सोरायसिस के लिए घरेलू उपाय | Home remedies for psoriasis |

सोरायसिस कया है और इसे घेरेलू उपाय से कैसे ठीक करें-
सोरायसिस क्या है और इसे किस प्रकार कुछ घरेलू औषधियां अपनाकर ठीक कर सकते हैं, आईए जानते हैं विस्तार से इसके बारे में।
सोरायसिस एक कष्टदायक त्वचा रोग है जो कि सर्दी के मौसम में बढ़ता है । इस रोग में खारिश और घाव होने के बाद त्वचा झड़ने लगती है , गंभीर अवस्था में रोगी की दशा लगता है । असहनीय हो जाती है , शरीर पर वस्त्र पहनना मुसीबत लगने आधुनिक चिकित्सा प्रणाली में सोरायसिस आज भी एक असाध्य रोग माना जाता है । 
विज्ञान इतनी उन्नति के पश्चात् भी इसका पूर्ण इलाज नहीं ढूंढ पाया है , तभी इस रोग को जड़ से खत्म करना मुश्किल हो रहा है । लेकिन अगर रोगी प्राकृतिक चिकित्सा अपनाए और आयुर्वेदिक इलाज ले तो रोग को पूर्णतः ठीक किया जा सकता है ।

 आयुर्वेद में इस का वर्णन क्षुद्र कुष्ट के अन्तर्गत किया गया । है । इस रोग में एक कुष्ठ ' और ' किटिभ क्षुद्र ' के लक्षण मिलते हैं । यह रोग स्त्री और पुरुष दोनो को किसी भी उम्र में हो सकता है । यह रोग न किसी प्रकार की एलर्जी से होता है न ही यह छूआछूत से फैलता है । लेकिन अमीर गरीब किसी को भी जब यह हो जाता है तो यह तीव्र रुप से बढ़ता है । अधिकतर इस रोग का आरम्भ सिर से होता है लेकिन ध्यान न देने पर इस के लक्षण पूरे शरीर पर दिखने लगते हैं । यह एक Autoimmune रोग है । 
इस रोग के अन्तर्गत हमारा रोग प्रतिरोधक संस्थान त्वचा की स्वस्थ कोशिकाओं को ठीक से पहचान नहीं पाता और रोग बढ़ता जाता है । शरीर पर गोल - गोल , मोटे , काले , लाल चकते उभर आते हैं जिनमें तीव्र खारिश होती है और त्वचा फटने लगती है ।
यह रोग विभिन्न प्रकार का हो सकता है : - 

• प्लक सोरायसिस ( पूरे शरीर का सलग चट्ठा )

• पश्चुलर ( Pastular ) सोरायसिस ( हाथ व तलुओ पर चट्ठे )

 • गुटंट सोरायसिस ( पूरे शरीर पर सलग चट्ठे )

 • इनव्हर्स सोरायसिस ( कांख में चट्ठे )
 • नेल सोरायसिस ( नाखूनों पर चट्ठे )

 • सोरायसिस अर्थायटिस ( शरीर के अंदरुनी भागों में )

 • इर्रथ्रोडरमिक अर्थायटिस ( जोड़ो में चट्ठे ) • स्काल्फ सोरायसिस ( सिर में चट्ठे )

•कोरोना सोरायसिस ( बाला के साथ , लेकिन इस कारण गंजापन नहीं होता ) । यह रोग त्रिदोषज होता है लेकिन इसमें पित की प्रबलता होती है । इसलिए नमक , मिर्च , मद्यपान , मांसाहार व मसालेदार खानों का परहेज करना चाहिए एवं मानसिक तनाव से भी बचना चाहिए , क्योंकि मानसिक तनाव के कारण भी सोरायसिस बढ़ता है ।

•सोरायसिस रोगी के भोजन कैसे करें-
 रोगी को ऐसा भोजन करना चाहिए जिनका गुणधर्म ठण्डा हो । लघु , हल्का , रुक्ष भोजन , तिक्त रस प्रधान अन्न , मूंग , मसूर की दाल , गेहूँ , जौ , पुराना घृत , गोमूत्र , नीम , हल्दी , आंवला , पटोल , शाक , करेला , मधु , तोरी , अनार , फालसा आदि हितकर आहार हैं । रोगी को विरूद्धाहार ( जैसे दूध और मछली ) , नया अन्न , विदाही , अभिष्यन्दी , गुरू - शीत - स्निग्ध आहार , दही , मछली , तिल , लवण , अम्ल , उड़द , मूली , गुड़ , मद्य , लकुच काकमाची आनूपमांस दुग्ध का सेवन नहीं करना चाहिए । दिन में सोना , मल - मूत्र वेग का धारण , तनाव , अति व्यायाम रोग को बढ़ा सकता है ।

*सोरायसिस के लिए  चिकित्सा कैसे करें-
 त्वचा रोग विशेषज्ञ अधिकतर ' स्टिराइड्स ' व ' मिथोटेक्झेट ' का प्रयोग करवाते हैं इनसे रोग कुछ समय तक तो दब जाता है लेकिन फिर दुबारा से उभर आता है ।

 इस रोग को पूर्णत  समाप्त करने के लिए आहार विहार का ध्यान रखते हुए शरीर का शोधन करना आवश्यक है । प्राकृतिक चिकित्सा एवं पंचकर्म द्वारा संशोधन चिकित्सा की जाती है । इसके अतिरिक्त त्वचा पर लेप प्रलेप , तैल , स्नान आदि का प्रयोग किया जाता है और आयुर्वेदिक औषधियां जैसे गंधक रसायन , कुष्ठ कुठार रस , आरोग्य वर्धिनी वटी , कैशोर गुग्गुल , मंजिष्ठा चूर्ण , खदिरारिष्ट , सारिवायासव आदि का रोगानुसार प्रयोग किया जाता है । 

इस रोग में समय के साथ मरीज के अन्दर बीमारी से लड़ने की क्षमता कम होती जाती है और रोग बढ़ता जाता है इसलिए इस का इलाज यथासम्भव शीघ्र करना चाहिए । 

Disclaimer-
इसके बारे में हमें ज्यादा जानकारी नही है , जो कुछ हमें knowledge थी वो हमने  आपके साथ शेयर करने की कोशिश की है।  

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