माता पिता के लिए सुविचार || माँ- बाप की सेवा कैसे करें | रिश्तो को कैसे समझे ||


Tittle- माँ बाप की सेवा ही सबसे बड़ी पुजा है। हमारे माता पिता हमारे लिए किसी देवता से कम नहीं है आज हम आपके लिए इस आर्टिकल में आपके साथ यही शेयर करने आये है। अपने माता पिता को जिसने भी मान सम्मान और इज्जत दी उसने कभी किसी चीज की जिंदगी में कमी नहीं देखी क्योंकि मां-बाप किसी देवी देवता से कम नहीं है।
पुराणों के अनुसार-
 हमारे पुराणों में उल्लेख मिलता है कि जब देवताओं में यह होड़ लगी कि सबसे बड़ा कौन ? जो सबसे बड़ा होगा यही प्रथम पूज्य होगा । तब सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया कि जो तीनों लोकों का तीन चक्कर लगा कर सबसे पहले आ जायेगा वही प्रथम पूज्य होगा ।
 सभी देवता अपने - अपने वाहनों पर चढ़कर दौड़ पड़े तब गणेशजी बड़े चक्कर में पड़े कि मेरा वाहन चूहा सबसे छोटा इस पर चढ़कर कैसे सबसे पहले पहुंच सकता हूं । अतः उन्होंने समाधिस्थ पिता शंकर के बगल में माँ पार्वती को बैठा दिया तथा स्वयं अपने वाहन पर चढ़कर दोनों की तीन बार परिक्रमा की । माता - पिता की परिक्रमा करते ही तीनों लोकों की परिक्रमा पूरी हो गई और तभी से  ये प्रथम पूज्य घोषित हुए है । 
गणेश देवता सर्व प्रथम पूजनीय  -
 गणेश जी आज भी वे बुद्धि के देवता के रूप में सर्वत्र प्रथम पूज्य है । माता - पिता की दुआ में दवा से भी हजार गुणा ज्यादा शक्ति होती है । माता - पिता में भी माँ का दर्जा अधिक ऊंचा है । शास्त्रों में भी माँ का दर्जा पिता से सौ गुणा अधिक ऊँचा बताया गया है । पिता तो धन - सम्पत्ति आदि से पुत्र का पालन - पोषण करता है , पर माँ अपना शरीर देकर पुत्र का पालन - पोषण करती है । बच्चे को गर्भ में नौ माह तक धारण करती है . जन्म देते समय प्रसव पीड़ा सहती है , अपना दूध पिलाती है । एवं अपने ममता की छाँव में उसका पालन - पोषण करती है । ऐसी ममतामयी जननी का ऋण पुत्र या पुत्री कोई  नहीं चुका सकता । इसी तरह  पिता बिना कहे ही पुत्र का भरण - पोषण का पूरा प्रबन्ध करता है , विद्या का अध्ययन करवाकर योग्य बनाता है , उसकी जीविका का प्रबन्ध करता है एवं विवाह कराता है । ऐसे पिता से भी उऋण होना बहुत कठिन है । जीते जी उनकी आज्ञा का पालन करना , उनकी सेवा करना , उनको प्रसन्न रखकर उनका आशीर्वाद लेना और मरने के बाद उनके मोक्ष हेतु पिण्डदान , श्राद्ध - तर्पण करना आदि पुत्र का विशेष कर्तव्य है । 

माँ और पिता भगवान् का दुसरा रूप है-
 माता - पिता में माता साक्षात् लक्ष्मी होती तो पिता नारायण जिनको माता - पिता में भगवतद् भाव नहीं होते उनको मन्दिर या मूर्ति में भी कमी भगवान के दर्शन नहीं होते । माता और पिता दोनो को एक साथ देखने पर पहले माता को प्रणाम करके उसके बाद पितारूपी गुरू को नमस्कार  करना चाहिये । माँ - बाप के खातिर दुःख सहना , फर्ज है - अहसान नहीं ।
 इसलिए जिनके पास मां-बाप है जब तक उनकी सांसे चल रही हैं जितना हो सके उनकी सेवा करें कभी भी भूल कर उनका मन ना दुखाए ,क्योंकि अगर वह दुआ दे सकते हैं तो बद्दुआ भी लग सकती है। वैसे तो मां-बाप कभी बद्दुआ देते नहीं पर कई बार बच्चे मां-बाप की आत्मा इतनी दुखी कर देते हैं कि मां-बाप बद्दुआ देने के लिए मजबूर हो जाते हैं। इसलिए भूल कर भी कोई ऐसा कर्म ना करें जिससे आपके मां-बाप की आत्मा दुखी हो। 
दुनिया में बहुत सारे ऐसे बच्चे भी हैं जिनके पास मां-बाप यह नहीं है अगर आपके पास मां-बाप हैं तो आप दुनिया के सबसे धनवान व्यक्ति हैं।
 
पवित्र रिश्तों को बिगाड़ो मत-
हमारे रिश्ते बहुत ही अनमोल होते हैं क्योंकि यह भावनाओं को थोड़ी सी ठेस पहुंचाने पर बिखर जाते हैं और कई बार ऐसी दरार आ जाती है, जो जिंदगी भर खत्म नहीं होती। इंसान को जिंदगी एक बार मिलती है इसलिए जितना भी हो सके अपने रिश्तो को संभाल कर रखें।

 सीता मैया जंगल में जाकर वाल्मीकि के आश्रम में रही , जो निम्न जाति के थे एवं वहीं श्री राम की संतान लव - कुश का पालन - पोषण किया ।  भक्त मीराबाई राजसी कुल की बेटी व वधु थी , लेकिन उनको  ज्ञान का प्रकाश उस समय हुआ , जब भक्त रविदास ने जूते बनाते समय चमड़ा निभाने वाले जल से छींटे उन पर डाले और मीराबाई ने भगवान श्रीकृष्ण रविदास जी के पीछे खड़े मुस्कुरा रहे थे । मीराबाई को भी श्रीकृष्ण के दर्शन भक्त रविदास के माध्यम से हुए थे । भीलनी भी किसी उच्च कुल से नहीं थी , लेकिन उसके जूठे व मीठे बेर भगवान राम ने बड़े ही प्यार व श्रद्धा के साथ ग्रहण किए और यह भी स्पष्ट किया कि वे केवल प्यार व विश्वास को ही मानते हैं । भीलनी के चरण पड़ने से वह पम्पासुर सरोवर ( तालाब ) उसी समय पवित्र हो गया । जाति की श्रेष्ठता  टूटती गई और इसी प्रकार श्रीराम ने जाति - पाति व छूत - अछूत की वहीं समाप्त कर दिया ।
इसलिए संसार में हर चीज नश्वर है ।अगर आपके पास कुछ धन दौलत ,मान सम्मान, पद प्रतिष्ठा है उस चीज का कभी भी घमंड ना करें।  यहां कभी भी कुछ  स्थायी नहीं रहा सब कुछ जाने के लिए ही बना है।  इतिहास गवाह है कि बहुत बड़े बड़े राजा धरती पर हुए और आखिर में वह भी एक दिन अपना सब कुछ छोड़ कर चले गए,क्योंकि भगवान का घमंड से बहुत ही गहरी दुश्मनी है इसलिए घमंड कभी भी किसी बात का ना करें।
   झूठ बोलने वाले , दुराचारी , मांसाहारी , शराब पीने वाले , प्रभु में विश्वास नहीं करने वाले, मनुष्य पवित्र रिश्ता और गलत नाम लेकर बदनाम करने वाले और आजकल इस कलयुग में इस तरह के नाजायज संबंधों की  खबरे अखबारो प्रतिदिन  आती रहती है ऐसे लोगों से हमेशा दूर रहे,
 क्योंकि रिश्ते में चाची, भाभी,  बहन या कोई भी रिश्ता हो वह मां लक्ष्मी का रुप होते हैं। जिन लोगों की इन रिश्तो के प्रति कोई गलत सोच है तो ऐसे लोगों से हमेशा दूर रहें क्योंकि ऐसे लोगों की अगर सोच इतनी गंदी है तो आप सोच कर देखो अंदर से कितने गंदे होंगे।
 कुछ अजनबी रिश्ते ऐसे होते हैं जिनके साथ सिर्फ विश्वास का रिश्ता होता है। वह विश्वास हमेशा कायम रहना चाहिए। इसी में आपकी सबसे ज्यादा भलाई है और इसी से इंसान का चरित्र का प्रमाण पत्र बनता है।

Last alfaaz- 
मां बाप की सेवा और कुछ पवित्र बहन भाई के रिश्ते हर किसी के भाग्य में नहीं होते। अगर आपके पास मां बाप की सेवा का मौका है और आपके पास अच्छे रिश्ते हैं तो उन्हें हमेशा संभाल कर रखना क्योंकि आप बहुत ही धनवान हो अगर आपके पास यह रिश्ते हैं तो सच मे बहुत भाग्यशाली इंसान हो। धन्यवाद। 

 

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ