शिवमानस पूजा कैसे करें-
शिव हिंदू धर्म के प्रमुख देवताओं में से एक हैं। वे त्रिमूर्ति के एक सदस्य हैं, जिसमें ब्रह्मा (सृष्टि के देवता), विष्णु (पालनहार) और शिव (संहारक) शामिल हैं। शिव को संहारक और पुनरुत्थान के देवता माना जाता है। उनकी पूजा व्यापक रूप से भारत और नेपाल में की जाती है।
शिव का अर्थ "कल्याणकारी" होता है। वे विनाशक और पुनर्जन्म के देवता के रूप में माने जाते हैं।वे योग के भगवान हैं और तपस्वियों के आदर्श हैं
त्रिशूल: त्रिशूल शिव का प्रमुख हथियार है जो त्रिगुण (सत्व, रजस, तमस) का प्रतीक है।
डमरू: यह छोटे दोमुखी ड्रम है जो ब्रह्मांडीय ध्वनि का प्रतीक है।
सर्प: शिव के गले में सर्प है जो उनकी शक्ति और विष (जहर) पर नियंत्रण का प्रतीक है।
चंद्रमा: उनके सिर पर अर्धचंद्रमा है जो समय और परिवर्तन का प्रतीक है।
गंगा: उनके जटाओं से निकलने वाली गंगा नदी पवित्रता और जीवन का प्रतीक है।
तीसरी आँख: शिव के माथे पर तीसरी आँख है जो ज्ञान और विनाश का प्रतीक है।
रूप और अवतार-
शिव के विभिन्न रूप और अवतार हैं, जिनमें नटराज (नृत्य के देवता), भैरव (भयावह रूप) और लिंगम (प्रतिकात्मक रूप) शामिल हैं।
शिव मानस पूजा एक मानसिक पूजा है जिसमें भक्त भगवान शिव को मन से अर्पित करते हैं। यह पूजा अत्यंत महत्वपूर्ण और लाभकारी मानी जाती है।
मानसिक शांति और ध्यान:
यह पूजा मानसिक शांति और ध्यान को बढ़ावा देती है। मानसिक रूप से भगवान शिव की पूजा करने से मानसिक स्थिरता और ध्यान में सुधार होता है।
आध्यात्मिक उन्नति-
शिव मानस पूजा आध्यात्मिक विकास को प्रोत्साहित करती है। यह पूजा आत्म-साक्षात्कार और आत्मज्ञान की ओर ले जाती है।
सकारात्मक ऊर्जा-
इस पूजा से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। यह नकारात्मक विचारों और भावनाओं को दूर करने में मदद करती है।
कर्म सुधार-
इस पूजा से भक्त अपने गलतियों और पापों की माफी मांग सकते हैं। यह आत्मशुद्धि और कर्म सुधार की प्रक्रिया को प्रेरित करती है।
भक्ति और श्रद्धा में वृद्धि-मानस पूजा करने से भगवान शिव के प्रति भक्ति और श्रद्धा में वृद्धि होती है। यह भक्ति के मार्ग को मजबूत करता है।
शिव मानस पुजा अर्थ सहित हिन्दी और संस्कृत अनुवाद-
रत्नैः कल्पितमानस हिमजलैः स्नानं च दिव्याम्बर, नानारत्मविभूतिषत मृगमदामोदाडिंकतं चन्दनम्। जातीचम्पकबिल्वपत्ररचित पुष्पं च धूपं तथा दीपं देव, दयानिधे पशुपते हन्त्कल्पितं गृह्यताम् ॥1॥
हे दयानिथे। हे पशुपते। हे देव। यह निर्मित सिहासन शीतल जलसे स्नान, नाना तनावलिविभूषित दिव्यन्तसमन्वित बन्दन चम्पा और बिल्वपत्र से रति पुष्पाञ्जलि तथा धूप और दीप यह सब मानसिक (पूजोपहार) ग्रहम कीजिये।।1॥
सौवर्णे नवरत्नखण्डरचिते पात्रे घृत पायसमय पविचं पयोदयुत रमभाफलं पानकम्। शाकानामयुतं जल रुविकर, कर्पूरवान्डोज्जवलं ताम्बूल मनसा गया विरचितं भक्त्या प्रमो स्वीकरु 11211
मैंने नवीन रत्मखण्डों से रवित सुवर्णपात्र में घृतयुक्त खीर दूध और दचिसहित पाँच प्रकार का व्यञ्जन, कदलीफल, शर्बत, अनेको शाक, कपूर से सुवासित और स्वच्छ किया हुआ मीठा जल और ताम्बूल-ये सब मन के द्वारा ही बनाकर प्रस्तुत किये है, प्रमी। कृपया इन्हें स्वीकार कीजिये।।2।।
छत्र चामरयोर्युगं व्यजनक चादर्शक निर्मल, वीणामेरिमृदंग काहलका गीत च नृत्यं तथा। साष्टाडंग प्रणातिः स्तुतिर्बहुविध ह्योतत्यामस्त मया सर्वकल्पेन समर्पित तय विनो पूजां गृहाण प्रमो।। 3।।
छत्र, दो बँवर, पंखा, निर्मल दर्पण, वीणा मेरी, मृदडंग, दुन्दुमीके याद्य गान और नृत्य, साष्टांग प्रणाम, नानाविधि स्तुति ये सब में सकल्पसे ही आपको समर्पण करता हूँ, प्रभो! मेरी यह पूजा ग्रहण कीजिये।।3।।
आत्मा त्वं गिरिजा मतिः सहचराः प्राणाः शरीरं गृह, पूजा से विषयोपभोगबन निद्रा समाधिस्थितिः। सञ्वारः पदयोः प्रदक्षिणविधिः स्तोत्राणि सर्ज गिरो यद्यत्कर्म करोमि तत्तदखिलं शम्मी तवाराधनम् ।। 4।।
हे शम्भो ! आत्मा तुम हो, बुद्धि पार्वती जी है, प्राण आपके गण है, शरीर आपका मन्दिर है, सम्पूर्ण विषय भोग की रचना आपकी पूजा है. निद्रा समाधि है, मेरा चलना-फिरना आपकी परिक्रमा है तथा सम्पूर्ण शब्द आपके स्तोत्र है, इस प्रकार में जो-जो भी कर्म करता हूँ, वह सब आपकी आराधना ही है।।4।।
करचरणकृतं वाक्कायज कर्मजंवा, श्रवणनयनजं वा मानसं वापराधम्। विहितमविहितं वामर्वमेतत्क्षमस्व जय जय करुणाब्धे श्रीमहादेव शम्भो ।। 5।।
प्रभो! मैने हाथ, पैर, वाणी, कर्म, कर्ण, नेत्र, अथवा मनसे जो मी अपराध किये हो, वे विहित हो अथवा अविहित, उन सबको आप क्षमा कीजिये। हे करुणासागर श्रीमहादेव शंकर ! आपकी जय हो ।।5।। ।।
शिव मानस पूजा एक मानसिक पूजा है जिसमें भक्त भगवान शिव को मन से अर्पित करते हैं। यह पूजा अत्यंत महत्वपूर्ण और लाभकारी मानी जाती है।
मानसिक शांति और ध्यान:यह पूजा मानसिक शांति और ध्यान को बढ़ावा देती है। मानसिक रूप से भगवान शिव की पूजा करने से मानसिक स्थिरता और ध्यान में सुधार होता है।
आध्यात्मिक उन्नति-शिव मानस पूजा आध्यात्मिक विकास को प्रोत्साहित करती है। यह पूजा आत्म-साक्षात्कार और आत्मज्ञान की ओर ले जाती है।
सकारात्मक ऊर्जा-इस पूजा से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। यह नकारात्मक विचारों और भावनाओं को दूर करने में मदद करती है।
कर्म सुधार- इस पूजा से भक्त अपने गलतियों और पापों की माफी मांग सकते हैं। यह आत्मशुद्धि और कर्म सुधार की प्रक्रिया को प्रेरित करती है।
भक्ति और श्रद्धा में वृद्धि-मानस पूजा करने से भगवान शिव के प्रति भक्ति और श्रद्धा में वृद्धि होती है। यह भक्ति के मार्ग को मजबूत करता है।
निष्कर्ष- शिव मानस पूजा एक ऐसी प्रक्रिया है जो इंसान कहीं पर भी किसी भी रूप में बैठकर कर सकता है। इसमें आपको किसी भी प्रकार के धन दौलत की जरूरत नहीं है यह सिर्फ मन के द्वारा भाव से भगवान शिव को अर्पित करनी पड़ती है।
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