माला से जाप करने के लाभ | माला से जाप करने के नियम सावधानियाँ | Benefits of mala jaap .

माला से जाप कैसे करें-और माला को  किस प्रकार फेरें ?

जाप की माला महत्व - करने के लिए भगवान की पूजा करने के लिए माला जप का बहुत अधिक महत्व माना गया है लेकिन इसका लाभ तभी मिलता है जब आप उसको सही विधि से करते हैं माला जाप करने का सही समय और नियम जानने के लिए आये जानते है विस्तार से ।

माला का महत्व-

हिंदू धर्म में किसी भी देवी या देवता का मंत्र जाप करने के लिए उनसे संबंधित माला का प्रयोग करते हैं ऐसी धारणा है यदि पीले चंदन की  तुलसी की माला से जाप करते थे भगवान विष्णु के लिए प्रयोग की जाती है। रुद्राक्ष की माला भगवान शिव और कमलगट्टे की माला माता लक्ष्मी के लिए की जाती है। मोती की माला   चंद्रमा और और मूंगे की माला से मंगल की पूजा की जाती है।  हल्दी की माला से बृहस्पतिवार का मंत्र करने से जल्दी  लाभ प्राप्त होता है। 

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 अगर यह सब मालाओं को आप लेने में असमर्थ हो तो सबसे उत्तम तुलसी की माला मानी जाती है।  तुलसी की माला किसी भी देवता  के लिए प्रयोग की जाती है। 


माला जप के लिये काम में लायी जाने वाली माला अनेक गूढ रहस्यों से पूर्ण है। माला ऐसी वस्तुओं से बनती है, जिनमें विद्युत का प्रवेश नहीं हो सकता, माला के फेरने से जप की ठीक सँख्या जाप होती है। अँगूठे और मध्यमा अँगूली के संघर्ष से एक ऐसी विलक्षण विद्युत उत्पन्न होती है, जो धमनी के तार द्वारा सीधे हृदयचक्र को प्रभावित करती है. जिससे चंचल मन शांत हो जाता है।



प्रतिष्ठित माला की पहचान कैसे करें :

 माला चंदन, मूंगा, तुलसी रुद्राक्ष कई प्रकार की होती है। किंतु उनके द्वारा जप करन से पूर्व माला की प्राण-प्रतिष्ठा करनी आवश्यक होती है। जैसे मन्दिर में देवत्ता आदी की जो प्रतिमा होती है, वह काष्ठ, धातु तथा पत्थर आदि की होती है, विधिपूर्वक मन्त्रोच्चारण एवं प्रतिष्ठा विधान के द्वारा ही उनमें देवत्व का आवाहन होता है अन्यथा वह सामान्य पत्थर ही रहता है। 

मन्त्रों में इतनी शक्ति रहती है कि विद्वान ब्राह्मण के द्वारा उच्चारित होने पर वे मन्त्र पत्थर को भी देवता बना देते है। जिस माला से नित्य जप करते हैं, अत: माला में भी एक शक्ति पैदा हो जाती है।

* जप माला के लिए सावधानियाँ-

अतः अपनी माला को बदलना नहीं चाहिये। और दूसरे को भी नहीं देनी चाहिये। माला जप शुरू करने से पहले माला की यथा विधि प्राण-प्रतिष्ठा करा लेनी चाहिए। प्राण-प्रतिष्ठा की हुई माला से जप करने से मन्त्र जप, नाम जप, साधना सफल होती है और फल की प्राप्ति होती है। प्रतिष्ठित माला करा लेने के बाद उस माला को देव-स्वरूप समझते हुए आदर से और पूर्ण शुद्धि से रखें दूसरा व्यक्ति, या बालक उसे स्पर्श न करें। झूठे हाथ कभी भी को न लगाये। 

जिस माला से आप अपने किसी भी देवता को मंत्र जाप करते हैं तो उसे कभी भी गले में नहीं धारण करना चाहिए। कहने का भाव है की माला जप के लिए हमेशा एक अलग माला का प्रयोग करें। हिंदू धर्म के अनुसार कभी भी अपने गले में पहनने वाली माला से जप मंत्र  नहीं करना चाहिए।  माला को हमेशा एक कपड़े में लपेट कर रखना चाहिए।



माला से  जप करने की विधि-

जप प्रारम्भ और जप समाप्ती पर इस माला को माथे से आंखों से स्पर्श करा कर, मन ही मन में प्रणाम करें। जप-समाप्ती के बाद जिस शुद्ध आसन पर बैठ करके जप किया है उसके नीचे की मृतिका या थोड़ा सा जल गिराकर उस जल को, मस्तक से लगावें से नहीं तो उस व्यक्ति के जप के फल को भगवान इन्द्र खींच लेता है। क्योंकि इन्द्र को ऐसा वरदान प्राप्त है। जप करते समय शुद्ध आसन जरूर होना चाहिये । जप करते समय शरीर का कोई भी अंग पृथ्वी को न छुए नहीं तो जप का फल पृथ्वी में चला जाएगा। जप का फल घर में जप के बराबर, गायों के समीप गौ शाला में सौ गुणा अधिक, तीर्थ स्थान में हजार गुणा और स्वच्छ नदी के तटपर लाख गुणा अधिक प्राप्त होता है।


 जप करने की विधिः 

जपमाला को दाएँ हाथ में लेकर अँगूठे और मध्यम अँगुली से पकड़ें। पहली अँगुली (प्रथमा) का प्रयोग नहीं किया जाता, क्योंकि इसे अशुद्ध माना जाता है। जप मुख्य दाने ( जो सबसे बड़ा दाना ) के पास वाले दाने से प्रारम्भ करें।

जप करते समय माला में दिए गए सुमेर को कभी लांधाना नहीं चाहिए सुमेर यानी जहां माला का जुड़ाव होता है इसका अर्थ है की माला की गिनती सुमेर से शुरू होती है और इस पर समाप्त होती है। इस लाधें  बिना माला को फिर से  घूमाकर फिर से जप शुरू करें।

माला जपने के लिए हमेशा अंगूठे और अनामिका उंगली का प्रयोग किया जाना चाहिए ऐसा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

माला करते समय याद रखें की माला को किसी कपड़े में या फिर उसे गोमुखी में ढक कर रखें ताकि कोई और आपकी माल को देख ना सके।

मंत्र जाप करने के बाद माल को हमेशा अपने घर के मंदिर में ही रखना चाहिए।

माला का जाप करते समय हमेशा धरती पर आसान बिछाकर ही जप करना चाहिए ताकि आपका आपको उसका पूरा फल प्राप्त हो सके।





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