अच्छी सासू माँ कैसे बने || सासू नही माँ बने || सास बहू का रिश्ता मजबूत कैसे बनायें ||


Tittle-सासू  भी माँ बन सकती है अपनी बहू की-आज हम इस लेख माध्यम से इस विषय पर विस्तार से बताएंगे कि सास भी अपनी बहू के लिए माँ  किस प्रकार बन सकती हैं, क्योंकि जब भी कोई लड़की ससुराल के घर में आती है तो वह उसे पौधे की तरह होती है जो एक जगह से उखाड़ कर दूसरी जगह पनपने  के लिए लगा दिया जाता है,  पर उसको पनपने से पहले कुछ समय अवश्य देना पड़ता है । तभी वह पनपता है वरना उसको सुखते  देर नहीं लगती।  इसी तरह एक बहू भी पौधे की तरह होती है।
 आईए जानते हैं विस्तार से कुछ ऐसे विचार जो सास और बहू को एक नया मोड़ देगी अगर आप सास बनने जा रही हैं तो इस आर्टीकल को ध्यान से पढ़ें और अपने चाहने वालों को जरुर शेयर करें। 

बहु को खुश कैसे रखे-
एक नई नवेली बहू के लिए ससुराल में सब कुछ नया होता है । नया रिश्ता , नई जिम्मेदारियाँ और नये माहौल में उसे अपनेपन का अहसास जल्दी में नहीं होता । एक ओर सास का लम्बी उम्र का अनुभव होता है , तो दूसरी ओर बहू का नई चुनौतियों का सामना करने का हौसला होता है । ऐसी विकट परिस्थिति में हर कठिनाई को दोनों का सामंजस्य पलक झपकते ही दूर कर सकता है । इस रिश्ते में मिठास घोलने की पहली सीढ़ी सास को चढ़नी होती है , यानि शुरू से ही वह माँ बन कर बहू के सिर पर ममता भरा हाथ रखे । इस के लिए उसे निम्न विशेषताओं को अपने जीवन में समावेश करना होगा । स्वयँ आदर्श माँ बने हर माँ की खुशी अपने परिवार को खुश रखने में होती है ।
 उसे अपने पवित्र विचारों की तरंगों द्वारा परिवार में प्यार की गंगा बहानी होती है । अपने मन वचन कर्म और उत्तम संस्कारों से सम्मान पाना है । अपने मीठे से सब का मन जीतना है ।
 जैसे कहा गया है । “ जैसे एक बगिया सुन्दर - सुगन्धित फूलों से सजती है वैसे एक माँ संस्कारी परिवार से सम्मान पाती है । " बहू आदर्श सास के आदर्शों का अनुपालन खुद  ही करती है ।
बहु को उत्तरदायित्व सौंपें -
जिम्मेदारियाँ बहू को उस के कर्तव्य धीरे - धीरे अपनी प्रभुता बहू को सौंपे यानि अपने नहीं निभाया तो उस व्यवहार को आप न दोहराएँ सभी कार्य अब बहू को करने के लिए कहें । निकट सम्बन्धियों के आयोजनों में बहू और बेटे को भेजें ।यह  काम हुक्म चला कर नहीं अपितु विनम्र भाव से करें । यह याद रखें हुक्म चला कर जो सास आगे बढ़ती है वह यश नहीं प्राप्त कर सकती । नम्रता का प्रभाव दूर - दूर तक जाता है परन्तु कुछ खर्च नहीं करना पड़ता ।
 
●-बेटे और बहू  को स्पेस दें :-
  मत जीओ सदा अपनी खुशी के लिए , इन्हें भी दो कुछ पल हँसी के लिए ।
 यह याद करें जब आप बहू थी तो आप अपने पति संग समय बिताना चाहती थी आज समय बच्चों का है इसलिए  बच्चों को घूमने एवँ आपसी विचारों का तालमेल बिठाने के लिए अधिकतम समय दें । कभी भी बेटे से बहू की शिकायत न करें । दोनों में कभी झगड़ा होने पर समझा कर शान्त करें । उनके निजी जिन्दगी में कभी भी दखल न करें । बच्चों  के माध्यम उनकी निजी जिंदगी का पता करने का जरिया न बने याद रखें  आपकाब बेटा किसी का दामाद और पति भी है । दूसरे रिश्त  के प्रति को जिम्मेदारी निभाने को कहें । बहू के मायके वालों को सम्मान दें । जब कभी भी बहू के मायके वाले आएँ उनको पूरी आवभगत प्रसन्न चित्त होकर करें । कोई कमी होने पर बहू के सामने कभी कटाक्ष न करें। ऐसे कटाक्ष जीवन भर के लिए बहू के साथ आप के सम्बन्ध को बोझिल बना सकते हैं ।  परिवार के निजी मामलों में उन का हस्तक्षेप न होने दें । मायके वालों को यह समझना होगा कि शाँति ईश्वर प्रदत्त नहीं होती यह वह भेंट है जिसे परिवार के सदस्यों के साथ उनकी बहू भी देती है । अपनी बहू अथवा अन्य रिश्तेदारों के समक्ष सदैव उनकी प्रशंसा करें । 
 ● बहू की सहयोगी बनें -
अपनी सामाजिक पृष्ठभूमि , संस्कृति और रीति रिवाजों से परिचित करवाने के साथ साथ बहू के विचारों को कार्यान्वित करवाने में सहयोग दें । पारिवारिक एवं आर्थिक योजनाएँ बनाने में आर्थिक रूप में भी सहयोग देते रहें । पूछे जाने पर सलाह दें , पर उम्मीद न रखें कि आप की सलाह मानी जाएगी । गृह कार्यों को करने में आप पीछे न हटें । प्रसन्नचित कार्य करने से शक्ति स्वयं आप के पास आ जाएगी सब से सुखी परिवार वह है जिस में हर सदस्य सहयोगी बनता है ।  बहू की  खूबियों पर तारीफ करें । उसे निजी मामलों में स्वयं फैसला लेने का हक दें । अपने बच्चों की तरह शर्त रहित उसे प्यार करें और उस के अवगुणों की अनदेखी करें । कभी नुकसान करने पर उसे क्रोधित हो कर नहीं अपितु सहजभाव से गलती दोबारा न करने की नसीहत देवें । सास की इस प्रकार सहानुभूति और प्रेम भरी वाणी से बहू प्रभावित हुए बिना नहीं रहती । .
 " सासू माँ  का मिला जिसे सहारा , दूर नहीं फिर उस से खुशी का किनारा । 

" ● बहू को आशीर्वाद दें-  
जुबान  से निकले आशीर्वादों में फूलों से भी अधिक महक होती है । जो काम दवाएँ नहीं कर सकती वे दुआएँ करती है । बहू की भावनाओं का सम्मान करें । दुख तकलीफ और संघर्ष के क्षणों में पूरा साथ दें । बीमार होने पर पूरी तन - मन - धन से देख भाल करें । चरण वन्दना करने पर बहू को प्यार से गले लगाएँ और माथा चूमते हुए , " आयुष्मति भव " " सौभाग्यवतीभव " , " सदा स्वस्थ व्यस्त मस्त रहो " आदि शुभ आशीषों से उस की झोली भर दो । " अगर आप अपने बहू बेटियों को इस प्रकार का आशीर्वाद देंगे फिर आपको किसी तीर्थ यात्रा करने की जरूरत नहीं है आपके घर में ही चारों धाम की यात्रा हो जाएगी । बहू के प्रति किसी भी तरह का मन में मेल ना रखें क्योंकि आप भी कभी बहू थी।

● स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहें :-
 अच्छा स्वास्थ्य होना भी सफलता की सीढ़ी है मंजिल तक वही इन्सान पहुँच पाते हैं । जिन के हौसलों में जान होती है , अतः आप अपना हौसला भी उतना ही मज़बूत बनाए रखें जितना कि आप का मंजिल देखने का सपना है । शरीर परिश्रमी , मन संयमी और बुद्धि विवेकवती बना कर सम्मान प्राप्त करें । ईश्वर भक्ति से आत्मिक शक्ति प्राप्त करें । स्वयं को कभी कमज़ोर न समझें । अपने कार्य स्वयं करें । शरीर स्वस्थ रहे इसके लिए मैडीटेशन और योग करें । हमारे पास दो कान और एक मुख होने का अर्थ है कि हम अधिक सुनें और कम बोलें ।

●  आत्मसम्मान बना कर रखें-
 जिस प्रकार बहू को प्यार देना सास का कर्तव्य है । बहू से सम्मान प्राप्त करना भी उसका अधिकार है । " जिन्दगी में जहाँ सम्मान है वहाँ बहार है , जिन्दगी में जहाँ सम्मान नहीं वहीं जिन्दगी बेकार है । " आत्मसम्मान बनाये रखना आवश्यक है । अपनी आत्मशक्ति में विश्वास रखें और अपने आप को कमजोर मत समझें ।
 जहाँ कहीं भी आप के आत्मसम्मान को ठेस पहुँचे वहाँ तुरन्त उस का विरोध करें । " संक्षेप में इतना सब कहते हैं । " यह खुदा ऐसे सब को नसीब हो जहाँ सास बहू आपस में बहुत करीब हो '
 • समानता का व्यवहार करें -
 सास ध्यान रखे कि परिवार में कभी भी स्नेह और सम्मान की भावनाएँ लुप्त न हो । एक से अधिक बहुओं और बेटियों पर सदैव वटवृक्ष की तरह समान छाया दें और गुलाब के फूल की तरह सभी को समान सुगन्धि देती रहें । समान उपहार देने से आप के घर लक्ष्मी निवास करेगी ।अगर कभी भी बहू से कोई बहुत बड़ी भूल हो जाए तो उसको अपनी बेटी समझ कर हमेशा माफ करने की कोशिश करें बात का बतंगड़ ना बताएं क्योंकि गलती करना इंसान का ही नियम है पशुओं का नहीं एक इंसान ही गलती करके संभाल भी सकता है और माफी भी मांग सकता है यह सिर्फ भगवान ने वरदान इंसान को दिया है किसी जानवरों को नहीं इसलिए आप सासु नहीं बल्कि माँ  बनकर रहे ।
●पैरगनैसी के समय धयान रखे-
जब आपकी बहुत गर्भधारण कर चुकी हो उसे समय उसके रखरखाव और अपने अनुभव उसके साथ जरूर साझा करें। बात साझा करते समय  उसको ताने न देकर यह समझा ये  कि एक औरत के लिए माँ बनना सबसे बड़ा सपना होता है, क्योंकि आपकी बात का कहने का तरीका उसको चुभ सकता है इसलिए अपने अनुभव इस तरीके से शेयर करें ताकि आपकी बहू ये समय मुश्किल ना लगे। अपनी जिंदगी के अनुभव को प्यार से समझाएं ना कि रोब देकर।
बहु को कभी महसूस न होने दे कि आप सांस हो बल्कि इस प्रकार समझाएं कि जिस परिस्थिति से आप गुजर रही हैं यह परस्थिति से मैं गुजर चुकी हूं, मुझे अनुभव है ,फिर देखना इस रिश्ते में  मिठास ही बढ़ेगी। 

निष्कर्ष-
 इस प्रकार आप अपने घर को स्वर्ग बना सकते हैं छोटी-छोटी बातों को अपनाकर क्योंकि अगर आप सास बनी है तो पहले आप भी कभी बहु रह चुकी हैं किसी की इसलिए एक बहू की भावनाओं को समझना एक सास के लिए और भी ज्यादा आसान होता है क्योंकि जो आपके घर में बहू आई है अभी वह उम्र में कच्ची है आपसे और आपको जीवन का अनुभव है। इसलिए किसी भी परिस्थिति में घर का माहौल खराब ना करें बल्कि उसको संभालने की कोशिश करें।
Posted by kiran


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