " इन्सान चाम से नहीं काम से महान बनता है " आप खुद से कहो कि एक अच्छी बहू बनना है फिर अच्छे कार्य करने की आप की आदत बन जाएगी । जिस बहू को समर्थ आत्मबल सम्पन्न और अनुभवी सास का प्रत्यक्ष मार्गदर्शन मिल गया तो समझिए कि वह प्रगति की राह पर चल पड़ी है । अपने उत्तरदायित्व को समझे इस से आप को बल मिलेगा और परिवार में सम्मान मिलेगा । " 
 किसी काम का न आना बुरी बात नहीं बल्कि सीखने की कोशिश न करना बुरी बात है । 
मायके वाले हस्ताक्षेप न करें :-
 बेटी की शादी करते समय उस की माँ की शिक्षा होती है कि ससुराल में सर्वगुण सम्पन्न बन कर सब का दिल जीतना । परन्तु वही माँ जब उस के गृहस्थी के कार्यों में हस्ताक्षेप करती है तो सुखी परिवार की खुशियों में ग्रहण लग जाता है । अतः बहू का कर्त्तव्य बनता है कभी भी अपनी माँ की पक्षपाती बन कर सास के प्रति बेरुखी का रवैया न अपनाएँ । अधिक फोन करने से या अधिक मायके जाने से आप का सम्मान कम होगा । यदि आप के मायके वालों का जीवन स्तर आप के ससुराल वालों से ऊँचा है तो गर्व मत करें । अपनी परेशानियों को स्वयँ सुलझाएँ । सर्वप्रथम आप अपनी सास की चहेती बनें । आप के पति आप से प्रसन्न रहेगे । सास की तबियत खराब होने पर जहाँ डा ० की दवा काम करेगी वहाँ आप की सेवा रंग लाएगी । सभी सदस्यों की सहयोगी बनें । सेवा ही आनन्द का मार्ग खोलती है । जब आप सेवा करती हैं तब न केवल आपको खुशी मिलती है बल्कि आप सब के जीवन में आशा व प्रसन्नता की किरण संचारित होती है । 


खुशियाँ बाँटे :-
 जैसे धरती में बोया हुआ बीज फसल बनता है उसी प्रकार दी हुई खुशियाँ हमारे पास अधिक होकर आती हैं । इसीलिए सदा मुस्कान की फुलझड़ी से खुद हँसो और सब को हँसाओ । याद रखें प्यार और सहकार से भरा हुआ परिवार ही धरती का स्वर्ग होता है ।

कर्मफल पर विश्वास करें : -
यह निश्चित है कि हमारा व्यवहार ही वह दर्पण है जो बच्चें देखते हैं फिर वैसा ही करते हैं । तभी तो कहा गया है- " जब अपने बच्चों का कोई गिला करना तब अपना आइना अपने सामने रखना " यदि आप अपनी सुन्दर छवि बनाने , एवं ससुराल पक्ष का दिल जीतने के लिए ऊपर लिखित सभी सुझावों पर अमल करती हैं तो गृहलक्ष्मी कहलाने की हकदार बन जाएँगी । 
इस प्रकार इन छोटी-छोटी बातों पर अमल करके आप अपने गृहस्थ जीवन को सुख और शांति से भर सकते हो क्योंकि ससुराल के घर में बहू के लिए बहुत सारी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, इसलिए कभी भी बातों से हार ना माने बल्कि सबको समझने की और अपनी बात को समझने की भरपूर कोशिश करें। यह बातें बहुत छोटी हैं क्योंकि आपकी सास भी कभी आपसे पहले उसे घर की बहू रह चुकी है। अगर आपको  किसी भी तरह की बात समझते हैं तो उसको ताना ना देकर बल्कि उसकी बात को अपनाने की कोशिश करें।  आपकी सास और आपकी उम्र में बहुत अंतर होगा पर कई बार ससुराल के घर के रीति रिवाज होते हैं जिनको हमें अपनाना ही पड़ता है। ऐसे में अपने मायके की कोई भी ऐसी बात ना करें कि मेरे मायके में ऐसा नहीं होता, क्योंकि नहीं छोटी-छोटी बातों से दरार बहुत बड़ी बन जाती है। फिर जिसको भरना बहुत मुश्किल हो जाता है।
सास इतनी भी कठोर नहीं होती कि वह आपकी मां ना बन सके। बस जरूरत है थोड़ा सी जरूरत है एक दूसरे को समझने की क्योंकि सास भी कभी बहु थी  इसलिए उसको मान सम्मान दें और खुद भी मान सम्मान पाये।



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