दुर्गा सप्तशती के सिद्ध मन्त्र कैसे करें ताकि मनोकामना पूर्ण हो | दुर्गा मन्त्र कैसे करें | दुर्गा सप्तशति के मन्त्र |


Tittle-दुर्गा शप्तशती के सिद्ध मन्त्र-
हमारे पुराणों में देवी के मां दुर्गा देवी के श्लोक और अर्थश्लोक और उचाव आदि को मिलाकर 700 मंत्र हैं । यह सब मंत्र दुर्गा सप्तशती के नाम से प्रसिद्ध है। सप्तशती का अर्थ, धर्म, काम मोक्ष, चारों प्रकार के बल को प्रदान करने वाली है। जो मनुष्य  जिस भाव और जिस कामना से श्रद्धा एवं विधि के साथ सप्तशती का पाठ और मंत्र जाप करता है उसे उसी भावना और कामना के अनुसार निश्चय ही फल सिद्धि होती है। इस बात का अनुभव और अगणित पुरुषों को प्रत्यक्ष हो चुका है ।
यहां हम कुछ ऐसे मंत्रों का उल्लेख कर रहे हैं जिनका संपुट देकर विधिवत परायण करने से मानव व्यक्तिगत और सामूहिक रूप से सिद्धि प्राप्त कर सकता है।
यह सब सप्तशती के सिद्ध मंत्र हैं
अगर विधि-विधान से इन मंत्रों का जाप किया जाए तो असंभव कार्य भी संभव हो जाते हैं। (दुर्गा सप्तशती के मंत्र बहुत ही शीघ्र असर दिखाते हैं, यदि आप मंत्रों का उच्चारण ठीक से नहीं कर सकते तो किसी योग्य ब्राह्मण से इन मंत्रों का जाप करवाएं। कयोंकि क्योंकि गलत उच्चारण करने से मंत्रों के जाप का फल नहीं मिलता इसलिए हो सके पहले मंत्रों को बहुत ध्यान से पढ़ें और तभी ही इनका जाप करें।

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जाप विधि के नियम
1. चैत्र नवरात्रि में सुबह जल्दी उठकर साफ वस्त्र पहनकर सबसे पहले माता दुर्गा की पूजा करें। इसके बाद एकांत में कुशा (एक प्रकार की घास) के आसन पर बैठकर लाल चंदन के मोतियों की माला से इन मंत्रों का जाप करें।

इन मंत्रों की प्रतिदिन 5 माला जाप करने से मन को शांति तथा प्रसन्नता मिलती है। यदि जाप का समय, स्थान, आसन, तथा माला एक ही हो तो यह मंत्र शीघ्र ही सिद्ध हो जाते हैं।


गरीबी मिटाने के लिए-
दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तो:
स्वस्थै: स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि।
दारिद्रयदु:खभयहारिणि का त्वदन्या
सर्वोपकारकरणाय सदार्द्रचित्ता।।

रक्षा के लिए-
शूलेन पाहि नो देवि पाहि खड्गेन चाम्बिके।
घण्टास्वनेन न: पाहि चापज्यानि:स्वनेन च।।


बाधा शांति के लिए-
सर्वाबाधाप्रशमनं त्रैलोक्यस्याखिलेश्वरि।
एवमेव त्वया कार्यमस्मद्वरिविनासनम्।।
कार्यमस्मद्वरिविनासनम्।।

सपने में सिद्धि-असिद्धि जानने का मंत्र-
दुर्गे देवि नमस्तुभ्यं सर्वकामार्थसाधिके।
मम सिद्धिमसिद्धिं वा स्वप्ने सर्वं प्रदर्शय।।

सामूहिक कल्याण के लिए मंत्र
देव्या यया ततमिदं जगदात्मशक्त्या
निश्शेषदेवगणशक्तिसमूहमूत्र्या।
तामम्बिकामखिलदेवमहर्षिपूज्यां
भकत्या नता: स्म विदधातु शुभानि सा न: ।।

भय नाश के लिए-
यस्या: प्रभावमतुलं भगवाननन्तो
ब्रह्मा हरश्च न हि वक्तुमलं बलं च।
सा चण्डिकाखिलजगत्परिपालनाय
नाशाय चाशुभभयस्य मतिं करोतु।।

रोग नाश के लिए-
रोगानशेषानपहंसि तुष्टा
रुष्टा तु कामान् सकलानभीष्टान् ।
त्वामाश्रितानां न विपन्नराणां
त्वामाश्रिता ह्याश्रयतां प्रयान्ति।।

विपत्ति नाश के लिए मंत्र-
देवि प्रपन्नार्तिहरे प्रसीद
प्रसीद मातर्जगतोखिलस्य।
प्रसीद विश्वेश्वरी पाहि विश्वं
त्वमीश्वरी देवि चराचरस्य।।

सौभाग्य प्राप्ति के लिए-

देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि मे परमं सुखम् । रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ।।

सुलक्षणा पत्नी की प्राप्ति के लिये-
पत्नी मनोरमां देहि मनोबृत्तनुसारिणीम् । तारिणीं दुर्गसंसारसागरस्य कुलोम्दवाम् ।।


दारिद्र्ता दुर करने के लिये- 

दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तोः स्वस्थः | स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि । दारिद्रयदुःखभयहारिणि का त्वदन्या सर्वोपकारकरणाय सदाऽऽर्द्रचिन्ता ।।

सब प्रकार के कल्याण के लिये-

सर्वमंगलमंगलये शिवे सर्वार्थसाधिके शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तु ते ॥

धन और पुत्रादि की प्राप्ति के लिये -

सर्वाबाधविनिर्मुक्तो धनधन्यसुतान्वितः । मनुष्यो मत्प्रसादेन भविष्यति न संशयः ।।


क्षमा प्रार्थना- 

अपराधसहस्त्रणि क्रियन्तेऽहर्निशं मया दासोऽयमिति मा मत्या क्षमस्य परमेश्वरि ।।
।। आवाहन न जानामि न जानामि विसर्जनम् पूजा चैव न जानामि क्षम्यतां परमेश्वरि ।।2 ।। मन्त्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं सुरेश्वरि यत्पूजित मया देवि या गति परिपूर्ण तदस्तु मे || 3 || अपराधशतं कृत्वा जगदम्बेति चोच्चरेत् समवाप्रोति । ब्रह्मादयः सुराः || 4 || इदानीमनुकम्प्योऽहं यथेच्छसि तथा कुरु ।।5 ।। अज्ञानाद्विस्मृतेर्भ्रान्त्या अत्रयूनमधिकं कृतम् । तत्सर्व क्षम्यता देवि प्रसीद परमेश्वरि ।।6 ।। कामेश्वरि जगन्मातः सच्चिदानन्दविग्रहे । गृहाणार्चामिमा प्रीत्या प्रसीद परमेश्वरि ।।7 ।। गृह्यातिगुह्यगोप्त्री त्वं गृहाणास्मत्कृतं जपम् । विद्धिर्भवतु में देवि त्वत्प्रसादात्सुरेश्वरि ।। 8 || || श्री दुर्गार्पणमस्तु ।।
इस प्रकार आप जब भी कोई भी मंत्र करें या दुर्ग दुर्गा सप्तशती का पाठ करें तो अंत में क्षमा प्रार्थना जरूर करें अगर हमसे कोई भी गलती से भूल चूक कम या ज्यादा हो जाए तो इस क्षमा प्रार्थना से सारी पूजा पूर्ण हो जाती है। मां की पूजा करते समय किसी भी प्रकार की संख्या मन में ना लाएं इन मंत्रों में बहुत ही ताकत है अगर इनको श्रद्धा भाव और विश्वास के साथ किया जाए।

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