सत्संग सुनने के लाभ
सत्संग एक ऐसा महान और पवित्र साधन है जिससे हम उच्चतम शक्ति को प्राप्त कर सकते हैं। संतों का संग ही सच्चे सुख और परम आनंद की प्राप्ति का मार्ग है। सत्संग से हमारी बुद्धि सद्कर्मों की ओर प्रेरित होती है और आत्म शक्ति, ज्ञान शक्ति, और मंत्र शक्ति जागृत होती है, जिससे असंभव कार्य भी संभव हो जाते हैं।
सत्संग का महत्व-
वह व्यक्ति जिसके जीवन में सत्संग नहीं है, उसे यह ज्ञान नहीं होता कि किस स्थिति में क्या करना चाहिए। सत्संग सुनने से ही व्यक्ति का विवेक जागता है और उसे जीवन जीने की कला आती है। सत्संग ही एक ऐसा माध्यम है जिससे मानव परमात्मा और उसकी भक्ति को प्राप्त कर सकता है। बिना सत्संग के मानव जीवन निरर्थक है।
सत्संग कोई ऐसी चीज नहीं है जिसे हर कोई व्यक्ति न कर सके। हर व्यक्ति को बुराई का ज्ञान होता है और उस बुराई को जीवन से दूर रखना ही सत्संग है। मनुष्य जीवन इसलिए मिला है कि वह अपने वास्तविक कर्तव्यों को समझ सके, इंद्रियों का गुलाम बने रहने से मुक्त हो जाए, चिंताओं को छोड़ दे और अपनी आत्मा को परमात्मा से मिलाए।
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आत्मिक जागृति और आध्यात्मिक शांति"-
सत्संग सुनने से हमारे मन में सद्भाव आते हैं जैसे भगवान का नाम जपना, गरीबों पर दया करना, जीव-जंतुओं पर दया करना, अपने माता-पिता और गुरुजनों की सेवा करना, सूर्योदय से पहले उठना। यह सब सत्संग के माध्यम से ही संभव होता है। सत्संग के प्रभाव से भगवान की कृपा आप पर बरसने लगती है और आप अपने जीवन में सब कुछ पा सकते हैं।
हम जीवन में ईमानदार, योग्य और परिश्रमी साथी खोजते हैं, लेकिन क्या हम स्वयं ऐसा बन पाते हैं? सच्चे जीवन का अर्थ है कि हम सबके लिए उपयोगी बनें। आपके अंदर जो असत्य है, वह अंदर न रहे, यही सत्संग है। हम दूसरों से अपनी रक्षा की आशा करते हैं, लेकिन खुद किसी की सहायता नहीं करते। जिस दिन आप यह समझ जाएंगे, उस दिन आपका जन्म धन्य हो जाएगा।
सत्संग के फायदे: आत्मा की शुद्धि और सद्कर्म की प्रेरणा-
सत्संग के प्रभाव से जीव जन्म-मरण के चक्र से मुक्त हो सकता है। अगर आपका मन प्रभु में लग गया, तो फिर आपका मन संसार में नहीं लगेगा। आप जगत में भी ईश्वर के दर्शन करने लगेंगे। जितना प्यार आप अपने प्रति और अपनों के प्रति करते हैं, उतना ही प्यार सभी मानव जाति से करें, यही सबसे बड़ी पूजा है। मानव जन्म बहुत मूल्यवान है, इसलिए हर समय प्रभु से प्रार्थना करें कि हमें सद्कर्म करने की सद्बुद्धि दें। जिस प्रकार कमल का फूल खिलने के बाद अपनी सुगंध अपने पास नहीं रखता, उसी प्रकार संत लोग हमेशा दूसरों का कल्याण ही करते हैं।
जैसा रहीम जी ने कहा है:
"कदली सर्प भुजंग मुख, स्वाति एक गुण तीन,
जैसी संगत बैठिये, वैसा ही फल दीन्ह"
जिस प्रकार पारस के स्पर्श से लोहा भी सोना बन जाता है और लकड़ी के साथ लोहा भी तैरने लगता है, उसी प्रकार सत्संग के प्रभाव से मानव के अंदर के सब रहस्य खुल जाते हैं और उसकी सुप्त शक्तियाँ जाग्रत हो जाती हैं। वह यह अनुभव करने लगता है कि यह देह उसकी नहीं है और उसका सारा अहंकार मिट जाता है।
बिना सत्संग के परमात्मा का साक्षात्कार नहीं हो सकता। जिस प्रकार एक धोबी कपड़ों का मैल साफ कर देता है, उसी प्रकार सत्संग मानव रूपी आत्मा का मैल साफ करके उन्हें मन, वचन, और कर्म से पवित्र बनाता है और उनके विकर्मों को नष्ट कर देता है। इसीलिए सत्संग का मानव जीवन में बड़ा महत्व है, जो हैवान को भी इंसान बना देता है।
निष्कर्ष-सत्संग से यह स्पष्ट होता है कि यह एक पवित्र और महान साधन है जो व्यक्ति को सद्कर्मों की ओर प्रेरित करता है, उसकी आत्मा को जागृत करता है, और उसे परम आनंद की प्राप्ति कराता है। सत्संग से व्यक्ति को जीवन जीने की कला, सद्भाव, और प्रभु भक्ति का मार्ग प्राप्त होता है। इसके बिना, मानव जीवन निरर्थक है। सत्संग के प्रभाव से व्यक्ति संसार के बंधनों से मुक्त होकर परमात्मा से मिलन की ओर अग्रसर होता है। सत्संग का महत्व इस प्रकार है कि यह एक व्यक्ति को न केवल उसकी बुराइयों से दूर करता है बल्कि उसे उच्चतर आध्यात्मिक जीवन के लिए प्रेरित करता है।
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