दुर्गा देवी के 32 नामों का जप कैसे करें | मनोकामना पूर्ण के लिए दुर्गा माँ के 32 नामो का पाठ कैसे करें |

दुर्गाद्वात्रिंशन्नाममाला  का पाठ कैसे करें 

दुर्गा माँ के 32 नामों की महिमा- 9 अप्रैल 2024 से नवरात्रि शुरू होने वाले हैं। नवरात्रों में बहुत सारे पूजा का विधान है इनमें से एक मां के 32 नाम का वर्णन करना भी एक बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। जो भी भक्त जन इन नामो का मंत्र और जप करता है उन भक्तों के सभी तरह की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। आईए जानते हैं विस्तार से इन 32 नाम को जप  कैसे करें। 

दुर्गा नामों की माला  का महत्व- 

एक समय की बात है , ब्रह्मा आदि देवताओं ने पुष्प आदि विविध उपचारों से महेश्वरी दुर्गा का पूजन किया । इससे प्रसन्न होकर दुर्गतिनाशिनी दुर्गा ने कहा - ' देवताओं में तुम्हारे पूजन से संतुष्ट हूँ , तुम्हारी जो इच्छा हो , माँगो , में तुम्हें दुर्लभ - से - दुर्लभ वस्तु भी प्रदान करूँगी । दुर्गा का यह वचन सुनकर देवता बोले हे देवि ! हमारे शत्रु महिषासुर को  जो तीनों लोकों के लिये संकट था , आपने मार डाला , इससे सम्पूर्ण जगत् स्वस्थ एवं निर्भय हो गया ।


 आपकी ही कृपा से हमें पुनः अपने - अपने पद की प्राप्ति हुई है । आप भक्तों के लिये । कल्पवृक्ष हैं , हम आपकी शरण में आये है । अतः अब हमारे मन में कुछ भी पाने की अभिलाषा शेष नहीं है । हमें सब कुछ मिल गया । तथापि आपकी आज्ञा है , इसलिये हम जगत् की रक्षा के लिये आप से कुछ पूछना चाहते हैं । महेश्वरी ऐसा कौन सा ऐसा उपाय है , जिससे शीघ्र प्रसन्न होकर संकट में पड़े हुए जीव की आप रक्षा करती हैं । देवेश्वरि ! यह बात सर्वथा गोपनीय हो तो  अवश्य बतायें देवताओं के इस प्रकार प्रार्थना करने पर दयामयी दुर्गा देवी ने कहा- देवगण ! सुनो- यह रहस्य अत्यन्त गोपनीय और दुर्लभ है ।

 मेरे बतिस नामों की माला सब प्रकार की आपत्ति का विनाश करनेवाली है । तीनों लोकों में इसके समान दूसरी कोई स्तुति नहीं है यह रहस्यरूप है । इस प्रकार दुर्गा मां ने अपने 32 नाम के महिमा का महत्व बताया  था।

 


● दुर्गा माता के 32 नामों की माला-

1. दुर्गा , 2. दुर्गर्तिशामनी , 3. दुर्गापद्विनिवारिणी , 4. दुर्गमच्छेदिनी , 5. दुर्गा साहिनी , 6. दुर्गनाशिनी , 7. दुर्गतोद्धारिणी , 8. दुर्गन्हिन्त्री , 9. दुर्गमापहा , 10 . दुर्गमज्ञानदा , 11. दुर्गदैत्यलोकदवानला , 12. दुर्गमा , 13. दुर्गमालोका , 14 . दुर्गमात्मस्वरूपिणी , 15. दुर्गमार्गप्रदा , 16. दुर्गमविद्या , 17. दुर्गमाश्रिता 18 दुर्गमज्ञानसंस्थाना , 19. दुर्गमध्यानभासिनी , 20. दुर्गमोहा , 21. दुर्गमगा , 22 . दुर्गमार्थस्वरूपिणी , 23. दुर्गमासुरसंहन्त्री , 24. दुर्गमायुद्धधारिणी , 25. दुर्गमांगी | 26. दुर्गमता , 27. दुर्गम्या , 28. दुर्गमेश्वरी , 29 दुर्गमीमा , 30. दुर्गभामा , 31 . दुर्गमा , 32. दुर्गदारिणी । 

जो मनुष्य मुझ दुर्गा की इस नाममाला का पाठ करता है । वह निःसंदेह सब प्रकार के भय से मुक्त हो जायेगा । ' कोई शत्रुओं से पीड़ित हो अथवा दुर्भेद्य बन्धन में पड़ा हो , इन बत्तीस नामों के पाठमात्र से संकट से छुटकारा पा जाता है। इसमें तनिक भी संदेह के लिए स्थान नहीं है ।यदि राजा क्रोध में भरकर वध के लिये अथवा और किसी कठोर दण्ड के लिये आज्ञा दे दें या युद्ध में शत्रुओं द्वारा मनुष्य घिर जाय अथवा यन में व्याघ्र आदि हिंसक जन्तुओं के चंगुल में फँस जाय तो इन बत्तीस नामों का एक सौ आठ बार पाठमात्र करने से वह सम्पूर्ण भयों से मुक्त हो जाता है विपत्ति के समय इसके समान भयनाशक उपाय दूसरा नहीं है । देवगण इस नाममाला का पाठ करने वाले मनुष्यों की कभी कोई हानि नहीं होती । अभद्र , नास्तिक और शठ मनुष्य को इस नामावली का हजार दस हजार अथवा लाख बार पाठ स्वयं करता या ब्रह्मणों से कराता है , वह सब प्रकार की आपत्तियों से मुक्त हो जाता है । सिद्ध अग्नि में मधुमिश्रित सेफद तिलों से इन नामों द्वारा लाख बार हवन करे तो मनुष्य सब विपत्तियों से छूट जाता है । इस नाममाला का पुरश्चरण तीस हजार का है । पुरश्चरणपूर्वक पाठ करने से मनुष्य  इसके द्वारा सम्पूर्ण कार्य सिद्ध कर सकता है । 

मेरी सुन्दर मिट्टी की अष्टभुजा मूर्ति बनायें , आठो भुजाओं में क्रमशः गदा , खड्ग , त्रिशूल , बाण , धनुष , कमल , खेट ( ढाल ) और मुद्गर धारण करायें । मूर्ति के मस्तक में चन्द्रमा का चिन्ह हो , उसके तीन क्षेत्र हो , उसे लाल वस्त्र पहनाया गया हो , वह सिंह के कंधे पर सवार हो और त्रिशूल से महिषासुर का वध कर रही हो . इस प्रकार की प्रतिमा बनाकर अनेक प्रकार की सामग्रियों से भक्तिपूर्वक मेरा पूजन करें । मेरे उक्त नामों से लाल कनेर के फूल चढ़ाते हुए सौ बार पूजा करें और मन्त्र जप करते हुए पूरे से हवन करें । भाँति - भाँति के उत्तम पदार्थ भोग लगायें । इस प्रकार करने से मनुष्य असाध्य कार्य को भी सिद्ध कर लेता है । जो मानव प्रतिदिन मेरा भजन करता है , वह कभी विपत्ति में नहीं पड़ता । देवताओं से ऐसा कहकर जगदम्बा वहीं अन्तर्धान हो गयीं । दुर्गाजी के इस उपाख्यान को जो सुनते हैं , उन पर कोई विपत्ति नहीं आती ।

 नाम जप कैसे करें-

मां के इन नामों को आप माता के मंदिर या घटस्थापना की जगह पर कर सकते हैं ।  आप सुबह स्नान करके कुश के आसन पर बैठकर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके इन नामों का जाप करें ।  जाप करने से पहले मां के मंदिर में घी के दीये जला लें ।  जाप करते समय मन को स्वच्छ रखें और मां से मनोकामना पूर्ण करने की याचना करें ।  इन नामों का जाप आप पूरे नवरात्र के दौरान 9 दिन करें तो ज्यादा फलदायी होगा ।

अगर आपके पास समय कम है तो इस प्रकार आप दुर्गा मां के इन 32 नामो का जाप करके अपनी मनोकामना को पूर्ण कर सकते हो यह विधि बहुत ही कम समय में हो जाती है।





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