मनचाही संतान पैदा करने के तरीके | लडका या लड़की पैदा करने के लिए वैज्ञानिक आधार |

 Tittle- मनचाही संतान पैदा करने के लिए वैज्ञानिक आधार-आज के इस पढे-लिखे युग मे हर दम्पति की इच्छा होती है कि हमारे पास एक बेटा और एक बेटी हो । यह हम सब की इच्छा होती है कि अगर बेटा है तो बेटी भी हो और बेटी है तो बेटा भी हो। 
आज के इस लेख में आपको मैं कुछ शास्त्र और वैज्ञानिक आधार पर इसके बारे में बता रही हूं कि आप मनचाही संतान प्राप्त कर सकते हैं। कुछ नियमों का और कुछ वैज्ञानिक बातों के अनुसार पालन करके आप अपनी इच्छा अनुसार संतान उत्पन्न कर सकते हो। 

प्रभु नारायण के बनाए हुए नियम और उसकी रचना के कारण हर महीने हर स्त्री को 4 दिनों में उसके शरीर  से गंदा रक्त ( पिरिडयस)  निकलने के बाद फिर शुद्धि होती है, और वह उसके बाद हर महीने गर्भधारण के योग्य हो जाती हैं। 
मगर इन 4 दिनों में उसके शरीर से अति जहरीला रक्त बनता है। जहरीली रसमिया शरीर से निकलती रहती हैं। यदि वह स्त्री पापड़ बेलते हुए कच्चे आटे को छू दे तो या फिर  सिर्फ आंखों से दूर से ही देख ले तो सारे पापड का स्वाद बिगड़ जाता है। ऐसे शास्त्रों में माना जाता है ।
वह खाने लायक नहीं रहते। इस अनुभव को पुरानी औरतें और बहनों ने देखा है भी है। डॉक्टरो के अनुसार रजस्वला स्त्री से छुआ हूआ दुध लैब टेस्ट करवाया गया  तो यही पापा गया  60% किटाणु पैदा हो गए थे। एक डॉक्टर ने हार्ट रोगी को जिसके पास  पीसमेकर फिट था रजस्वला औरत से स्पर्श करवाया तो स्पर्श करते ही रोगी की हर्ट की गति कई गुना बढ़ गई और उसकी हालत गंभीर हो गई। यदि रजस्वला स्त्री भोजन को सिर्फ देख लेती है तो उसे खाने वाले के शरीर पर बुरा असर पड़ता है, ऐसा शास्त्रों में माना जाता है।
अगर रजस्वला  औरत छोटे बच्चों को स्पर्श भी करती हैं, बच्चे स्वस्थ और कमजोर हो जाता है । इसलिए रजस्वला स्त्री 4 दिन रात शांति के साथ तनाव रहित होकर सादगी से अलग रहे, हो सकता है इन सब बातों पर आप सब  विश्वास ना करें लेकिन  ऐसा हमारे शास्त्रों में विधान हैं।
  धर्म सथान और मंदिर में भी पूजा पाठ से 1 सप्ताह तक दूर रहें।

मनचाही संतान पैदा करने के लिए वैज्ञानिक आधार-

मनचाही संतान की विधी हमारे शास्त्रों में ऐसा भी माना जाता है जैसा मां-बाप कथित में कल्पना होगी वैसे ही गर्भ मे शिशु का जन्म होगा इसमें कोई संदेह नहीं। रितुमति की चित की स्थिति ठीक फोटो के कैमरे जैसे होती है, रितु स्नान करके वह जिस पुरूष को मन से देखती हैं  वैसे ही मूर्ति चित्त पर आ जाती है।कहने का भाव है कि उसी तरह की संतान उत्पन्न होती है।

वैज्ञानिक और शास्त्र विधी ••••
युग्म तिथि वाली रात्रियों से सहवास  करने से पुत्र और अयुगम रात्रि में सहवास करने से कन्या का जन्म होता है। ऐसा हमारे शास्त्रों और वैज्ञानिक आधार का मानना है। 
इसलिए  रितु काल के पहले सप्ताह को छोड़कर दूसरे सप्ताह की युगम तिथियों में सहवास के लिए प्रवृत्त होना चाहिए । स्त्रियों का रितु काल 16 राशियों का होता है यदि चौदहवीं रात्रि में गर्भधान ठहरने की सम्भावना सबसे ज्यादा होती है। ऐसे समय में  गर्भ ठहरने से,भाग्यवान,
धनवान और गुणवान पुत्र का जन्म होता है।
माँ जैसा चाहे उसी के अनुरूप संतान को जन्म देने में सामर्थ्य रखती है। अपनी इच्छानुसार स्वभाव, प्रतापी, कमजोर ,प्रतिभाशाली ,बुद्धिमान लड़का या लड़की को जन्म दे सकती है। 
यदि कोई दम्पति किसी कारणवश संतान ना होने के कारणवश निराशा हो तो श्री राम रक्षा स्त्रोत और श्री देवी स्तोत्र का पाठ करने से संतान की प्राप्ति होती है।  
श्रीषष्ठीदेवी स्तोत्र का नियमित रूप से नित्य पाठ करें आपको अवश्य संतान की प्राप्ति होगी यह एक रामबाण उपाय है और यह सब से उतम उपाय और विधि उन्ही दम्पति के लिए सही साबित होगी जिन्हे किसी भी तरह की कोई इनफर्टीलिटी समस्या ना हो यह प्रयोग तभी सम्भव है ।
आज का मेरा यह मनचाही संतान वाला लेख अगर आपको अच्छा लगे तो अपने चाहने वाले और दोस्तों में जरूर शेयर करें ।जिन भाई बहनों को जिस तरह की संतान की इच्छा हो उनके लिए यह लेख बहुत ही उपयोगी है। अगर आपका कोई अपना इस तरह की समस्या से परेशान है तो उनके पास इस टॉपिक को जरूर शेयर करें।


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