सुर्य भगवान का स्रोत का पाठ कैसे करें | सुर्य भगवान के 12 नामों का जप कैसे करें | मनोकामना पूर्ण के लिए सुर्य पुजा कैसे करें |

सूर्य स्तोत्र के 108 नाम चमत्कारी सूर्य स्तोत्र के 108 नाम का जाप कैसे करें-

हिंदू धर्म में रविवार का दिन भगवान सूर्य को समर्पित है। इस दिन विधि विधान से सूर्य देव की पूजा अर्चना की जाती है और अगर आप भी मनोकामना पूर्ति के लिए रविवार का व्रत रखते हैं तो शास्त्रों के अनुसार सूर्य देव तरक्की के देवता माने जाते हैं। अगर आपकी कुंडली में सूर्य कमजोर है तो ऐसे में आपको सूर्य भगवान की पूजा करनी चाहिए और सूर्य देव के इन 108 नाम का मंत्र जाप करके आप अपनी कुंडली का सूर्य को ठीक कर सकते हो। 

आइए  जानते हैं सूर्य भगवान के 108 नामो का स्त्रोत जप कैसे करें-


धौम्य उवाच सूर्योऽर्यमा भगस्त्वष्टा पूषार्कः

 सविता रविः। गमस्तिमानजः कालो मृत्युर्धाता प्रभाकरः ।। पृथिव्यापश्च तेजश्व खं वायुश्च परायणम्। सोमो वृहस्पतिः शुक्रो बुधोऽगारक एव च।। इन्द्रो विवस्वान् दीप्तांशुः शुचिः शौरिः शनैश्चरः।

ब्रह्मा विष्णुश्च रुद्रश्च स्कन्दो वै वरुणो यमः।।

 वैद्युतो जाठरश्चाग्निरेन्धनस्तेजसां पतिः। धर्मध्वजो वेदकर्ता वेदागों वेदवाहनः ।। कृतं त्रेता द्वापरश्च कलिः सर्वमलाश्रयः।

 कला काष्ठा मुहूर्त्ताश्च क्षपा यामस्तथा क्षणः।।संवत्सरकरोऽश्वत्थः कालचक्रो विभावसुः। पुरुषः शाश्वतो योगी व्यक्तव्यक्तः सनातनः ।। कालध्यक्षः

 प्रजाध्यक्षो विश्वकर्मा तमोनुदः। वरुणः 

सागरोंऽशश्च जीमूतो जीवनोऽरिहा ।।भूताश्रयो भूतपतिः सर्वलोकनमस्कृतः।

 स्त्रष्टा संवर्तको वह्निः सर्वस्यादिरलोलुपः ।।

 अनन्तः कपिलो भानुः कामदः 

सर्वतोमुखः।जयो विशालो वरदः 

सर्वधातनिषेचिता ।। मनः 

सुपणों भूतादिः शीघ्रगः

 प्राणथारकः। धन्वन्तरिघूमकेतुरादिदेवो ऽदितेः सुतः।। द्वादशात्मारविन्दाक्षः 

पिता माता पितामहः। स्वर्गद्वारं प्रजाद्वारं मोक्षदारं त्रिविष्टपम् ।। देहकर्ता प्रशान्तात्मा विश्वात्मा विश्वतोमुखः। चराचरात्मा सूक्ष्मात्मा मैत्रेयः करुणान्वितः।। 

एतद् वे कीर्तनीयस्य सूर्यस्यामिततेजसः। नामाष्टशतकं चेदं प्रोक्तमेतत् स्वयंभुवा ।। सुरगणपितृयक्षसेवितं ह्यसुरनिशाचरसिद्धवन्दितम्। वरकनकहुताशनप्रमं प्रणिपतितोऽस्मि हिताय भास्करम् ।। सूर्योदये यः सुसमाहितः नठेत् स पुत्रदारान् धनरत्नसंचयान्। लभेत जातिस्मरतां नरः सदा धृतिं च मंघां बस विन्दते पुमान्।।

 इम स्तव देववरस्य यो नरः प्रकीर्तयेच्छुचिसुमनाः समाहितः।विमच्यते शोकदवाग्निसागरा- ल्लभेत कामान् मनसा यथेप्सितान्।।

प्रतिदिन प्रातःकाल  तेजस्वी भगवान् श्री सूर्यदेवका एक-सौ आठ नामोंवाला यह स्तोत्र ब्रह्माजीके द्वारा कहा गया है। 

अतः में भी अपने हित के लिये उन भगवान् भास्कर को साष्टांग प्रणाम करता हूँ जो देवगण, पितृगण एवं यक्षों के द्वारा सेवित हैं तथा असुर, निशाचर सिद्ध एवं साध्य आदि के द्वारा वन्दित हैं और जिनकी क्रान्ति निर्मल सुवर्ण एवं अग्नि के समान है। 


जो व्यक्ति सूर्योदय के समय विशेष सावधान होकर इस सूर्य-स्तोत्र का प्रतिदिन पाठ करता है. वह शोकरूपी दावानल के सागर से अनायास पार हो जाता है तथा स्वाभिलक्षित मनोरथोंको भी प्राप्त कर लेता है। 


सुर्य का असली नाम कया है -

सूर्य भगवान का असली नाम आदित्य है क्योंकि वह माता अदिति के गर्भ से पैदा हुए थे

भगवान सूर्य की तीन  पुत्रीया और नौ पुत्र हैं वैवस्वत  मनु,  सावणिर्क मनु, सुग्रीव कर्ण व दो जुड़वा अश्विनी कुमार आदि सूर्यपुत्र है याम, तपती,व  वर्चला  देवी आदि सूर्य के पुत्री के नाम है।

सूर्य के बारह नामों जप कैसे करें-

सूर्य की पूजा एवं वन्दना भी नित्यकर्म में आती है। शास्त्र में इसका बहुत महत्व बतलाया गया है। दूध देनेवाली एक लाख गायों के दान का जो फल होता है, उससे भी बढ़कर फल एक दिन की सूर्य पूजा से होता है। पूजा की तरह सूर्य के नमस्कारों का भी महत्व है। इससे शारीरिक व्यायाम भी हो जाता है। भगवान् सूर्य के एक नाम का उच्चारण कर दण्डवत् करे। फिर उठकर दूसरा नाम बोलकर दूसरा दण्डवत् करे। इस तरह बारह साष्टांग प्रणाम हो जाते हैं। शीघ्रता न करे, भक्ति भाव से करे।

एतदर्थ प्रथम सूर्यमण्डल में सौन्दर्य राशि भगवान् नारायण का ध्यान करना चाहिये। भावना से दोनों हाथ भगवान् के सुकोमल चरणों का स्पर्श करते हो, ललाट भी उसी सुखस्पर्श में केन्द्रित हो और आंखें उनके सौन्दर्य-पान में मत हों।

सकंलप कैसे ले -

संकल्प के बाद अंजलि में या ताम्रपात्र में लाल चन्दन, असत, फूल. डालकर हाथों को हृदय के पास लाकर

 निम्नलिखित मन्त्र से सूर्य को अर्घ्य दे- एहि सूर्य ! सहस्त्रांशो! तेजोराशे ! जगत्पते ! अनुकम्पय मां भक्त्या गृहाणार्घ्य दिवाकर ! अब सूर्यमण्डल में स्थित भगवान् नारायण का ध्यान करे- ध्ययेःसदा सवितृमण्डलमध्यवर्ती नारायणः सरसिजासनसंनिविष्टः। केयूरवान् मकरकुण्डलवान् किरीटी हारी हिण्मयवपुर्धतशंखचक्रः ।। अब उपर्युक्त विधि से ध्यान करते हुए निम्नलिखित नाम-मन्त्रों से भगवान् सूर्य को साष्टांग प्रणाम करे।



सुर्य भगवान के 12 नामों-

 (1) ॐ मित्राय नमः। (2) ॐ रवये नमः। (3) ॐ सूर्याय नमः। (4) ॐ भानवे नमः। (5) ॐ खगाय नमः। (6) ॐ पूष्णे नमः। (7) ॐहिरयगर्भाय नमः। (৪) ॐ मरीचये नमः। (9) ॐ आदित्याय नमः। (10) ॐ सवित्रे नमः। (11) ॐ अर्काय नमः। (12) ॐ भास्कराय नमो मनः। 

इसके बाद सूर्य के सारथि अरुण को अर्घ्य दे- विनतातनयो देवः कर्मसाक्षी सुरेश्वरः। सप्ताश्वः सप्तरज्जुश्च अरुणों में प्रसीदतु।। ॐ कर्मसाक्षिणे अरुणाय नमः। आदित्यस्य नमस्कारं ये कुर्वन्ति दिने दिने। जन्मान्तरसहस्त्रेषु दारिद्य नोपजायते।। इसके बाद सूर्याय का जल मस्तक और आंखों में लगाये तथा कुछ चरणामृत निम्नलिखित मन्त्र से पी ले- अकालमृत्युहरणं सर्वव्याधिविनाशनम्। सूर्यपादोदक तीर्थ जठरे धारयाम्यहम् ।। ॐ तत्सत् कृतमिदं कर्म ब्रह्मार्पणमस्तु। विष्णवे नमः, विष्णवे नमः, विष्णवे नमः।

निष्कर्ष-

 स प्रकार पूरे विधि विधान के साथ भगवान सूर्य के आप 108 या 12 नाम को किसी का भी जो आपकी श्रद्धा हो पाठ कर सकते हैं । सूर्य भगवान  का प्रत्यक्ष रूप है जो हम सबको  साक्षात रूप में प्रतिदिन दिखाई देते हैं।




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