वनस्पति और पेड़ पौधों के विचित्र तथ्य | interesting facts about plants and trees

वनस्पति-जगत के विचित्र  तथ्य-

यह लेख वनस्पति के बारे में अजीब और अद्वितीय तथ्यों को प्रस्तुत करता है। इसमें मांसाहारी पौधों जैसे वीनस-फ्लाई ट्रैप और पिचर प्लांट का उल्लेख है, जो कीड़ों को अपने भोजन के रूप में पकड़ते हैं। इस लेख में प्राचीनतम वृक्षों, जैसे कि कैलिफोर्निया का चीड़, और विशालकाय वृक्षों, जैसे कि कोस्ट रेडवुड, के बारे में भी जानकारी दी गई है। इसके अलावा, मिर्च और गेहूं जैसे महत्वपूर्ण कृषि पौधों, उनके औषधीय गुणों, और उनकी उत्पादन क्षमता के बारे में तथ्य साझा किए गए हैं। इसके साथ ही, यह भी बताया गया है कि कैसे कुछ पौधे विशेष परिस्थितियों में प्रतिक्रिया करते हैं और अपने जीवन के लिए अनोखे तरीके अपनाते हैं। इस लेख का उद्देश्य वनस्पति की विविधता और उनके अनूठे गुणों को उजागर करना है।


मांसाहारी पौधे:

 नाइट्रोजन प्राप्त करने के लिए कुछ पौधे मांसाहार करते हैं, मुख्यतः कीड़े-मकोड़े इनका भोजन होते हैं। वीनस-फ्लाई ट्रैप, पिचर प्लांट और ब्लैडरवर्ट ऐसे कुछ मांसाहारी पौधे हैं।

प्राचीनतम वृक्ष: 

कैलिफोर्निया के व्हीलर पार्क में पाया जाने वाला चीड़ का एक पेड़ लगभग 5,000 वर्ष पुराना माना जाता है।

विशालकाय वृक्ष:

 अमेरिकी कोस्ट रेडवुड पेड़ की ऊँचाई 110 मीटर तक हो सकती है।

मिर्च का पौधा: 

1981 में, अल्मोड़ा के श्रीकृष्ण जोशी ने मिर्च का एक पौधा उगाया था जिसकी ऊँचाई 6.6 मीटर थी।

ऑक्सीजन उत्पादन: 

पौधे दिन में ऑक्सीजन का उत्पादन करते हैं, जो रात में उत्सर्जित की जाने वाली कार्बन डाइऑक्साइड से 10 गुना अधिक होती है।

बांस का पौधा:

 बांस घास की श्रेणी में आता है, और यह एक दिन में तीन फुट तक बढ़ सकता है।

सूरजमुखी: 

सूरजमुखी का फूल हमेशा सूर्य की दिशा में घूमता रहता है।

कॉफी:

 कॉफी का आविष्कार इंसान ने नहीं, बल्कि बकरियों ने किया।

सबसे छोटा फूल: 

आर्टिलरी पौधे के फूल का व्यास केवल 0.35 मिमी होता है, जो दुनिया का सबसे छोटा फूल है।

सबसे बड़ा फूल:

 रैफ्लेशिया के फूल का व्यास लगभग 90 सेमी होता है, जो दुनिया का सबसे बड़ा फूल है।

ऑर्किड के बीज: 

ऑर्किड के बीज इतने छोटे होते हैं कि इनके दस लाख बीजों का वजन एक ग्राम से भी कम होता है।

बिजली का गिरना

: इंग्लैंड में ओक और पोपलर के पेड़ों पर अन्य किसी भी पेड़ की तुलना में अधिक बार बिजली गिरती है।

बॉक्सवुड:

 बॉक्सवुड की लकड़ी इतनी भारी होती है कि यह पानी पर तैरने के बजाय उसमें डूब जाती है।

औषधीय पौधे: 

फॉक्सग्लोव नामक पौधे से डिजिटल नामक औषधि प्राप्त होती है, जिसका उपयोग हृदय रोगों के उपचार में होता है।

आलू:

 एक आलू से छह या उससे अधिक नए आलू उगाए जा सकते हैं।

समुद्री घास:

 समुद्री घास का उपयोग खाद, औषधियों, पेंट, टूथपेस्ट और आइसक्रीम बनाने में किया जाता है।

जीवन का अस्तित्व: 

जीवन का अस्तित्व 8,230 मीटर की ऊँचाई से लेकर 10,900 मीटर की गहराई तक पाया गया है।

कैक्टस: 

रेगिस्तान में तीन फुट ऊँचे एक कैक्टस की जड़ें 10 फुट तक गहरी हो सकती हैं।

सबसे पुराना बीज: 

1954 में उत्तरी अमेरिकी आर्कटिक ल्यूपिन का 10,000 वर्ष पुराना बीज बर्फ में दबा पाया गया था, जिससे आधुनिक पौधा उगा था।

बात करने वाले पेड़: 

1982 में, अमेरिकी वैज्ञानिकों ने दावा किया कि कुछ पेड़ एक-दूसरे से संवाद कर सकते हैं।

गुलाब की किस्में: 

गुलाब की 8,000 से अधिक किस्में विकसित की जा चुकी हैं। पहले केवल कुछ ही किस्में विकसित की गई थीं, लेकिन 1900 से नए किस्मों का विकास शुरू हुआ।

गेहूं:

 गेहूं की खेती लगभग 10,000 वर्षों से की जा रही है।

मिर्च: 

मिर्च में कैप्सिकम नामक रसायन उसकी चरपराहट का कारण होता है। मिर्चों का मूल स्थान अमेरिका है, लेकिन सबसे ज्यादा पैदावार भारत में होती है।

बाओबाब पेड़:

 केन्या के बाओबाब पेड़ का तना इतना बड़ा होता है कि लोग इसे खोखला कर घर बना लेते हैं।

पौधों का अस्तित्व:

 पौधों का जीवन 884 फुट की गहराई तक पाया जा सकता है।

आलू की प्रजातियाँ: 

विश्व में आलू की लगभग 252 प्रजातियाँ उगाई जाती हैं।

सबसे विस्तृत वन: 

उत्तरी रूस के कोनीफेरॉस वन सबसे विस्तृत माने जाते हैं।

विशाल तरबूज: 

1980 में, अरकान्सास में एक तरबूज उगाया गया जिसका वजन 90.7 किलोग्राम था।

आम की किस्में: 

दुनिया में आम की 1,000 से अधिक किस्में पाई जाती हैं। 1991 में नई दिल्ली में आयोजित अंतरराष्ट्रीय आम प्रदर्शनी में 550 किस्में दिखाई गई थीं।

विशाल अनन्नास: 

1978 में, केन्या के मैलिंदी में 17 पाउंड वजन का अनन्नास पाया गया था।

मशरूम: खाने वाले मशरूम सात दिनों में पूर्ण रूप से विकसित हो जाते हैं।

बर्ड ऑफ पैराडाइज फूल:

 इसके संतरी और नीले फूल चिड़िया के रंगीन पंखों जैसे दिखते हैं।

केलप: 

केलप समुद्री घास की एक प्रजाति है जो महासागरों में उगती है। यह प्रति दिन 0.5 मीटर तक बढ़ सकती है और इसकी लंबाई 45 मीटर तक हो सकती है।

केले का पौधा: 

केले का पौधा वास्तव में एक जड़ी-बूटी है, न कि पेड़। इसका तना असल में पत्तियों का गठ्ठा होता है।

अमेज़न वर्षावन:

 अमेज़न का वर्षावन पृथ्वी का "फेफड़ा" कहलाता है क्योंकि यह विश्व के 20% ऑक्सीजन का उत्पादन करता है।

एवोकाडो पेड़: 

एवोकाडो के पेड़ का फल तकनीकी रूप से एक बेरी है, और यह एकमात्र फल है जिसमें पर्याप्त मात्रा में स्वस्थ वसा होती है।

श्वास प्रक्रिया:

 पौधे रात में ऑक्सीजन का उपयोग करते हैं और कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ते हैं, जिसे श्वसन प्रक्रिया कहा जाता है।

बाओबाब पेड़:

 बाओबाब पेड़ में इतना अधिक पानी संग्रहित रहता है कि यह सूखे के दौरान जानवरों और इंसानों के लिए जल स्रोत का काम करता है।

बांस का जीवनकाल:

 बांस के कुछ प्रजातियाँ 100 साल तक जीवित रह सकती हैं और इन्हें फूलने में 50 से 120 साल का समय लगता है।

सबसे बड़ा जड़ तंत्र: 

अंजीर के पेड़ का जड़ तंत्र अत्यधिक विशाल होता है। कुछ पेड़ों की जड़ें 120 मीटर से अधिक लंबाई तक फैल सकती हैं।

वृक्षों का वार्षिक छल्ला:

 वृक्ष के तने में प्रत्येक वर्ष एक नया छल्ला बनता है। इन छल्लों की गिनती करके वृक्ष की उम्र का पता लगाया जा सकता है।

मोल्स्ट्री वृक्ष: 

मोल्स्ट्री एक ऐसा वृक्ष है जो बारिश की बूंदों का उपयोग करने के लिए अपनी शाखाओं को फैलाता है, जिससे जड़ों तक अधिक पानी पहुँच सके।

एलोवेरा पौधा: 

एलोवेरा अपने पानी को पत्तियों में संचित करता है, जिससे यह सूखे के समय में भी हरा बना रहता है और औषधीय गुणों से भरपूर होता है।

दूधिया वृक्ष: 

अमेज़न के वर्षावन में पाए जाने वाले दूधिया वृक्ष से निकले सफ़ेद सैप का उपयोग लैटेक्स और रबर बनाने के लिए किया जाता है।

वातावरणीय लाभ:

 एक वयस्क वृक्ष सालाना 100 किलो तक कार्बन डाइऑक्साइड अवशोषित कर सकता है और 10 लोगों को एक वर्ष के लिए पर्याप्त ऑक्सीजन प्रदान कर सकता है।

सार्सापैरिला पौधा: 

यह पौधा सदियों से दवाओं के रूप में इस्तेमाल होता आ रहा है। यह गठिया, सोरायसिस और त्वचा रोगों के इलाज में उपयोगी होता है।

सिकाड वृक्ष:

 सिकाड वृक्ष एक प्राचीन प्रजाति है जो डायनासोर के समय से अस्तित्व में है। इसकी उम्र 300 मिलियन वर्ष से भी अधिक हो सकती है।

लिवरवर्ट पौधे: 

यह पौधा बिना बीज के फैलता है और इसकी पत्तियाँ जिगर की तरह दिखती हैं, इसलिए इसका नाम लिवरवर्ट रखा गया है।

नारियल पेड़: 

नारियल पेड़ समुद्र के पास उगते हैं और इनके बीज (नारियल) समुद्री पानी में तैरकर अन्य द्वीपों तक पहुंच सकते हैं।

वृक्ष की भाषा: 

पेड़ एक-दूसरे से संवाद कर सकते हैं। वे हवा में रसायनों को छोड़कर खतरे का संकेत देते हैं, जिससे पास के पेड़ भी तैयार हो जाते हैं।

इमली का पेड़: 

इमली के पेड़ की लकड़ी और पत्तियाँ भी औषधीय गुणों से भरी होती हैं। इसे कई आयुर्वेदिक दवाओं में उपयोग किया जाता है।

सागौन पेड़:

 सागौन के पेड़ की लकड़ी अत्यधिक मजबूत होती है और यह प्राकृतिक रूप से जल-रोधी होती है, इसलिए इसका उपयोग नाव निर्माण में किया जाता है।

सुगंधित लकड़ी: चंदन की लकड़ी अपनी प्राकृतिक सुगंध के लिए प्रसिद्ध है, और इसका उपयोग इत्र, धूप, और औषधियों में किया जाता है। यह सुगंध लंबे समय तक बनी रहती है।

बहुमूल्य लकड़ी: 

चंदन की लकड़ी दुनिया की सबसे महंगी लकड़ियों में से एक है। इसकी उच्च गुणवत्ता और सुगंध के कारण इसकी बहुत अधिक मांग है।

औषधीय गुण: चंदन के तेल का उपयोग त्वचा रोगों, घावों और सूजन के उपचार में किया जाता है। यह ठंडक देने और तनाव को कम करने में मदद करता है।

धीमी वृद्धि: चंदन का वृक्ष बहुत धीरे-धीरे बढ़ता है और इसे परिपक्व होने में 30 से 60 साल का समय लग सकता है। इसकी सही गुणवत्ता और सुगंध इसके पुराने होने पर ही प्राप्त होती है।

सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व: भारतीय संस्कृति में चंदन का विशेष धार्मिक महत्व है। इसका उपयोग पूजा-अर्चना, तिलक, और धार्मिक अनुष्ठानों में किया जाता है।

वनस्पति जगत में कई ऐसे पेड़ और पौधे हैं जो प्राचीन काल से पूजनीय माने गए हैं और साथ ही उनका उपयोग आयुर्वेदिक औषधियों में किया जाता है। ये पेड़ न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखते हैं, बल्कि इनके औषधीय गुणों के कारण स्वास्थ्य के लिए भी बहुत लाभकारी होते हैं। यहाँ कुछ प्रमुख पूजनीय पेड़ों और उनकी आयुर्वेदिक महत्ता के बारे में जानकारी दी गई है:

 पीपल (Ficus religiosa):

धार्मिक महत्त्व: पीपल का वृक्ष हिंदू धर्म में अत्यंत पूजनीय है। इसे भगवान विष्णु का प्रतीक माना जाता है और इस पर नियमित पूजा की जाती है।

आयुर्वेदिक गुण: 

पीपल के पत्ते, छाल, और जड़ें औषधीय रूप से उपयोगी हैं। इसका उपयोग अस्थमा, खांसी, त्वचा रोगों, और दस्त जैसे समस्याओं के इलाज में किया जाता है। इसकी छाल का रस पीने से पेट की समस्याएं दूर होती हैं।

. तुलसी (Ocimum sanctum):

धार्मिक महत्त्व: तुलसी को हिंदू धर्म में माता तुलसी के रूप में पूजा जाता है। इसे हर घर में शुभ माना जाता है और पूजा के दौरान इसका उपयोग किया जाता है।

आयुर्वेदिक गुण: तुलसी का उपयोग कई बीमारियों में किया जाता है। इसका सेवन प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाता है और यह खांसी, सर्दी, बुखार, श्वसन संबंधी समस्याओं और हृदय रोगों के इलाज में मदद करता है। तुलसी के पत्तों का काढ़ा संक्रमण और विषाणुओं के खिलाफ प्रभावी होता है।

. नीम (Azadirachta indica):

धार्मिक महत्त्व: नीम का पेड़ हिंदू धर्म में पवित्र माना जाता है और इसे देवी दुर्गा का प्रतीक माना जाता है। इसे घर के पास लगाने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।

आयुर्वेदिक गुण: नीम के पत्ते, छाल, और तेल का उपयोग त्वचा संबंधी रोगों, संक्रमण, मधुमेह, और रक्त शुद्धि के लिए किया जाता है। नीम का तेल एंटीसेप्टिक और एंटीबैक्टीरियल गुणों से भरपूर होता है और इसे त्वचा के संक्रमण और जलन के इलाज में उपयोग किया जाता है।

आंवला (Emblica officinalis):

धार्मिक महत्त्व: आंवले का पेड़ हिंदू धर्म में पूजनीय है और इसे आंवला नवमी के दिन पूजा जाता है। यह भगवान विष्णु को समर्पित होता है।

आयुर्वेदिक गुण: आंवला विटामिन C का एक समृद्ध स्रोत है और इसका उपयोग पाचन, प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाने, बालों के विकास, और त्वचा को स्वस्थ बनाए रखने के लिए किया जाता है। यह आयुर्वेदिक औषधियों में रसायन के रूप में भी जाना जाता है, जो शरीर को पुनर्जीवित करने और ऊर्जा प्रदान करने में मदद करता है।

 बेल (Aegle marmelos):

धार्मिक महत्त्व: बेल के वृक्ष को भगवान शिव के लिए अति पवित्र माना जाता है। बेलपत्र का उपयोग शिवलिंग की पूजा में किया जाता है और इसका धार्मिक महत्व अत्यधिक है।

आयुर्वेदिक गुण: बेल का फल और पत्ते औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं। बेल का फल पेट से संबंधित रोगों, दस्त, और पाचन समस्याओं के इलाज में उपयोगी होता है। इसकी पत्तियाँ डायबिटीज के उपचार में सहायक होती हैं। बेल के रस का उपयोग शरीर को ठंडक पहुंचाने और पित्त को नियंत्रित करने में किया जाता है।

बरगद (Ficus benghalensis):

धार्मिक महत्त्व: बरगद का पेड़ भारतीय संस्कृति में अति पूजनीय है। इसे अक्षयवट या वटवृक्ष कहा जाता है और इसका उपयोग विशेष रूप से वट सावित्री व्रत में किया जाता है।

आयुर्वेदिक गुण: बरगद की छाल, पत्तियाँ, और जड़ें औषधीय रूप से उपयोगी हैं। इसका उपयोग मधुमेह, दांतों की समस्या, और त्वचा रोगों के इलाज में किया जाता है। इसकी जड़ों का काढ़ा रक्त शुद्धि और संधिवात के इलाज में मददगार होता है।

 शमी वृक्ष (Prosopis cineraria):

धार्मिक महत्त्व: शमी वृक्ष को भगवान शिव और शनि से जोड़ा जाता है। दशहरे के दिन इसका विशेष रूप से पूजन किया जाता है।

आयुर्वेदिक गुण: शमी के पत्तों और छाल का उपयोग बुखार, सूजन, और व्रणों के इलाज में किया जाता है। इसका काढ़ा त्वचा की समस्याओं को ठीक करने और विषाक्त पदार्थों को शरीर से बाहर निकालने में सहायक होता है।

अश्वगंधा (Withania somnifera):

धार्मिक महत्त्व: अश्वगंधा का पौधा भारत में आयुर्वेदिक चिकित्सा के साथ ही धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व रखता है। इसका उपयोग ऊर्जा और ताकत के प्रतीक के रूप में किया जाता है।

आयुर्वेदिक गुण: अश्वगंधा को एक शक्तिशाली औषधि माना जाता है। यह तनाव को कम करने, प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने, और मस्तिष्क कार्यों को सुधारने में मदद करता है। इसे प्राकृतिक ऊर्जा और शक्ति बढ़ाने वाली औषधि के रूप में जाना जाता है।

ये पेड़ और पौधे न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि उनके औषधीय गुण उन्हें आयुर्वेदिक चिकित्सा में अमूल्य बनाते हैं। भारतीय परंपरा में इन्हें पूजनीय मानकर इनका संरक्षण और उपयोग किया जाता है।

 मिमोसा पुडिका (Mimosa pudica)

संवेदनशील पौधा: इसे "सेंसिटिव प्लांट" या "शर्मिला पौधा" भी कहा जाता है। जब कोई इसे छूता है या हलका दबाव डालता है, तो इसकी पत्तियाँ तुरंत सिकुड़ जाती हैं और झुक जाती हैं। यह प्रतिक्रिया लगभग 10-15 सेकंड तक रहती है, उसके बाद पत्तियाँ फिर से खुल जाती हैं।

सुरक्षा का तरीका: यह प्रतिक्रिया मुख्यतः सुरक्षा के कारण होती है, जिससे यह संभावित खतरों से बच सकता है। यह गुण इसे अन्य जानवरों और कीड़ों से बचाने में मदद करता है।

 ड्रैकैना (Dracaena)

पत्तियों का सिकुड़ना: कुछ ड्रैकैना प्रजातियाँ, विशेष रूप से जब उन्हें तनाव या अति सूखे का सामना करना पड़ता है, अपनी पत्तियों को सिकोड़कर एकत्रित कर लेती हैं। यह एक सुरक्षात्मक प्रतिक्रिया है जो पौधे को पानी की कमी से बचाने में मदद करती है।

संरक्षण का संकेत: पौधे के सिकुड़ने का अर्थ है कि उसे अपनी जलवायु स्थिति के बारे में चेतावनी मिल गई है, और यह अपनी ऊर्जा को बचाने की कोशिश कर रहा है।

 ट्रिपल पोट (Triplaris)

संवेदनशीलता: यह पौधा अपने पत्तों को सिकोड़ने के लिए जाना जाता है, जब कोई बाहरी दबाव डालता है। इसके पत्ते एक प्रकार के छोटे पत्तों के गुच्छों की तरह सिकुड़ जाते हैं।

अन्य विशेषताएँ: यह पौधा आमतौर पर उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पाया जाता है और इसकी पत्तियाँ संवेदनशीलता के कारण कीटों से बचने में मदद करती हैं।

 सेंसिटिव प्लांट (Mimosa)

पत्तियों की प्रतिक्रिया: यह पौधा भी छूने पर पत्तियों को सिकोड़ने की विशेषता रखता है। इसकी पत्तियाँ शारिरिक स्पर्श पर त्वरित प्रतिक्रिया करती हैं।

सामाजिक व्यवहार: यह पौधा अन्य पौधों के संपर्क में आने पर भी अपनी पत्तियों को सिकोड़ सकता है, जिससे यह दिखाता है कि यह अपने पर्यावरण के प्रति संवेदनशील है।

 फोटिया (Fritillaria)

अंतर्निहित तंत्र: यह पौधा अपने परिवेश के प्रति प्रतिक्रिया करता है। जब इसकी पत्तियों को कोई छूता है, तो ये सिकुड़ जाती हैं, जिससे यह अपने संभावित शिकारियों से बचता है।


सुरक्षा तंत्र: इसका यह तंत्र इसे हानिकारक कीड़ों और अन्य जानवरों से सुरक्षित रखता है।


 रैफ्लेशिया (Rafflesia arnoldii)

विशेषता: रैफ्लेशिया को "कॉर्प्स फ्लावर" भी कहा जाता है। यह दुनिया का सबसे बड़ा फूल है, जिसका व्यास 90 सेंटीमीटर तक हो सकता है।

पत्तियाँ नहीं: इस पौधे के पास कोई पत्तियाँ नहीं होती हैं; यह पूरी तरह से अन्य पौधों के तने के अंदर उगता है। यह अपने मेज़बान पौधे से पोषक तत्व प्राप्त करता है।

गंध: इसका फूल सड़ते मांस जैसी गंध छोड़ता है, जो कि मच्छरों और कीड़ों को आकर्षित करता है, जिससे यह परागण में मदद करता है।

 स्टर फिश फ्लावर (Stapelia gigantea)

विशेषता: इस पौधे के फूल बड़े और आकर्षक होते हैं, जो 30 सेंटीमीटर तक लंबे हो सकते हैं। इसे "कैरप्स फ्लावर" भी कहा जाता है।

पत्तियाँ नहीं: इसके पास कोई पत्तियाँ नहीं होतीं, और यह पूरी तरह से फूलों के लिए जाना जाता है।

गंध: इसके फूलों से भी सड़ते मांस जैसी गंध निकलती है, जो इसके परागकणकर्ताओं को आकर्षित करती है।

 पौडोलिया (Podolia)

विशेषता: यह एक प्रकार का फूलदार पौधा है जो ज्यादातर भूमि में उगता है, लेकिन इसकी पत्तियाँ बहुत कम या अनुपस्थित होती हैं।

फूलों की संरचना: इसके फूलों की संरचना बहुत सुंदर होती है और यह विभिन्न रंगों में खिलता है।

पोषण: यह अपने पोषण के लिए मिट्टी से प्राप्त पोषक तत्वों पर निर्भर रहता है।

. सुरिया (Sun Orchid)

विशेषता: यह एक ऑर्किड प्रजाति है जो केवल फूल देती है और इसकी पत्तियाँ काफी कम होती हैं।

पोषण: यह आमतौर पर मिट्टी से पोषण ग्रहण करती है, लेकिन इसके फूल की सुंदरता और खुशबू इसे विशेष बनाती है।

परागण: इसके फूलों में आमतौर पर विभिन्न रंगों के फूल होते हैं जो कीटों को आकर्षित करते हैं।

 लिलियम (Lilium)

विशेषता: लिलियम फूलों का एक बड़ा समूह है जिसमें कुछ प्रजातियाँ पत्तियाँ नहीं देती हैं।

फूलों की खूबसूरती: इसके फूल बड़े और सुगंधित होते हैं, जो विभिन्न रंगों में खिलते हैं।

गंध और आकर्षण: इसकी सुगंध अन्य कीड़ों को आकर्षित करती है, जिससे परागण प्रक्रिया को बढ़ावा मिलता है।

 

 वायु पौधे (Tillandsia)

जड़ रहित जीवन: ये पौधे बिना मिट्टी के जीवित रहते हैं। वे हवा, नमी, और बारिश के पानी से पोषण प्राप्त करते हैं। इनके पास जड़ें नहीं होतीं, लेकिन ये विभिन्न सतहों पर चिपककर जीवित रहते हैं।

 ड्रैगन फल (Pitaya)

अजीब आकार: ड्रैगन फल की बाहरी त्वचा सुनहरे या हरे रंग की होती है, जिसमें रंगीन और कांटेदार खंड होते हैं। इसका स्वाद मीठा होता है और इसे अक्सर इसके अजीब आकार के कारण देखा जाता है।

  ब्रम्हा कमल (Saussurea obvallata)

रात में खिलता है: यह पौधा केवल रात में खिलता है और सुबह के समय अपना फूल बंद कर लेता है। इसे आध्यात्मिक और औषधीय गुणों के लिए पूजा जाता है।

 दुर्लभ कैक्टस (Saguaro Cactus)

बुजुर्ग की उम्र: इस कैक्टस की उम्र लगभग 200 वर्षों तक हो सकती है। इसके अंदर पानी की एक बड़ी मात्रा होती है, जो इसे सूखे में जीवित रहने में मदद करती है।

 फ्लोटिंग पौधे (Water Hyacinth)

जल प्रदूषण का संकेत: यह पौधा तेजी से बढ़ता है और जल प्रदूषण का संकेतक माना जाता है। इसे 'गंदगी का फूल' भी कहा जाता है और यह झीलों और नदियों में जल स्तर को बढ़ा सकता है।

आलू का जंगली संस्करण (Solanum tuberosum)

  • अजीब प्रजातियाँ: कुछ आलू की जंगली प्रजातियाँ विषैला होता है और इन्हें खाने से बीमारियाँ हो सकती हैं। इसका उपयोग सड़कों के किनारे सजावट के लिए किया जाता है।


रात को खिलने वाले कुछ प्रमुख फूलों के नाम इस प्रकार हैं:

रात की रानी (Cestrum nocturnum)

यह फूल रात में खिलता है और इसकी सुगंध रातभर वातावरण में फैली रहती है।

जास्मिन (Jasmine)

कई प्रजातियाँ रात में खिलती हैं, विशेषकर सर्दी और गर्मियों में।

चांदनी (Chandni)

यह रात को खिलता है और इसकी महक बहुत मीठी होती है।

सूरजमुखी (sunflower)

यह सुबह के समय खिलता है लेकिन कई बार रात में भी खुला रहता है।

हेलीट्रोप (Heliotrope)

यह रात को भी खिलता है और इसकी खुशबू बहुत आकर्षक होती है।

गुलाब (Rose)

कुछ गुलाब की प्रजातियाँ रात में खिलती हैं और अपनी सुगंध फैलाते है।

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